भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा है कि अफगानिस्तान में पिछले एक दशक से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के संयुक्त प्रयासों के बावजूद युद्ध प्रभावित देश में आतंकवाद का खतरा बरकरार है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि मंजीव पुरी ने कहा, ‘आतंकवाद के गिरोहों को अभी हमें जड़ से उखाड़ना है. इनमें अलकायदा, तालिबान, लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी व कट्टरपंथी संगठन शामिल हैं, जो कि अफगानिस्तान की सीमाओं में सुरक्षित स्थानों से अपनी गतिविधियों का संचालन करते हैं.’
अफगानिस्तान के मामले में किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से अमेरिका और उसके सहयोगियों को आगाह करते हुए भारत ने सुरक्षा परिषद को बताया कि ये देश तो युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान से हटने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन उसी तरह वहां से हटने की कोई तैयारी आतंकी संगठनों की नहीं है.
अफगानिस्तान की स्थिति पर विशेष चर्चा में बोलते हुए पुरी ने कहा, ‘बेशक, नाटो हाल ही में हुई आतंकी घटनाओं और हिंसा के आधार पर यह दावा कर रहा हो कि अफगानिस्तान में ‘अभियान पूरा हो गया’ लेकिन ऐसे ही ‘पीछे हटने’ की कोई तैयारी वहां की सीमा पर सक्रिय आतंकी संगठनों की नहीं है.’
पुरी ने कहा कि अफगानिस्तान में होने वाले परिवर्तनों ने अब तक उस क्षेत्र और दुनिया की सुरक्षा को प्रभावित किया है और आगे भी ऐसा ही होगा.
उन्होंने कहा, ‘हम आतंक के उन आश्रय स्थलों को आज भी नहीं भूले हैं जिन्होंने 1990 में अव्यवस्था में फंस चुके अफगानिस्तान में भारी तबाही मचाई. हम नहीं चाहते कि ऐसा अब दोबारा हो.’