पड़ोसी देश मालदीव में संसदीय चुनाव के लिए वोटिंग जारी है. भारत से जारी राजनयिक विवाद के बीच रविवार को हो रहे इस चुनाव पर भारत के साथ-साथ चीन की भी नजर है. इसके अलावा भारत विरोधी रुख अपनाने वाले राष्ट्रपति मुइज्जू के लिए भी यह एक शक्ति परीक्षण की तरह है. सितंबर 2023 में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही मालदीव का रुख चीन की ओर झुका हुआ है.
मालदीव चुनाव आयोग के अनुसार, इस चुनाव में आठ राजनीतिक पार्टियां के कुल 368 उम्मीदवार मैदान में हैं. 93 निर्वाचन क्षेत्रों में हो रहे चुनाव में 2.8 लाख से अधिक मतदाता 602 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. मालदीव के चुनाव आयोग ने तीन मतदान केंद्र (कोलंबो, त्रिवेन्द्रम और क्वालालंपुर) विदेशों में भी बनाए हैं.
संसदीय चुनाव राष्ट्रपति मुइज्जू के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि संसद में बहुमत नहीं होने के कारण मुइज्जू के लिए नए कानून बनाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं. मालदीव संविधान के तहत संसद के सभी निर्णयों और सरकार द्वारा प्रस्तावित विधेयकों को संसदीय बहुमत से पारित कराना आवश्यक होता है.
चुनाव को लेकर मालदीव के राष्ट्रपति ने क्या कहा?
संसदीय चुनाव को लेकर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे संसदीय चुनावों में जरूर हिस्सा लें. उन्होंने यह भी कहा कि मतदान हर नागरिक को प्राप्त एक संवैधानिक अधिकार और जिम्मेदारी है. सभी नागरिकों को अपने वोट देने के अधिकार का प्रयोग करना चाहिए.
मोहम्मद मुइज्जू के पीपीएम-पीएनसी गठबंधन ने 'इंडिया आउट' का नारा देकर सितंबर 2023 में राष्ट्रपति चुनाव जीता था. मुइज्जू ने मोहम्मद सोलिह को शिकस्त दी थी. मोहम्मद मुइज्जू और उनकी पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस को चीन समर्थक के रूप में देखा जाता है. वहीं, सोलिह को भारत समर्थक के रूप में देखा जाता रहा है.
हालांकि, भारत को उम्मीद है कि मुख्य विपक्षी और भारत समर्थक पार्टी - मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) - बहुमत हासिल करेगी.
ރައްޔިތުންގެ މަޖިލީހުގެ އިންތިޚާބު 2024 - ރާއްޖޭން ބޭރުގައި ބަހައްޓާފައިވާ ވޯަޓުފޮށިތަކުގެ ވޯޓުލުމުގެ ތެރެއިން. ރާއްޖޭން ބޭރުގައި ވޯަޓުފޮށި ބަހައްޓާފައިވަނީ އިންޑިއާ، ސްރީލަންކާ އަދި މެލޭޝިއާގައި #vihi24 pic.twitter.com/M8y1yDNboQ
— Elections Commission (@ElectionsMv) April 21, 2024
भारत और चीन की भी नजर
हिंद महासागर में स्थित सौ से अधिक द्वीपों वाला देश मालदीव रणनीतिक रूप से भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण देश है. ऐसे में रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव के नतीजे पर भारत के साथ-साथ चीन की भी निगाहें टिकी हुई हैं. यहां तक कि इस चुनाव को मालदीव की जनता के जनमत संग्रह के रूप में देखा जा रहा है कि मालदीव को भारत के साथ घनिष्ठ रिश्ते बनाए रखना है या चीन के साथ.
राष्ट्रपति मुइज्जू को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के प्रॉक्सी कैंडिडेट के रूप में देखा जाता है. मोहम्मद सोलिह से पहले पीपुल्स नेशनल कांग्रेस पार्टी के अबदुल्ला यामीन मालदीव के राष्ट्रपति थे. उस वक्त भी भारत और मालदीव के रिश्ते अपने निम्नतम स्तर पर थे.
विपक्षा पार्टी का क्या कहना है?
मतदान से पहले, एमडीपी नेता और पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद का कहना है कि उनकी पार्टी जीत को लेकर आशावादी है क्योंकि मुइज्जू सरकार पिछले पांच महीनों में घरेलू और विदेशी दोनों नीतियों में विफल रही है. मालदीव के लोग लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट देख रहे हैं.
अब्दुल्ला शाहिद ने आगे कहा, ''सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों में कर्मचारियों को धमकाया जा रहा है है. विपक्ष के हजारों लोगों को निलंबन और नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी दी जा रही है. राजनीतिक संबद्धता के आधार पर आवश्यक सेवाओं की डिलीवरी को प्रतिबंधित करने की धमकी मिल रही है.''