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आंदोलनकारी छात्र, पूर्व विदेश सचिव, सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर...ये 16 लोग चलाएंगे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार

बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने गुरुवार को अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति ने सरकार में शामिल होने वाले 16 सदस्यों में से 13 को भी शपथ दिलाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण के बाद मुहम्मद यूनुस को बधाई दी और बांग्लादेश में हिंदुओं सहित सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की.

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मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने हैं  (Photo: Reuters)
मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने हैं (Photo: Reuters)

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में गुरुवार शाम शपथ ली. चार दिन पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर पड़ोसी देश भारत भागना पड़ा था. 84 वर्षीय यूनुस ने गुरुवार रात ढाका स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह के दौरान शपथ ली. इस समारोह में राजनेता, सिविल सोसायटी के लोग, जनरल और राजनयिक शामिल हुए.

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राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा शपथ दिलाए जाने के बाद यूनुस ने कहा कि मैं संविधान की रक्षा करूंगा, उसका समर्थन करूंगा और उसका संरक्षण करूंगा. उनके मंत्रिमंडल के एक दर्जन से अधिक सदस्य, जिन्हें मंत्री नहीं बल्कि सलाहकार का पद दिया गया है, ने भी शपथ ली. शपथ लेने वालों में हसीना के विरोधी रहे छात्र नेता नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद भी शामिल हैं जो बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे.

बांग्लादेश अंतरिम सरकार के सदस्य

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में सलाहकारों की 16 सदस्यीय परिषद की घोषणा की गई. यह अंतरिम सरकार एक निश्चित अवधि के लिए संकटग्रस्त बांग्लादेश का नेतृत्व करेगी और निर्वाचित सरकार को सत्ता हस्तांतरण के लिए चुनाव की देखरेख करेगी. अन्य लोगों में पूर्व विदेश सचिव तौहीद हुसैन और पूर्व अटॉर्नी जनरल हसन आरिफ शामिल हैं. पुरस्कार विजेता पर्यावरण वकील सईदा रिजवाना हसन और टॉप प्रोफेसर और लेखक आसिफ नजरुल ने भी शपथ ली थी.

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कौन हैं अंतरिम सरकार में शामिल 16 सदस्य 

1- ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन बांग्लादेश के पूर्व चुनाव आयुक्त
2- फरीदा अख्तर महिला अधिकार कार्यकर्ता
3- खालिद हुसैन इस्लामी पार्टी हिफाजत-ए-इस्लाम के उप प्रमुख
4- नूरजहां बेगम ग्रामीण दूरसंचार ट्रस्टी
5- शर्मीन मुर्शिद स्वतंत्रता सेनानी
6- सुप्रदीप चकमा चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष
7- प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय नेशनल इंस्टीट्यूड ऑफ मेंटल हेल्थ के निदेशक
8- तौहीद हुसैन पूर्व विदेश सचिव
9- मोहम्मद नज़रुल इस्लाम ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर
10- आदिलुर रहमान खान मानवाधिकार कार्यकर्ता
11- एएफ हसन आरिफ पूर्व अटॉर्नी जनरल
12- सईदा रिज़वाना हसन BELA की मुख्य कार्यकारी अधिकारी
13- नाहिद इस्लाम आंदोलनकारी छात्र नेता
14- आसिफ महमूद आंदोलनकारी छात्र नेता
15- फारूक-ए-आजम स्वतंत्रता सेनानी
16- सालेह उद्दीन अहमद सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर

इस्तीफा देकर शेख हसीना ने छोड़ा देश

बता दें कि पड़ोसी देश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था. इस घटनाक्रम के तीन दिन बाद कार्यवाहक सरकार के प्रमुख के रूप में यूनुस ने शपथ ग्रहण की है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को देश में नए सिरे से चुनाव कराने का काम सौंपा गया है.

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84 साल के अर्थशास्त्री यूनुस को छात्र प्रदर्शनकारियों से अंतरिम सरकार के मुखिया के रूप में समर्थन मिला है. वह गुरुवार को पेरिस से ढाका लौटे हैं. यूनुस ने एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हमारे छात्र हमें जो भी रास्ता दिखाएंगे, हम उसी के साथ आगे बढ़ेंगे.'

बांग्लादेश के नए प्रमुख बने मोहम्मद यूनुस ऐसे 32वें शख्स बने हैं, जो नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं और अब राष्ट्र प्रमुख की जिम्मेदारी निभाएंगे. इससे पहले पूरी दुनिया में 31 लोग और हैं, जिन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला है और उन्होंने राष्ट्र प्रमुख की भूमिका भी निभाई है.

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कौन हैं मोहम्मद यूनुस?

गरीबों के बैंकर के रूप में पहचाने जाने वाले यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला चुका है. उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी. इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिल पाती थी. उनके कर्ज देने के इस मॉडल ने दुनिया भर में ऐसी कई योजनाओं को प्रेरित किया. इसमें अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल हैं. 

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अमेरिका में यूनुस ने एक अलग गैर-लाभकारी संस्था ग्रामीण अमेरिका की भी शुरुआत की. 84 वर्षीय यूनुस जैसे-जैसे सफल होते गए उनका झुकाव राजनीति में करियर बनाने की ओर बढ़ता चला गया. उन्होंने 2007 में अपनी खुद की पार्टी भी बनाने की कोशिश की. लेकिन जब उनकी इस महत्वाकांक्षा ने बड़ा रूप लेना शुरू किया तब शेख हसीना नाराज हो गईं. हसीना ने यूनुस पर पर 'गरीबों का खून चूसने' का आरोप भी लगाया.

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