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रूस और यूक्रेन के युद्ध को अब 10 दिन हो चुके हैं. इस जंग के बीच यूक्रेन के पड़ोसी देश मोल्डोवा से एक बड़ी खबर आई है. रूस से खतरे को देखते हुए मोल्डोवा भी 9 मार्च से मार्शल लॉ लगा सकता है. यूक्रेन की मीडिया के मुताबिक, मोल्डोवा के डिप्टी गोंशारेंको ने कहा है कि रूस से उनके देश को खतरा है. पुतिन की सेना कभी भी मोल्डोवा पर हमला कर सकती है.
मोल्डोवा कभी सोवियत रूस का हिस्सा था और हाल ही में यूक्रेन पर हमले के बाद मोल्डोवा ने यूरोपियन यूनियन की सदस्यता के लिए आवेदन किया था. मोल्डोवा की प्रेसिडेंट माइया संदू ने एक बयान जारी कर कहा कि मोल्डोवा एक शांतिप्रिय देश है और हम एक आजाद दुनिया का हिस्सा रहना चाहते हैं. इसलिए हमने यूरोपियन यूनियन की सदस्यता के लिए आवेदन किया है.
आखिर क्यों सता रहा है हमले का डर?
मोल्डोवा 1991 में सोवियत संघ से अलग होकर आजाद देश बना था. 2009 तक यहां रूस समर्थित सरकारों का शासन था लेकिन इसके बाद यहां जो सरकारें बनीं, उन्होंने रूस को नजरअंदाज किया और उनका झुकाव अमेरिका और यूरोपीय देशों की ओर था.
हाल ही में बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्सजेंडर लुकाशेंको ने एक सुरक्षा परिषद की बैठक में बताया था कि यूक्रेन के बाद पुतिन का अगला निशाना मोल्डोवा हो सकता है. उनका एक मैप दिखाते हुए वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें यूक्रेन के बाद माल्डोवा को कब्जे में लेने की बात वो बता रहे थे. यही वजह है कि मोल्डोवा ने यूरोपियन यूनियन की सदस्यता के लिए आवेदन किया है.
ट्रांसनिस्ट्रिया से भी मोल्डोवा को खतरा
मोल्डोवा की सीमा यूक्रेन और रोमानिया से लगी हुई है. यूक्रेन से लगती सीमा पर एक Transnistria (ट्रांसनिस्ट्रिया) नाम का इलाका है. इस जगह को दुनिया मोल्डोवा का हिस्सा मानती है लेकिन असल में ट्रांसनिस्ट्रिया एक आजाद देश की तरह काम करता है. यहां अलग सरकार है और अलग संसद भी. यहां तक की ट्रांसनिस्ट्रिया की अपनी अलग सेना है और यह पूरा इलाका रूस समर्थित ताकतों का गढ़ कहा जाता है.
रूस की सेना यहां पहले से तैनात
मोल्डोवा की आजादी के बाद से ही ट्रांसनिस्ट्रिया को लेकर विवाद चल रहा है. शांति सेना के तौर पर रूस ने पहले से ही यहां 2000 से ज्यादा सैनिक तैनात कर रखे हैं. यूक्रेन पर हमले के बाद मोल्डोवा की प्रेसिडेंट का बयान आया था जिसमें उन्होंने यहां रूस की सेना की तैनाती पर चिंता जताई थी और अपने देश की सेना को अलर्ट किया था.