माउंट एवरेस्ट पर भीड़ बढ़ती जा रही है. जिसे देखो, वह एवरेस्ट पर चढ़ने का दम भरता है. अब वो दिन नहीं रहे जब एवरेस्ट का नाम सुनकर रूह कांप जाती थी. अब लोग रिकॉर्ड बनाने के लिए कम, आनंद लेने के लिए ज्यादा एवरेस्ट की चढ़ाई कर रहे हैं.
इसका नतीजा ये है कि अब वहां भी वेटिंग लिस्ट देखी जा रही है. एक जत्था हटे तो दूसरा पहुंचे. इस कारण हादसे तो बढ़ ही रहे हैं, जहां तहां कचरे का ढेर भी जमा हो रहा है. इससे बचने के लिए नेपाल सरकार कई तरकीबें सोच रही है. सरकार कुछ ऐसे नियम कानून लाने जा रही है ताकि एवरेस्ट की चढ़ाई महज तफरी बन कर न रह जाए.
काफी मुश्किल हो जाएगी चढ़ाई
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एवरेस्ट पर चढ़ने वालों को पहले यह साबित करना होगा कि वे किसी और चोटी पर चढ़ाई कर चुके हैं. नियम कानून के दायरे में अब टूरिजम कंपनियां भी आएंगी जो अपने क्लायंट वहां ले जाती हैं. टूरिज्म कंपनियों को यह दिखाना होगा कि उन्हें इस मामले में 3 साल का तर्जुबा है. जो कंपनी पिछले तीन साल से एवरेस्ट क्लाइंबर्स को ले जाती रही है, उसे ही तरजीह दी जाएगी.
एवरेस्ट चढ़ाई पर कॉस्ट कटिंग भी हावी है. यानी हर कोई कम से कम पैसे में बाजी मार लेना चाहता है. इसका असर उन कंपनियों पर पड़ा है जो एवरेस्ट की चढ़ाई आयोजित करती हैं. उन पर कम से कम पैसे में लोगों को ले जाने का दबाव है. कॉस्ट कटिंग के फेर में लोगों की जान सांसत में आ रही है. ऐसे कई किस्से सुनने में आए कि एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाला दल लापता हो गया. बाद में बचाव दल ने काफी परिश्रम के बाद क्लाइंबर्स को बचाया. इस पर नकेल कसने के लिए नेपाल सरकार चढ़ाई की फीस बढ़ाने की तैयारी में है. चढ़ाई कराने वाली कंपनियों को 35 हजार डॉलर तक की राशि चुकानी पड़ सकती है. अतिरिक्त शुल्क जोड़ कर यह खर्च 50 हजार डॉलर तक पहुंच सकता है.
परमिट पाने में फसेंगे कई पेच
अब ऐसा नहीं होगा कि मन किया इसलिए एवरेस्ट पर चढ़ाई करने चले गए. एवरेस्ट पर चढ़ने से पहले कई तरह के टेस्ट होंगे जिनमें सेहत और क्लाइंबिंग स्किल भी शामिल हैं. फिटनेस टेस्ट और चढ़ाई की कुशलता देखने के बाद ही परमिट जारी किया जाएगा. मौजूदा नियम के मुताबिक चढ़ाई करने वालों से पासपोर्ट की एक कॉपी, बायोडाटा और हेल्थ सर्टिफिकेट मांगा जाता है. इसमें परेशानी ये है कि नेपाली प्रशासन लोगों की सेहत के बारे में छानबीन नहीं कर पाता कि सर्टिफिकेट में जो लिखा गया, वह कितना सही है. अब एवरेस्ट का परमिट केवल उसे ही मिलेगा जो पहले 21,300 फीट की उंचाई तक जा चुका है.
चढ़ाई के नाम पर साजिश!
एवरेस्ट पर चढ़ाई नेपाल की कमाई का मजबूत जरिया है. इससे नेपाल सरकार को काफी राजस्व मिलता है. 1990 में एवरेस्ट चढ़ाई का व्यापारिकरण हुआ. अर्थात 1990 के बाद नेपाल सरकार ने एवरेस्ट चढ़ने वालों से पैसा वसूलना शुरू किया. कोई भी निर्धारित राशि चुका कर एवरेस्ट जा सकता है लेकिन इसमें एक बड़ी साजिश सामने आई. पता चला कि कुछ गाइड, हेलीकॉप्टर कंपनियां और अस्पतालों ने कमाई के लिए भारी गड़बड़झाला किया ताकि इंश्योरेंस का पैसा हड़पा जा सके. इससे नेपाल सरकार की काफी भद्द पिटी. जगहंसाई और बदनामी से बचने के लिए नेपाल प्रशासन ने कई कदम उठाए. इन कदमों में कुछ सख्त नियम कानून भी शामिल हैं जिससे एवरेस्ट पर उन्हीं लोगों को पास मिल पाएगा जो उसके असली हकदार होंगे.