मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच महिलाओं के यौन उत्पीड़न के वायरल वीडियो पर टिप्पणी करते हुए भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि मणिपुर में जारी हिंसा भारत का आंतरिक मामला है. लेकिन जब भी मैं कहीं इस तरह की हिंसा देखता हूं तो दिल दुखता है. गार्सेटी ने यह टिप्पणी अमेरिकी राजधानी वॉशिगंटन में आयोजित एक कार्यक्रम में की है.
दो महीने से ज्यादा समय से मणिपुर में जारी हिंसा के बीच बुधवार देर रात एक वीडियो सामने आया है. वायरल वीडियो में मणिपुर के कांगपोकपी जिले के एक गांव में कुकी-जोमी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया जा रहा है. मणिपुर पुलिस ने बताया है कि यह वीडियो 4 मई का है. अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
इस तरह की घटनाएं दिल दुखाने वाली: अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी
भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी फिलहाल अमेरिकी अधिकारियों के साथ परामर्श के लिए वॉशिगंटन में हैं. इसी दौरान मणिपुर में दो महिलाओं के साथ हुई हैवानियत से जुड़ा एक सवाल पूछा गया.
इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "मैंने अभी तक वीडियो नहीं देखा है. यह पहली बार है जब मैं इस (मणिपुर में यौन उत्पीड़न) बारे में सुन रहा हूं. मणिपुर में जारी हिंसा भारत का आंतरिक मामला है. लेकिन जैसा मैंने पहले भी कहा था, जब भी इस तरह की घटना होती है तो मानवीय पीड़ा होती है और हमारा दिल टूट जाता है. चाहे वह हमारे पड़ोस में हो या दुनिया भर में. या उस देश में ऐसी घटना हो जहां हम रह रहे हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए अमेरिका राजदूत ने आगे कहा, "हमारी संवेदनाएं भारतीय लोगों के साथ है. एक इंसान होने के नाते हम हमेशा इस तरह के दर्द और पीड़ा के प्रति सहानुभूति रखते हैं."
इससे पहले 6 जुलाई को कोलकाता के अमेरिकन सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी गार्सेटी ने इसे मानवीय समस्या बताया था और शांति बहाली के लिए मदद की पेशकश की थी. उन्होंने कहा था, "मणिपुर में हिंसा एक मानवीय समस्या है. हम वहां की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. हम जानते हैं कि यह भारत का आंतरिक मामला है. लेकिन अगर पूछा गया तो हम किसी भी तरह से सहायता करने के लिए तैयार हैं."
यूरोपीय संसद ने की तीखी आलोचना, अमेरिका ने बताया आंतरिक मामला
अमेरिका मणिपुर हिंसा को लेकर मोदी सरकार की सीधे तौर पर आलोचना करने से बचता रहा है. हालांकि, मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर यूरोपीय यूनियन की ब्रुसेल्स स्थित संसद ने बीते सप्ताह एक प्रस्ताव पेश किया गया था जिसे भारत सरकार ने खारिज कर दिया था. यूरोपीय संसद में पेश किए प्रस्ताव में मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की गई थी. प्रस्ताव में पिछले दो महीने से मणिपुर में जारी हिंसा की निंदा करते हुए ईयू के शीर्ष अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वो स्थिति में सुधार के लिए भारत सरकार से बात करें.
भारत ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था. भारत सरकार ने कहा था कि मणिपुर का मुद्दा भारत का आंतरिक मुद्दा है. भारत ने कहा था कि यूरोपीय संसद में प्रस्ताव पर बहस ऐसे समय में हो रही है जब मणिपुर हिंसा को लेकर भारत सरकार अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है.
160 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत
3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं. हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध किया. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी और नागा आदिवासी की संख्या 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.