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तुर्की के बाद अब चीन क्यों जा रहे 'इंडिया आउट' नारा देने वाले मुइज्जू? भारत ने दिया ये रिएक्शन

भारत मालदीव की आजादी के बाद उसे एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता देने वाले देशों में शामिल था. भारत 1965 में माले में अपना मिशन खोलने वाला पहला देश बना. मालदीव की राजनीति में दो धड़े रहे हैं, जिनमें से एक का झुकाव भारत और दूसरे का चीन की तरफ रहता है.

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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने तुर्की के बाद अब अपने दूसरे विदेश दौरे के लिए भारत की बजाय चीन को चुना है.
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने तुर्की के बाद अब अपने दूसरे विदेश दौरे के लिए भारत की बजाय चीन को चुना है.

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू 8 से 12 जनवरी तक चीन की राजकीय यात्रा करेंगे. चीनी के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान कर इस बारे में जानकारी दी. अपने अधिकांश पूर्ववर्तियों के विपरीत, मुइज्जू ने निर्वाचित होने के बाद सबसे पहले भारत का दौरा करने के बजाय तुर्की को चुना. उनसे पहले के अधिकतर मालदीवियन राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद अपना पहला दौरा भारत की करते थे. मोहम्मद मुइज्जू ने COP28 के मौके पर संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. 

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मालदीव के राष्ट्रपति द्वारा अपनी दूसरी आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए तुर्की के बाद चीन को चुनने पर भारत ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, 'यह उन्हें तय करना है कि वे कहां जाते हैं और अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कैसे आगे बढ़ाते हैं'. अपने लक्जरी रिसॉर्ट्स के लिए जाने जाने वाले, 1200 से अधिक द्वीपों वाले हिंद महासागर में स्थित देश मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में मुइज्जू ने पिछले साल नवंबर में पदभार संभाला था.

मुइज्जू ने दिया 'इंडिया आउट' का नारा

उन्होंने अपने इलेक्शन मैनिफेस्टो में इस द्वीपीय देश में मौजूद लगभग 75 भारतीय सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी को हटाने का संकल्प लिया था. भारतीय सैनिकों की वापसी पर चर्चा के लिए दोनों देशों ने एक कोर ग्रुप का गठन किया है. मुइज्जू का स्लोगन था 'इंडिया आउट'. उन्होंने मालदीव के 'इंडिया फर्स्ट पॉलिसी' में भी बदलाव करने की बात कही थी. जबकि नई दिल्ली और बीजिंग दोनों इस क्षेत्र में प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार को चीन समर्थक माना जाता है.

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चीनी कर्ज की जाल में फंसा है मालदीव

आईएमएफ के ताजा आंकड़ों के अनुसार, मालदीव पर चीन का लगभग 1.3 बिलियन डॉलर (1 खरब से ज्यादा)बकाया है. चीन मालदीव का सबसे बड़ा बाहरी ऋणदाता है. इस द्वीपीय देश के कुल सार्वजनिक ऋण में लगभग 20% हिस्सेदारी चीन की है. नई दिल्ली की यात्रा से पहले राष्ट्रपति मुइज्जू की बीजिंग यात्रा इस बात का बिल्कुल स्पष्ट संकेत है- कि भारत उनके लिए प्राथमिकता में नीचे है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, 'राष्ट्रपति शी जिनपिंग मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के लिए एक स्वागत समारोह का आयोजन करेंगे और उनके स्वागत में भोज भी देंगे'.

भारत और मालदीव के संबंध और चीन

भारत मालदीव की आजादी के बाद उसे एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता देने वाले देशों में शामिल था. भारत 1965 में माले में अपना मिशन खोलने वाला पहला देश बना. मालदीव की राजनीति में दो धड़े रहे हैं, जिनमें से एक का झुकाव भारत और दूसरे का चीन की तरफ रहता है. मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी भारत समर्थक मानी जाती है, जिसके नेता इब्राहिम मोहम्मद सोलिह मुइज्जू से पहले मालदीव के राष्ट्रपति थे. वहीं पीपुल्स नेशनल कांग्रेस का झुकाव चीन की ओर माना जाता है, जिसके नेता मोहम्मद मुइज्जू अभी मालदीव के राष्ट्रपति हैं.

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भारत करता रहा है मालदीव की मदद

भारत और मालदीव के बीच छह दशकों से अधिक पुराने राजनयिक, सैन्य, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं. इस द्वीपीय देश को कई बार विपरित परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है, तब भारत उसकी मदद को आगे आया है. साल 1988 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सेना भेजकर मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को बचाया था. मालदीव 2018 में पेयजल की समस्या से जूझ रहा था. तब प्रधानमंत्री मोदी ने वहां पीने का पानी भेजा था. भारत सरकार ने मालदीव को कई बार आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए कर्ज भी दिया है. 

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