दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के एक डॉक्टर के समर्थन में पूरी मेडिकल फैटरनिटी उतर आई है. एक मरीज की मौत के बाद भारतीय मूल के डॉक्टर के खिलाफ हत्या का आरोप लगाया गया है. इसे लेकर स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि इस मामले में डॉक्टर को फैसले से पहले ही अपराधी करार देने का काम किया जा रहा है. इस तरह के आरोप डॉक्टर्स की लोगों की जान बचाने की योग्यता पर निगेटिव असर डालेंगे. साथ ही लोगों को कानून में दिए गए उनकी रक्षा के भरोसे को कम करेंगे.
संडे टाइम्स न्यूज पोर्टल की रविवार की खबर के मुताबिक 35 साल के डॉ. अरविंद दयानंद ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया था. उससे अपने एक मरीज की गॉल ब्लैडर की सर्जरी करते वक्त मौत हो गई है.
मरीज मोनिक वांडयार की मौत के बाद एक जांच शुरू की गई, लेकिन नेशनल प्रोसीक्यूटिंग अथॉरिटी ने इस मामले को बाद में बदलकर हत्या का मामला बना दिया.
दयानंद के ऊपर 'डोलस इवेंटालिस' (कानूनी मंशा) के कॉन्सेप्ट के तहत कार्रवाई किए जाने की उम्मीद है. इसमें आरोपी व्यक्ति के काम करने के तरीके को मौत का कारण बनने की संभावना को निष्पक्ष रूप से देखा जाता है.
डॉ. दयानंद को इस हफ्ते स्थानीय रिचर्ड बे मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया था. जहां उन्हें 10,000 रैंड (स्थानीय मुद्रा) के मुचलके पर जमानत दे दी गई. अब इस मामले में अगली सुनवाई 8 नवंबर को होनी है.
इस बीच दक्षिण अफ्रीका के मेडिकल प्रैक्टिशनर्स दयानंद के पक्ष में लामबंद हो गए हैं. वे स्वास्थ्य मामलों को संभालने की सरकार की योग्यता को लेकर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि इस तरह के मामलों को एक्सपर्ट काफी जटिल बताते हैं.