म्यांमार में आए भूकंप का असर पड़ोसी देश थाईलैंड में भी देखने को मिला, जहां काफी इमारतों को नुकसान पहुंचा है. बैंकॉक की एक 30 मंजिला निर्माणाधीन इमारत जमींदोज हो गई. इसमें 80 से ज्यादा लोगों के दबे होने की आशंका है. इसी तरह म्यामांर में भी भूकंप से मची तबाही में 25 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है. भूकंप का केंद्र म्यांमार का सागाइंग शहर था, जहां 7.7 तीव्रता के झटके महसूस किए गए. करीब 50 मिनट के भीतर एक बाद एक भूकंप के तीन झटकों से धरती हिल गई थी.
भूकंप का केंद्र था सागाइंग
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के डायरेक्ट ओपी मिश्रा ने कहा कि म्यांमार की सबसे लंबी सागाइंग फॉल्ट में यह भूकंप आया था जिसकी लंबाई करीब 1200 किलोमीटर है. उन्होंने बताया कि इस फॉल्ट की वजह से पहले भी म्यांमार में सात से ज्यादा तीव्रता के भूकंप आ चुके हैं और यह कोई पहली बार नहीं है. यह बहुत ही ज्यादा प्रो-सेस्मिक जोन है, जहां बार-बार ऐसे भूकंप आने का खतरा बना रहता है.
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ओपी मिश्रा ने कहा कि भूकंप का पहला और सबसे तेज झटका सुबह 11.50 के करीब महसूस किया गया जबकि 12 बजे उसके आफ्टरशॉक महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 7.7 के आसपास रही. उन्होंने कहा कि 12.30 से एक बजे के करीब दूसरा झटका भी महसूस किया गया, जिसकी तीव्रता 5 के आसपास थी. इसके बाद भी 4.9 की तीव्रता से तीसरा झटका महसूस हुआ. इसके बाद आने वाले आफ्टरशॉक की तीव्रता कम होती जाएगी लेकिन जिन इमारतों में पहले दरार आ गई है उन्हें नुकसान की ज्यादा आशंका है.
क्यों आया इतना जोरदार भूंकप
भूकंप वैज्ञानिक ने आगे बताया कि थाईलैंड के बैंकॉक शहर में भूकंप के झटके इसलिए आए क्योंकि वहां सागाइंग फॉल्ट के टूटने का असर देखा गया और कई लोगों ने झटके महसूस किए. बैंकॉक की मिट्टी में नमी की मात्रा ज्यादा होने की वजह से इमारत को नींव कमजोर है और इसी वजह से शहर की इमारतों को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि अगले 24 घंटे में और भी भूकंप आने का खतरा बना हुआ है.
सागाइंग फॉल्ट म्यांमार में भूकंप प्रोन एरिया है, जो मिडिल म्यांमार से नॉर्थ म्यांमार तक फैला हुआ है. यह फॉल्ट भारतीय प्लेट और बर्मा माइक्रोप्लेट के बीच एक प्रमुख टेक्टोनिक बाउंड्री है और इन्हीं प्लेटों के टकराने की वजह से पूरे क्षेत्र में भूकंप आते हैं. सागाइंग फॉल्ट के दायरे में आने वाले शहरों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा माना जाता है. एक्सपर्ट का मानना है कि वैसे तो ये प्लेट हर साल खिसकती रहती हैं लेकिन जब भी टकराव भीषण होता है तो ज्यादा तीव्रता के भूकंप आते हैं.
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म्यांमार में ऐसे भूकंप आना आम बात है और पहले भी क्षेत्र में इस तीव्रता के भूकंप आ चुके हैं. एएफपी के मुताबिक 1930 से 1956 के बीच सागाइंग फॉल्ट में 7 के करीब तीव्रता वाले भूकंप आए थे और यह सॉल्ट देश के बीच से होकर गुजरता है. म्यामांर में भूकंप के पहले झटके के करीब 10 मिनट बाद दूसरा झटका महसूस किया गया था. रिक्टर स्केल पर पहले आए भूकंप की तीव्रता 7.7 के करीब थी.
थाईलैंड भूकंप जोन नहीं है और वहां पड़ोसी देश म्यामांर में आए भूकंप की वजह से ही झटके महसूस होते हैं. राजधानी बैंकॉक समेत देश के बाकी हिस्सों में इमारतों को इसलिए नुकसान पहुंचा है क्योंकि वहां की बिल्डिंग तेज भूकंप झेलने कि लिहाज से डिजायन नहीं की जाती हैं. यही वजह रही कि बैंकॉक में एक निर्माणाधीन इमारत भूकंप की वजह से जमींदोज हो गई. इस इलाके में ज्यादा नुकसान की आशंका हमेशा बनी रहती है.