अफगानिस्तान से लेकर पैंगोंग में निर्माण की चर्चा के बीच गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें उन्होंने कई मुद्दों को लेकर चर्चा की. पैंगोंग झील पर चीन के पुल बनाने की बात पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि वो इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि जिस जगह पर निर्माण कार्य चल रहा है, वो पिछले 60 साल से ज्यादा समय से चीन के कब्जे वाला क्षेत्र है.
अफगानिस्तान को सहायता पर
अफगानिस्तान को सहायता पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम 50,000 टन गेहूं की आपूर्ति के साथ-साथ चिकित्सा सहायता और आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम सहायता भेजने के तरीके खोजने और तौर-तरीकों पर काम करने के लिए पाकिस्तान के संपर्क में हैं. इस बीच, हमने हवाई सेवाओं के जरिए जीवन रक्षक दवाएं अफगानिस्तान भेजी हैं.
वहीं कॉन्फ्रेंस में मंत्रालय ने बताया गया कि हमने अरुणाचल के कुछ क्षेत्रों पर चीनी पक्ष द्वारा दावा किए जाने की खबरें देखी थीं. ये दावे हास्यास्पद हैं. ये दावे इस तथ्य को नहीं बदलते हैं कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा. इसके अलावा कथित तौर पर गलवान से चीनी वीडियो के मामले पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हैं. तो उसके बारे में कहने के लिए बहुत कुछ नहीं है.
पैंगोंग में निर्माण पर
दूसरी तरफ पैंगोंग में निर्माण पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है. चीन के अवैध कब्जे वाले इलाकों में पिछले कई दशकों से निर्माण गतिविधियां हो रही हैं. उन्होंने कहा कि जिस जगह पर निर्माण कार्य चल रहा है वो क्षेत्र बीते 60 सालों से चीन के कब्जे में है.
चीनी राजनयिक द्वारा भारतीय सांसदों को लिखे जाने पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने रिपोर्ट्स देखी हैं. पत्र का सार, स्वर और अवधि अनुपयुक्त है. सांसद अपने विश्वास और कर्तव्य के अनुसार गतिविधि करते हैं. हम चीनी पक्ष से इस तरह के कृत्यों से परहेज करने का आग्रह करते हैं.