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इजरायल-फिलिस्तीन में क्यों है दुश्मनी? पढ़ें गाजा पट्टी का पूरा इतिहास

गाजा पट्टी एक छोटे सा फिलिस्तीनी क्षेत्र है, यह मिस्र और इसरायल के मध्य भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है. फिलिस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है. इस पर 'हमास' द्वारा शासन किया जाता है जो इजरायल विरोधी आतंकवादी समूह है. वो यूं क्योंकि फिलिस्तीन और कई अन्य मुस्लिम देश इजरायल को यहूदी राज्य के रुप में मानने से इनकार करते हैं.

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गाजा पट्टी है दोनों देशों में विवाद की जड़...
गाजा पट्टी है दोनों देशों में विवाद की जड़...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को इजरायल पहुंचेंगे. इजरायल का अपना ही एक इतिहास रहा है, लेकिन सबसे इजरायल को लेकर जो सबसे बड़ा मुद्दा है वह है इजरायल और फिलिस्तीन के बीच रिश्तों का. दोनों देशों के बीच में गाजा पट्टी को लेकर काफी लंबे समय से विवाद चलता आ रहा है, यही कारण है कि भारत ने भी फिलिस्तीन से कुछ समय के लिए दूरी बना ली है.

पढ़िये आखिर क्या है गाजा पट्टी का पूरा विवाद?

गाजा पट्टी एक छोटे सा फिलिस्तीनी क्षेत्र है, यह मिस्र और इसरायल के मध्य भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है. फिलिस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है. इस पर 'हमास' द्वारा शासन किया जाता है जो इजरायल विरोधी आतंकवादी समूह है. वो यूं क्योंकि फिलिस्तीन और कई अन्य मुस्लिम देश इजरायल को यहूदी राज्य के रुप में मानने से इनकार करते हैं.

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1947 के बाद जब UN ने फिलिस्तीन को एक यहूदी और एक अरब राज्य में बांट दिया था जिसके बाद से फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संर्घष जारी है जिसमें एक अहम मुद्दा जुइस राज्य के रूप में स्वीकार करना है तो दूसरा गाजा पट्टी है जो इजराइल की स्थापना के समय से ही इजरायल और दूसरे अरब देशों के बीच संघर्ष का कारण साबित हुआ है.

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जून 1967 में जब दूसरी जंग हुई तो 6 दिनों तक चली, जिसमें इजरायल ने फिर से गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया. इजरायल का यह कब्जा 25 सालों तक चला लेकिन दिसंबर 1987 में गाजा के फिलिस्तीनियों के बीच दंगों और हिंसक झड़प के कारण और इजरायली सैनिकों पर कब्जा करने से एक विद्रोह का रुप दे दिया.

1994 में इजरायल ने इजरायल और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) द्वारा हस्ताक्षरित ओस्लो समझौते की शर्तों के तहत फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) को गाजा पट्टी में सरकारी प्राधिकरण का चरणबद्ध स्थानांतरण शुरू किया था. साल 2000 की शुरूआत में, पीए और इजरायल के बीच वार्ता नकाम होने के कारण हिंसा अपने चरम रुप में पहुंच गया जिसे खत्म करने के रुप एवज में इजरायल के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने 2003 के अंत में एक योजना की घोषणा की थी जिसके तहत गाजा पट्टी से इजरायल सैनिकों को वापस हटने और स्थानीय निवासियों को बसाने पर केंद्रित है. सितंबर 2005 में इज़रायल ने क्षेत्र से पलायन पूरा कर लिया, और गाजा पट्टी पर नियंत्रण को पीए में स्थानांतरित कर दिया गया था, हालांकि इज़रायल ने इसके क्षेत्ररक्षण और हवाईगश्त को जारी रखा.

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जून 2007 में हमास ने एक बार फिर गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया और फतह (फिलिस्तिन राजनीतिक समुह) की अगुवाई वाली आपातकालीन कैबिनेट ने पश्चिम बैंक का कब्ज़ा कर लिया था. फिलीस्तीनी अथॉरिटी अध्यक्ष महमूद अब्बास ने घोषणा की जिसमें कहा गया गया कि गाजा हमास के नियंत्रण मे रहेगा.

2007 के अंत में इजरायल ने गाजा पट्टी को दुश्मन क्षेत्र घोषित कर दिया और इसके साथ ही गाजा पर कई प्रतिबंधों को मंजूरी दी जिसमें बिजली कटौती, भारी प्रतिबंधित आयात और सीमा को बंद करना शामिल था.

जनवरी 2008 में हुए हमलों के बाद गाजा पर इन प्रतिबंध को और बढ़ा दिया गया और इसके अलावा पूरी तरह से गाजा पट्टी के साथ अपनी सीमा को सील कर दिया ताकि अस्थायी रूप से ईंधन आयात को रोका जा सके इसके बाद हमास की सेना ने गाजा पट्टी-मिस्र की सीमा के साथ द्वस्थ कर दिया ताकि नाकाबंदी के कारण उसे अन्न, ईंधन और सामान उपलब्ध करने के लिए हजारों गजान मिस्र में पहुंच गए. इसके बाद यूरोपियन यूनियन के पीछे हटने और सहमति के बाद गाजा पट्टी को चारों तरफ से सील कर दिया.

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