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दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट के बावजूद क्यों Japan के लोग सैर-सपाटे से बचते हैं?

जापान में सिर्फ 23 प्रतिशत लोग पासपोर्ट रखते हैं. यहां तक कि वहां के युवा भी विदेशी डिग्री लेने या विदेशी कंपनियों में काम से बच रहे हैं. ये हाल तब है, जब जापान का पासपोर्ट लगातार दुनिया में अपना दबदबा बनाए हुए है. बाहर न जाने के पीछे जापान में एक खास सोच काम करती है, जो वहां के लोगों को अपने ही देश में बनाए हुए है.

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जापान की राजनैतिक-आर्थिक स्थिरता उसके लोगों को सबसे शानदार ट्रैवलर बनाती है. सांकेतिक फोटो (Usplash)
जापान की राजनैतिक-आर्थिक स्थिरता उसके लोगों को सबसे शानदार ट्रैवलर बनाती है. सांकेतिक फोटो (Usplash)

जापान का पासपोर्ट लगातार 5वीं बार दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट हो चुका है. यहां के पासपोर्ट-होल्डर को 193 देशों में बगैर वीजा एंट्री मिल सकती है. हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2023 की जारी हुई लिस्ट में कई चीजों, जैसे इकनॉमिक और पॉलिटिकल मजबूती को देखते हैं. इसमें पता लगा कि जापान के सैलानियों की जेब ज्यादा भरी होती है और वे घूमते हुए भी अनुशासित रहते हैं. हालांकि दिलचस्प ये है कि भले ही जापानी पासपोर्ट दुनिया में सबसे मजबूत हो, लेकिन यहां के लोगों को घूमना खास पसंद नहीं. 

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कैसे बनता है ताकतवर या कमजोर?
इसके पीछे कुछ खास बातें काम करती हैं. जैसे जापान को देखें तो वहां औसत डिस्पोजेबल इन्कम काफी बढ़िया है. डिस्पोजेबल इन्कम से मतलब है वे पैसे, जो टैक्स और बाकी खर्चों के बाद बचते हैं. इन पैसों को बचाया भी जा सकता है, या फिर घूमने-फिरने पर खर्च हो सकता है. जापानियों के पास ये पैसे फिलहाल सबसे ज्यादा हैं. ऐसे में अगर वे किसी देश में घूमने जाएं तो भरपूर खर्च करेंगे और उस देश की इकनॉमी भी मजबूत होगी. यही वजह है कि जापानी सैलानियों को लगभग सारे देश वेलकम करते हैं. 

जापान के लोग रिफ्यूजी नहीं दिखेंगे
एक कारण जापानियों का अनुशासन भी है. इसके साथ ही एक बहुत बड़ा कारण वहां पर राजनैतिक स्थिरता है. जापान में पॉलिटिकल भूचाल के बारे में कम ही लोगों ने सुना होगा. आमतौर पर वहां सब ठीक चलता है. यही वजह है कि जापान के लोग किसी देश में रिफ्यूजी की तरह नहीं जाते, जबकि बहुत से देशों के साथ ये खतरा रहता है कि उनके लोग पर्यटक की तरह जाएंगे और रिफ्यूजी की तरह बस जाएंगे. 

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कुल मिलाकर जापान के लोग चाहें तो लगभग सारी दुनिया मजे-मजे में नाप सकते हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं. जापान में सिर्फ 23 प्रतिशत लोगों के पास पासपोर्ट है. इस मामले में ये बाकी 6 विकसित देशों- अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और इटली, में सबसे पीछे है. 

most powerful passport in the world japan but travel reluctancy
पासपोर्ट-धारकों के मामले में जापान G7 में सबसे पीछे है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

इसके पीछे भी कई कारण हैं
पारंपरिक सोच वाले जापान में घूमने-फिरने को ज्यादा पसंद नहीं किया जाता. इसकी काम को तरजीह मिलती है. दुनिया से सबसे बड़े फाइनेंशियल न्यूजपेपर्स में से एक निकेई एशिया के मुताबिक जापान में माना जाता है कि सैर-सपाटा 20 साल के कमउम्र लोगों के लिए है. यहां तक कि वे काम के लिए भी विदेश जाना या विदेश में बसना पसंद नहीं करते. 

जापानी युवाओं में विदेशी डिग्री का भी क्रेज नहीं
बेहद मजबूत इकनॉमी के बावजूद जापान की युवा पॉपुलेशन बाहर जाकर पढ़ने में खास दिलचस्पी नहीं लेती. वक्त के साथ ऐसे युवा कम हो रहे हैं, जो अमेरिका या ब्रिटेन जाकर पढ़ाई करें. ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट के मुताबिक, जापान के लोग कम ही इंटरनेशनल संस्थाओं के साथ काम कर रहे हैं. इसकी एक वजह उनका दूसरी इंटरनेशनल भाषाओं से परहेज और घूमना पसंद न करना भी है. साथ ही अनुशासन-पसंद जापानी उस देश का हिस्सा नहीं बनना चाहते, जहां उथल-पुथल मची हो. 

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दोहरी नागरिकता की इजाजत नहीं
जापान में पासपोर्ट-धारक कम होने के पीछे एक कारण और भी है, वो है जापान की सख्ती. जापानीज नेशनेलिटी लॉ के अनुसार 20 साल की उम्र के बाद कोई भी दो पासपोर्ट यानी दो नागरिकता नहीं रख सकता. जैसे अगर कोई अमेरिका और सिंगापुर दोनों का पासपोर्ट रखना चाहता है तो अमेरिका या सिंगापुर में तो इसपर कोई दिक्कत नहीं, लेकिन अगर आप जापान के साथ-साथ किसी और देश का भी पासपोर्ट रखने की सोचें तो ये मुमकिन नहीं. जापान में सिंगल सिटिजनशिप ही मान्य है. 

यहां तक कि कई बार जापानी लोग इसके खिलाफ बोलते भी आए हैं. साल 2018 में कई लोगों ने टोक्यो जिला कोर्ट में सरकार के खिलाफ केस कर दिया था कि वो अपने इस नियम के साथ उन्हें कमजोर बना रही है. मुकदमा करने वालों की दलील थी कि देश उन्हें डुअल सिटिजनशिप की इजाजत दे. 

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