दुनिया अभी कोरोना संक्रमण से जूझ रही है, इसी बीच नई बीमारियां भी सामने आ रही हैं. अब पश्चिमी अफ्रीका के घाना में खतरनाक संक्रमण मारबर्ग के मरीज पाए गए हैं. दरअसल, मारबर्ग संक्रमण इबोला वायरस से भी अधिक तेजी से फैलता . घाना के डॉक्टर्स ने दो मरीजों के सैंपल लिए हैं. अगर इनमें मारबर्ग की पुष्टि हो जाती है, तो घाना में मारबर्ग वायरस के यह पहले केस होंगे.
जानकारी के मुताबिक, घाना के नोगुची मेमोरियल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च ने 2 मरीजों के सैंपल कलेक्ट किए हैं. इनकी जांच करने पर यह सामने आया है कि दोनों केस मारबर्ग पॉजिटिव हैं. हालांकि अब इन सैंपल्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सेंटर सेनेगल में इंस्टीट्यूट पाश्चर को भेजा गया है, ताकि इस बात की WHO की ओर से आधिकारिक पुष्टि हो सके कि मरीजों में मारबर्ग का संक्रमण है अथवा नहीं.
मारबर्ग के मरीजों में मिले ये लक्षण
घाना के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दोनों मरीजों में दस्त, उल्टी, बुखार और घबराहट के लक्षण दिखाई दिए. दोनों मरीज दक्षिण आशांती क्षेत्र के रहने वाले हैं, उन्हें स्थानीय अस्पताल ले जाया गया. वहीं, घाना में WHO के प्रतिनिधि डॉ. फ्रांसिस कासोलो ने कहा कि हम घाना के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि वायरस का पता लगाया जा सके. इसके साथ ही मरीजों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी की जा रही है. क्योंकि यह वायरस की जांच में अहम भूमिका निभाएगी. हमें इसके जरिए ये जानने में आसानी होगी कि मरीजों तक ये मारबर्ग वायरस पहुंचा कैसे.
मरीजों को ऑब्जर्बेशन में रखा गया है
डॉ. फ्रांसिस कासोलो ने कहा कि दोनों मरीजों के सैंपल कलेक्ट किए गए हैं, वह फिलहाल ऑब्जर्वेशन में हैं. डॉक्टर्स उनका इलाज कर रहे हैं. इसके साथ ही घाना के स्वास्थ्य अधिकारियों से बात की गई है कि अगर इस तरह के और भी केस सामने आते हैं तो उनके इलाज की समुचित व्यवस्था कराई जाए. साथ ही रोगिय़ों की कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग का गंभीरता के साथ परीक्षण किया जाए. इतना ही नहीं, लोगों को मारबर्ग वायरस के बारे में जागरूक किया जाना भी बेहद जरूरी है. लोगों को बताया जाएगा कि इससे कैसे बचाव करें. या फिर संक्रमित होने पर क्या उपचार जरूरी है. इसके लिए इमरजेंसी टीमों को एक्टिव किया जाएगा.
कैसे फैलता है मारबर्ग संक्रमण?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो मारबर्ग संभवतः चमगादड़ से लोगों में फैलता है. संक्रमित होने पर तेज बुखार, सिरदर्द की शिकायत होती है. जबकि कुछ मरीजों में संक्रमित होने के 7 दिन के अंदर ब्लीडिंग के मामले भी सामने आए हैं. इस वायरस के इलाज के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं है.
गिनी में भी मिल चुके हैं मारबर्ग के मरीज
WHO के अधिकारी डॉ. फ्रांसिस कासोलो के मुताबिक अगर इन मरीजों में मारबर्ग की पुष्टि हो जाती है तो घाना पश्चिमी अफ्रीका का दूसरा देश होगा, जहां मारबर्ग का पता चला है, इससे पहले गिनी में इस वारयस का मरीज सामने आया था. अफ्रीका में मारबर्ग के केस अंगोला, कांगो केन्या, दक्षिण अफ्रीका और युगांडा में दर्ज किए गए हैं.