ब्रिटेन के विदेश कार्यालय मंत्री तारिक अहमद ने संसद (हाउस ऑफ लॉर्ड्स) में बताया कि ब्रिटिश सरकार कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के ट्रायल पर बहुत करीब से नजर रख रही है. हालांकि, अहमद ने कहा कि जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के अध्यक्ष यासीन मलिक पर भारतीय कानून के तहत आरोप लगाया गया था और इसलिए यह एक स्वतंत्र न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है.
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, मंत्री अहमद कई मुद्दों पर ब्रिटेन की संसद के उच्च सदन में सवालों का जवाब दे रहे थे. जब उनसे पाकिस्तानी मूल के लिबरल डेमोक्रेट सदस्य कुर्बान हुसैन ने मलिक के केस के बारे में पूछा तो उन्होंने ये जवाब दिया. हुसैन ने कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर सवाल पूछा था. बता दें कि विदेश कार्यालय में दक्षिण एशिया और राष्ट्रमंडल के प्रभारी मंत्री अहमद ने कहा- यासीन मलिक के केस में हम ट्रायल की बहुत करीब से मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यासीन पर भारतीय कानून के तहत आरोप लगाया गया है, इसलिए हम सीधे भारत की स्वतंत्र न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा- हम सभी देशों से अपील करते हैं कि वे हिरासत में बंद किसी भी व्यक्ति के साथ व्यवहारी संबंधी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का हमेशा सम्मान करें और बरकरार रखें. बता दें कि यूके में प्रमुख कश्मीरी नेता के तौर पर मलिक के बड़ी संख्या में प्रशंसक हैं. हुसैन ने दावा किया कि कश्मीरियों को संदेह है कि मलिक की जिंदगी खतरे में है.'
एक अन्य भारतीय मूल के सदस्य रामी रेंजर ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के मामले को उठाया और कहा कि हाल ही में पेशावर में दो सिख व्यापारियों की उनके धर्म के कारण हत्या कर दी गई. रेंजर ने सवाल किया कि 'कश्मीर में आतंकियों को कौन हथियार सप्लाई कर रहा है, कौन उन्हें ट्रेनिंग दे रहा है और कौन उन्हें जन्नत में तबाही मचाने के लिए उकसा रहा है. मंत्री ने ब्रिटेन सरकार के बातचीत के जरिए समाधान के रुख को दोहराया.
उन्होंने कहा कि कश्मीर पर दोनों देशों के लिए पारस्परिक रूप से आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है. दोनों देश संस्कृति और भाषा के मामले में बहुत कुछ साझा करते हैं. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पिछले महीने अपनी भारत यात्रा के दौरान मानव अधिकारों समेत कई मुद्दों पर बातचीत की.