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ऑक्सीजन खत्म होने से पहले भी जा सकती है टाइटन पनडुब्बी में सवार लोगों की जान, एक्सपर्ट ने जताई आशंका

पांच अरबपतियों को टाइटैनिक का मलबा दिखाने ले जा रही लापता 'टाइटन' पनडुब्बी की तलाश लगातार जारी है. पनडुब्बी रविवार को ही लापता हुई थी और उसमें महज 96 घंटे का ही ऑक्सीजन था. इसी बीच कुछ विशेषज्ञ ऐसी आशंका जता रहे हैं कि पनडुब्बी का ऑक्सीजन खत्म होने से पहले ही उसमें सवार पांच लोगों की मौत हो चुकी होगी.

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पनडुब्बी में कितना ऑक्सीजन?
पनडुब्बी में कितना ऑक्सीजन?

समुद्र में डूबे पानी के मशहूर जहाज टाइटैनिक के मलबे को दिखाने वाली लापता पनडुब्बी की तलाश लगातार जारी है. अमेरिकी और कनाडाई कोस्ट गार्ड्स के साथ-साथ कई देशों की तटरक्षक टीम पनडुब्बी की तलाश में लगे हुए हैं. पनडुब्बी में 5 लोग सवार हैं, जिनमें ब्रिटिश अरबपति हामिश हार्डिंग और पाकिस्तानी टाइकून शहजादा दाऊद व उनका बेटा भी शामिल है. 

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रिपोर्ट्स के अनुसार, आशंका जताई जा रही है कि पनडुब्बी में अभी तक का बाकी ऑक्सीजन भी समाप्त हो गया होगा. साथ ही चालक दल के पास ज्यादा समय तक का राशन भी मौजूद नहीं है. अगर जल्द ही पनडुब्बी की तलाश नहीं की गई तो उसमें सवार सभी लोगों का जीवन और ज्यादा संकट में आ जाएगा. इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि पनडुब्बी में ऑक्सीजन कितने समय तक सभी लोगों को बचाए रख सकता है, यह अंदाजा लगाना मुश्किल है.  

लापता होने के कुछ घंटे बाद ही मर गए होंगे पनडुब्बी में सवार लोग

रॉयल नेवी के अनुभवी गोताखोर रे सिंक्लेयर का कहना है कि पनडुब्बी के लापता होने से पहले ही उसमें सवार पांच लोगों की मौत हो चुकी होगी.

सिंक्लेयर ने कहा, 'टाइटन पनडुब्बी में सवार लोगों की संभवत: गायब होने के कुछ घंटे बाद ही कार्बनडाइ-ऑक्साइड पॉइजनिंग से डरावनी मौत हो गई होगी.'

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अमेरिका के डेली एक्सप्रेस से बात करते हुए सिंक्लेयर ने कहा, 'इन पनडुब्बियों में बैटरियां लगी होती हैं जिनकी लाइफ बेहद कम होती है. उनमें CO2 स्क्रबर होते हैं. जब ये बैटरियां खत्म हो जाती हैं तो पनडुब्बी में ऑक्सीजन खत्म होने से पहले ही कार्बन डाई ऑक्साइड की अधिकता से लोगों का दम घुट सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जहरीली गैस उनके फेफड़ों में भर जाती है.'

वो कहते हैं, 'गैस के पनडुब्बी में भर जाने से उन्हें बहुत जल्दी नींद आ जाएगी और वे उससे बेहोश हो जाएंगे. पनडुब्बी में CO2 के निकलने की कोई जगह नहीं है, मुझे डर है कि वो पनडुब्बी का ऑक्सीजन खत्म होने से पहले ही न मर चुके हों.'

वहीं, सेंट जॉन्स, न्यूफाउंडलैंड की मेमोरियल यूनिवर्सिटी से जुड़े एक्सपर्ट डॉक्टर केन लेडेज ने बीबीसी से कहा कि पनडुब्बी में ऑक्सीजन पर जिंदा रहना कई परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है. पनडुब्बी में फंसे कुछ लोग ज्यादा लंबे समय तक भी जिंदा रह सकते हैं.

ऐसे कम इस्तेमाल होगा ऑक्सीजन

डॉक्टर ने कहा कि यह निर्भर करता है कि पनडुब्बी में मौजूद लोगों को कितनी ठंड लग रही है और कितनी तेजी के साथ वे ऑक्सीजन ले रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि मान लीजिए अगर कोई ठंड से कांप रहा है तो ऑक्सीजन ज्यादा खर्च होगी. जबकि अगर सब चिपक लोग चिपक पर बैठ जाएं तो गर्मी पैदा होगी, जिससे ऑक्सीजन कम इस्तेमाल होगी.

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डॉक्टर लेजेड ने कहा कि ऑक्सीजन का खत्म होते जाना एक क्रमिक प्रक्रिया है. हालांकि, डॉक्टर ने कहा कि अभी पनडुब्बी में कैसे हालात हैं, इस बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि वहां परिस्थितियां अलग हो सकती हैं. 

डॉक्टर लेडेज ने कहा कि ऑक्सीजन का खत्म होना ही सिर्फ एक खतरा नहीं है. पनडुब्बी में अगर बिजली चली गई तो और ज्यादा संकट पैदा हो जाएगा. बिजली जाने का असर ऑक्सीजन पर भी पड़ेगा. ऑक्सीजन कम होगा तो सांस से बाहर आ रहे कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने लगेगा, जो बेहद खतरनाक हो सकता है.

जैसे-जैसे कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ेगा, सब बेहोश हो जाएंगे 

डॉक्टर लेजेड ने आगे कहा कि जैसे-जैसे कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ेगा, वह बेहोश करने वाली गैस की तरह हो जाएगा, जिससे लोग सोने लगेंगे. उन्होंने आगे कहा कि किसी भी शरीर में ज्यादा मात्रा में गैस होने को हाइपरकैप्निया कहते हैं, और इस कंडीशन में इंसान की जान भी जा सकती है.

वहीं ब्रिटिश रॉयल नेवी सबमरीन के कैप्टन रहे रायन रैमसे कहते हैं कि उन्होंने टाइटन पनडुब्बी की ऑनलाइन वीडियो देखी हैं, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइन को बाहर निकालने का सिस्टम कहीं नजर नहीं आया. इस सिस्टम को स्क्रबर्स कहते हैं. पूर्व कैप्टन ने आगे कहा कि उनके हिसाब से सबसे बड़ी परेशानी यही है. 

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पूर्व सबमरीन कैप्टन ने आगे कहा कि ठंड बढ़ने की वजह से सभी लोग हाइपोथर्मिया का भी शिकार हो सकते हैं. इस कंडीशन में इंसान के शरीर का तापमान सामान्य से कम होने लगता है.

पूर्व कैप्टन ने कहा कि अगर सभी लोग आराम से सांस लें तो यह उनके लिए थोड़ा मददगार हो सकता है. लेकिन ऐसी स्थिति में ऐसा कर पाना काफी ज्यादा मुश्किल है.

वहीं डॉक्टर लेडेज ने कहा कि यह भी एक संभावना है कि अगर सभी लोगों को ज्यादा ठंड लगे और वे बेहोश हो जाएं तो जान बच सकती है. उन्होंने बताया कि ऐसी कंडीशन में शरीर अपने आप ही बचाव की कोशिश करने लगता है.

अंत में डॉक्टर लेजेड ने सभी सर्च टीम से अपील की है कि सर्च ऑपरेशन को जल्द न रोका जाए, क्योंकि पनडुब्बी में सवार लोग कम ऑक्सीजन लेवल पर भी जीवित रह सकते हैं. 

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