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इजरायली बमबारी के बीच लेबनान में पलायन शुरू, डर के माहौल में एक लाख लोगों ने छोड़ा अपना घर

बेरूत में हिज्बुल्लाह के हेडक्वार्टर पर बमबारी के बाद से लेबनान में डर का माहौल है. इसी बीच लोगों ने लेबनान-सीरिया बॉर्डर से पलायन शुरू कर दिया है. तीन दिन में एक लाख से ज्यादा लोग अपने घर छोड़कर सीरिया चले गए हैं, क्योंकि वह सोचते रहे हैं कि अब लेबनान में कोई भी सुरक्षित ठिकाना नहीं है.

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लेबनान से पलायन शुरू.
लेबनान से पलायन शुरू.

हिज्बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद पूरे लेबनान में डर का माहौल है. बेरूत में हिज्बुल्लाह के हेडक्वार्टर पर इजरायली बमबारी से मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ गया है.

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इस संघर्ष में ईरान और अमेरिका के शामिल होने की संभावनाएं लगाई जा रही हैं, जबकि इजरायल लेबनान की राजधानी बेरूत और अन्य इलाकों में हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर बमबारी कर रहा है. आजतक लेबनान में हिज्बुल्लाह और इजरायल के बीच जारी युद्ध पर ग्राउंड जीरो से नजर बनाए हुए है. आइए जानते हैं वहां के ताजा हालात...

एक लाख लोगों ने छोड़ा घर

हिज्बुल्लाह ने नसरल्लाह की मौत के बाद से ही इजरायल के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया है. युद्ध के बीच पिछले तीन दिनों के दौरान एक लाख से ज्यादा लोग लेबनान-सीरियाई बॉर्डर को पार कर चुके हैं.
दरअसल, दक्षिणी लेबनान के लोग न सिर्फ इजरायल द्वारा आगे किए जाने वाले हमलों से डरे हुए हैं, बल्कि उन्हें यह भी पता है कि इजरायल और लेबनान के बीच यह तनाव और बढ़ने वाला है. चूंकि हिजबुल्लाह ने शुक्रवार को अपने महासचिव और प्रमुख सईद हसन नसरुल्लाह की हत्या के बाद पहले ही इजरायल के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी है.

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लेबनान में नहीं है कोई सुरक्षित ठिकाना?

लेबनान-सीरियाई बॉर्डर पार करने वाले लोगों में न केवल लेबनान के निवासी, बल्कि सीरियाई युद्ध के दौरान यहां आए शरणार्थी भी अब अपने देश की ओर लौट रहे हैं. क्योंकि वह जानतें है कि यह इजरायल के विरुद्ध युद्ध है और वो सोचते हैं कि अब लेबनान में किसी भी तरह का कोई भी सुरक्षित ठिकाना नहीं है. वहीं, लेबनान का असद शासन पहले से ही हिज्बुल्लाह और उसके फाइटरों के समर्थन में है. क्योंकि सीरिया युद्ध के दौरान हिज्बुल्लाह ने न केवल बशर अल असद की मदद की थी और उनकी सरकार को भी बचाते हुए उनकी सत्ता में फिर से वापसी कराई थी. अब वह हिज्बुल्लाह के कर्ज को चुकाने की कोशिश कर रहा है. इस मुश्किल वक्त में हिज्बुल्लाह के प्रति भी इस तरह की जिम्मेदारी है. 

लेबनान-सीरिया के लिए है खतरा

इसलिए न केवल लेबाननी विस्थापित लोगों को सीरिया तक पहुंच आसान कर दी है, बल्कि सीरिया में भी असद सरकार उनके पुनर्वास और अन्य लॉजिस्टिक के लिए मदद कर रही है. लेकिन एक बात साफ है कि सीरिया में असद विरोधी शासन और असद विरोध लोग भी हैं. सीरिया में नसरल्लाह की मौत का विरोध भी हुआ था और जश्न भी मनाया गया था, क्योंकि सीरिया में आबादी का एक बड़ा वर्ग सीरिया युद्ध के दौरान हिज्बुल्लाह के साथ-साथ हसन नसरल्लाह द्वारा बुरी तरह प्रभावित हुआ था. और कुछ साल पहले सीरिया के उस संकट में हजारों लोग मारे गए थे. संकट का खतरा न केवल लेबनान-सीरिया पर, बल्कि कई पश्चिम एशिया देशों के लिए भी है. 

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वहीं, लेबनान में हिजबुल्लाह की पकड़ है और सरकार हिजबुल्लाह नेतृत्व के पास है, इसका मतलब है कि वे किसी भी तरह से लेबनान में खराब स्थिति पर अंकुश लगा सकते हैं. लेकिन सीरिया अभी एक लंबी लड़ाई से बाहर आया है. असद शासन के लिए बंधकों के साथ-साथ सीरिया में अन्य संकटों को नियंत्रित करना बहुत कठिन होगा.

हिज्बुल्लाह का नया चीफ बना हाशिम सफीद्दीन

बता दें कि नसरल्लाह की मौत के बाद हिजबुल्लाह ने अपने नए नेता के नाम का ऐलान कर दिया है. अब हाशिम सफीद्दीन को हिज्बुल्लाह की कमान सौंपी गई है. खास बात ये है कि सफीद्दीन भी हसन नसरुल्लाह की तरह मौलवी है और रिश्ते में उसका चचेरा भाई भी है. जानकारी के अनुसार, 1964 में दक्षिणी लेबनान के डेर कानून एन नहर में जन्मा हाशिम सफ़ीद्दीन एक प्रमुख लेबनानी शिया मौलवी और हिज़्बुल्लाह का वरिष्ठ अधिकारी रहा है.

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