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Explainer: अमेरिका में मॉर्डना की वैक्सीन को मंजूरी, भारत में इसकी क्या संभावनाएं?

अमेरिका में फाइजर के बाद अब मॉर्डना की वैक्सीन को भी मंजूरी मिल गई है. अमेरिका में अब दो वैक्सीन पर काम शुरू हो गया है, ऐसे में वैक्सीन के इंतजार में बैठे भारत की भी उम्मीदें बढ़ने लगी हैं.

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अमेरिका में मॉर्डना की वैक्सीन को मंजूरी
अमेरिका में मॉर्डना की वैक्सीन को मंजूरी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अमेरिका में मॉर्डना वैक्सीन को मंजूरी
  • फाइजर से कुछ अलग है ये वैक्सीन

कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया की लड़ाई लगातार चल रही है. ब्रिटेन और अमेरिका के बाद अब कई अन्य देश भी वैक्सीन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, भारत भी इस रेस में है. गुरुवार को वैक्सीन को लेकर एक और सुखद खबर आई, अमेरिका ने फाइज़र के बाद अब मॉर्डना वैक्सीन को इजाजत दे दी है. यानी जल्द ही अब अमेरिकी लोगों के पास दो वैक्सीन का ऑप्शन होगा, जिससे कोरोना के खिलाफ लड़ाई तेज होगी. मॉर्डना वैक्सीन की भारत में कितनी उम्मीदें हैं, ये फाइज़र की वैक्सीन से कितनी अलग है, इसके बारे में कुछ डिटेल जानें... 

कौन तैयार कर रहा वैक्सीन?
अमेरिकी कंपनी Modified RNA यानी Moderna उन कंपनियों में से एक है, जिसने सबसे पहले कोविड वैक्सीन बनाने का दावा किया था. मॉर्डना ने मार्च में ही अपनी वैक्सीन mRNA-1273 के पहले ट्रायल की इजाजत मांग ली थी, जिसके बाद से ही अलग-अलग स्तर पर काम चल रहा है. 

कंपनी ने जुलाई में अपने दूसरे ट्रायल को शुरू किया और उसके बाद तीसरे ट्रायल को खत्म कर 30 नवंबर को अमेरिका के FDA से इस्तेमाल की इजाजत मांगी, जो अब मिल गई है. अमेरिकी मीडिया नेटवर्क CNN के मुताबिक, इससे पहले Moderna के काफी कम प्रोडक्ट्स को ही इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. 

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कितना काम करती है मॉर्डना वैक्सीन? 
कंपनी का दावा है कि ट्रायल में उसका सफलता रेट 94.1 फीसदी है. इस वैक्सीन के ट्रायल में करीब 15 हजार लोगों को डोज दी गई, जिसमें सिर्फ 11 की ही तबीयत कुछ हदतक खराब हुई थी. इस वैक्सीन की भी दो डोज कुछ अंतराल पर दी जाती हैं. अमेरिकी सरकार ने अभी मॉर्डना की करीब 100 मिलियन डोज रिजर्व की हैं.

फाइज़र से कितनी अलग है वैक्सीन?
अगर सफलता के रेट की बात करें, तो फाइजर और मॉर्डना की वैक्सीन दोनों ही 95 फीसदी के आसपास हैं. ऐसे में सफलता के हिसाब से ये दोनों एक दूसरे को टक्कर देती हैं, लेकिन मॉर्डना वैक्सीन की खासियत ये है कि इसे रखने के लिए किसी स्पेशल कोल्ड स्टोरेज की जरूरत नहीं है. मॉर्डना वैक्सीन को -20 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में रखा जा सकता है, इसके अलावा घर के फ्रीजर में भी इसे स्टोर किया जा सकता है. जबकि फाइजर वैक्सीन के लिए -75 तक डिग्री तक का तापमान चाहिए. 

हालांकि, अगर दाम की बात करें तो मॉर्डना वैक्सीन काफी महंगी हो सकती है. मॉर्डना का अमेरिकी रेट करीब 37 डॉलर प्रति डोज है, जबकि फाइजर की डोज़ 19 डॉलर तक के दाम में मिल रही है. 

भारत में मॉर्डना वैक्सीन के कितने आसार?
भारत में इस वक्त करीब आठ वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, जिसमें से तीन देशी हैं. अगर मॉर्डना की बात करें तो अभी इसका भारत में प्रोडक्शन के लिए किसी कंपनी से करार नहीं है, ऐसे में आसार हैं कि कोवैक्स परियोजना से इसे भारत में लाया जा सकता है. हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक भारत सरकार की कोशिश है कि मॉर्डना का प्रोडक्शन और ट्रायल भी भारत में जल्द शुरू किया जा सके. इसके लिए अभी बायोटेक से संपर्क किया जा रहा है, जो जायडस की वैक्सीन पर भी काम कर रहा है. 

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