scorecardresearch
 

रानी लक्ष्मीबाई की ओर से ऑस्ट्रेलियाई वकील की लिखी याचिका एबट को भेंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम टोनी एबॉट को रानी लक्ष्मीबाई की ओर से ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लिखी आस्ट्रेलियाई वकील जॉन लांग की याचिका भेंट की. मोदी ने इसे द्विपक्षीय वार्ता से ठीक पहले एबॉट को भेंट किया.

Advertisement
X
एबॉट को भेंट करते पीएम मोदी
एबॉट को भेंट करते पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम टोनी एबॉट को रानी लक्ष्मीबाई की ओर से ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लिखी ऑस्ट्रेलियाई वकील जॉन लांग की याचिका भेंट की. मोदी ने इसे द्विपक्षीय वार्ता से ठीक पहले एबॉट को भेंट किया.

Advertisement

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरूद्दीन ने ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को ऑस्ट्रेलियाई जॉन लांग द्वारा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की ओर से ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1854 में लिखी याचिका की मूल प्रति भेंट की.

मोदी की ओर से एबॉट को दिए गए इस उपहार के जरिये भारतीय इतिहास में जॉन लांग का योगदान दिखाई देता है. लांग का जन्म 1816 में सिडनी में हुआ था और उन्हें ऑस्ट्रेलिया का पहला मूल उपन्यासकार माना जाता है. लांग कई प्रतिभाओं के धनी थे. वह एक वकील के साथ पत्रकार और जन्मजात मुसाफिर थे.

लांग 1842 में भारत गए और उसे अपना घर बना लिया. उन्होंने भारतीय भाषा सीखी और वकालत के पेशे को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया. उन्होंने मेरठ से ‘द मुफस्सीलाइट’ और बाद में मसूरी से भी अखबार भी शुरू किया. इस अखबार में ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों की आलोचना भी होती थी जिसके लिए उन्हें कुछ समय के लिए जेल में भी रहना पड़ा.

Advertisement

1854 में लांग ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के वकील के रूप में काम किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई का प्रतिनिधित्व किया.

इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई संसद के परिसर में मोदी ने सलामी गारद का निरीक्षण किया. उनके सम्मान में 19 तोपों की सलामी भी दी गई. इस मौके पर ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री और कई भारतीय मौजूद थे.

- इनपुट भाषा

Advertisement
Advertisement