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जापान के PM शिंजो अबे ट्विटर पर तीन लोगों को फॉलो करते हैं और उनमें से एक हैं नरेंद्र मोदी

राष्ट्रवादी तेवरों वाले जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के ट्विटर पर लाखों फॉलोअर हैं, मगर सिर्फ तीन लोगों को फॉलो करते हैं. 27 साल से उनकी पत्नी अकी अबे, जापान के सर्वाधिक प्रतिष्ठित पत्रकार, इतिहासकार और साहित्यकार नाओकी इनोसे और भारत के अगले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

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जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे

राष्ट्रवादी तेवरों वाले जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के ट्विटर पर लाखों फॉलोअर हैं, मगर सिर्फ तीन लोगों को फॉलो करते हैं. 27 साल से उनकी पत्नी अकी अबे, जापान के सर्वाधिक प्रतिष्ठित पत्रकार, इतिहासकार और साहित्यकार नाओकी इनोसे और भारत के अगले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

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2012 में सत्ता में वापसी करने वाले जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ने देश की कुछ गिरती अर्थव्यवस्था को नए सिरे से संवारा है. उन्होंने लोकसभा चुनावों के नतीजे आते ही देश के अगले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी.

शिंजो ने मोदी को फोन पर बधाई दी, मगर मोदी ने उन्हें ट्विटर पर भी धन्यवाद अदा किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी जापान के प्रधानमंत्री उनके संपर्क में लगातार थे. मोदी ने कहा कि जब पश्चिमी देशों के राष्ट्राध्यक्ष उनसे संपर्क करने से बचते थे, तब भी शिंजो का उन्हें साथ मिला. मोदी ने उम्मीद जताई कि वे दोनों मिलकर भारत और जापान के रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे.

काफी समानताएं हैं शिंजो और मोदी में

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शिंजो जब सत्ता में आए तब जापान की वैसी ही स्थिति थी, जैसी अभी भारत की हो रखी है. अच्छी आर्थिक स्थित लड़खड़ाने लगी थी और देश नए सिरे से उम्मीद की आकांक्षा कर रहा था. ऐसे में छह साल के कुशासन के बाद शिंजो ने 2012 में सत्ता में प्रभावी ढंग से वापसी की. बीजेपी के नरेंद्र मोदी भी भारतीय लोगों खासकर युवाओं की देश को नए सिरे से ढर्रे पर लाने की उम्मीदों के तले इस मुकाम तक पहुंचे हैं.

इन दोनों में समानताओं के बारे में बात करते हुए रणनीतिकार ब्रह्मा चेलानी लिखते हैं, 63 साल के नरेंद्र मोदी अबे के उदार राष्ट्रवाद की तरह ही अपना दर्शन सामने रखते हैं. दोनों ही अपने मुल्क को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे ले जाना चाहते हैं और देश का यकीन नए सिरे से बहाल करना चाहते हैं. दोनों को ही नीति के स्तर पर काफी काम करने हैं. चेलानी लिखते हैं कि दोनों ही नेता बाजार आधारित अर्थव्यवस्था के हिमायती हैं और एशियाई देशों में करीबी रिश्तों के मुखर हिमायती भी.

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