प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप की तस्वीरों पर हुए विवाद के बाद भारत और मालदीव के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस बीच मालदीव की दो प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने मुइज्जू सरकार के भारत विरोधी रुख पर चिंता जताई है.
मालदीव की दोनों विपक्षी पार्टियां खुलकर भारत के समर्थन में आ गई हैं. इन पार्टियों का भारत समर्थित बयान मालदीव सरकार के उस बयान के बाद आया है, जिसमें सरकार ने कहा था कि उन्होंने चीन के एक जहाज को माले बंदरगाह पर रुकने की अनुमति दी है.
मालदीव की दोनों पार्टियों मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और द डेमोक्रेट्स ने कहा कि मौजूदा सरकार का भारत विरोधी रुख चिंताजनक है. किसी भी बड़े साझेदार विशेष रूप से लंबे समय से हमारे सहयोगी देश को अलग-थलग करना हमारे लिए हितकर नहीं है.
उन्होंने संयुक्त कॉन्फ्रेंस में कहा कि मालदीव की सरकार और भावी सरकारों को देश के लोगों की भलाई के लिए सभी सहयोगी देशों के साथ काम करना चाहिए. हिंद महासागर में स्थिरता और सुरक्षा मालदीव के लिए जरूरी है.
एमडीपी के चेयरपर्सन और पूर्व मंत्री फय्याज इस्मायल और संसद के डिप्टी स्पीकर अहमद सलीम ने द डेमोक्रेट्स पार्टी के अध्यक्ष हसन लतीफ और संसदीय समूह के नेता अली आजिम ने इस मामले को उठाते हुए संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी.
दोनों पार्टियों ने कई जरूरी मामलों में एक साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई और देश की मौजूदा विदेश नीति और पारदर्शिता की की जैसे मामलों पर चिंता जताई. बता दें कि मालदीव के 87 सदस्यीय संसद में इन दोनों पार्टियों के सांसदों की कुल संख्या 55 है.
भारत और मालदीव के बीच कैसे शुरू हुआ तनाव?
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव की सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के इस दौरे की कुछ तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद गहराया. मामले पर विवाद बढ़ने के बाद इन तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया था.
दोनों देशों के इस तनाव के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के पांच दिन के राजकीय दौरे पर चले गए थे. इस दौरे से लौटने पर मुइज्जू लगातार भारत पर निशाना साध रहे हैं.
मुइज्जू ने मालदीव लौटते ही दो टूक कह दिया था कि हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है. उन्होंने कहा था कि हम भले ही छोटा देश हो सकते हैं लेकिन इससे किसी को भी हमें बुली करने का लाइसेंस नहीं मिलता. हालांकि, मुइज्जू ने प्रत्यक्ष तौर पर किसी का नाम लेकर ये बयान नहीं दिया है. लेकिन माना जा रहा है कि उनका निशाना भारत की तरफ है.
इसके बाद मुइज्जू ने भारत से 15 मार्च से पहले मालदीव से अपने सैनिकों को हटाने को कहा था. बता दें कि चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू ने पांच दिन के अपने चीन दौरे के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी. उनका ये दौरा ऐसे समय पर हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों को सस्पेंड किया गया. इस मामले को लेकर भारत और मालदीव दोनों देशों में राजनयिक विवाद बढ़ा हुआ है.