भारत और मालदीव के बीच राजनयिक मोर्चे पर तनाव की स्थिति बनी हुई है. भारतीय सेना के पहले जत्थे की वापसी के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि 'मालदीव एक छोटा देश नहीं है.' चीन समर्थक राष्ट्रपति का कहना है कि उन्होंने जो भी किया वो अपने देश की सुरक्षा के लिए किया है और इससे 'बाहरी पार्टियों' को समस्या नहीं होनी चाहिए.
चीन समर्थित राष्ट्रपति मुइज्जू का बयान ऐसे समय में आया है, जब भारतीय सेना का एक हेलीकॉप्टर जवानों के एक जत्थे को लेकर भारत लौटा है. यह हेलीकॉप्टर भारत ने ही मालदीव को गिफ्ट के तौर पर दिया था लेकिन चुनाव जीतने के बाद से ही मुइज्जू अपने भारत विरोधी अभियानों में जुटे हैं.
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'आत्मनिर्भरता' की तरफ बढ़े मुइज्जू के कदम!
मोहम्मद मुइज्जू ने कहा, "मालदीव एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है और मालदीव के अधिकार क्षेत्र की निगरानी से किसी भी बाहरी पक्ष को चिंता नहीं होनी चाहिए." मुइज्जू के कार्यालय की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि, "उन्होंने मालदीव के आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने और हर पहलू में एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र बने रहने की जरूरतों पर जोर दिया."
मुइज्जू ने कहा कि मालदीव की स्वतंत्रता और संप्रभुता "अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद, पूरी आबादी के साझा हित में होनी चाहिए." उन्होंने कहा कि इससे मालदीव के सभी देशों के साथ घनिष्ठ संबंधों में बाधा नहीं आएगी.
भारतीय सेना की जगह पहुंची सिविलियन टेक्निकल टीम
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में बताया था कि मालदीव में तैनात भारतीय सेना का पहला जत्था स्वदेश लौट आया है. मालदीव सरकार ने भारतीय सेना के पहले समूह की वापसी के लिए 10 मार्च की तारीख तय की थी. हालांकि, 26 फरवरी को एक सिविलियन टेक्निकल टीम मालदीव पहुंची थी, जो भारतीय सैन्यकर्मियों की जगह लेंगे और वहां तैनाती भारतीय इक्वीपमेंट्स का संचालन करेंगे. मई महीने तक तमाम सैनिक भारत लौट आएंगे.
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मालदीव पर मंडरा रहा चीन का साया
भारत मालदीव में सैन्य मौजूदगी वाला एकमात्र देश है. मालदीव की ताजा राजनीतिक परिस्थितियां मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद बदली है, जो कि एक चीन समर्थक हैं. अपने चीन समर्थक अभियानों की वजह से माना जाता है कि मुइज्जू को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले. मालदीव करीब होने के चलते भारत के लिए काफी अहम हो जाता है लेकिन यहां चीन का साया मंडरा रहा है.