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69 साल, 15 PM, मोदी से पहले इजरायल क्यों नहीं जा पाया कोई भारतीय प्रधानमंत्री?

कांग्रेस इजरायल के गठन के विचार के ही खिलाफ थी. देश में ज्यादातर वक्त कांग्रेस सत्ता में रही और कांग्रेस को हमेशा लगा कि इजरायल से संबंध बढ़ाने का मतलब अरब देशों को खफा करना होगा, और इजरायल से संबंध भारत में रह रहे मुसलमानों को भी पार्टी से दूर करेगा यानी राजनयिक संबंधों की डोर का एक सिरा घरेलू राजनीति के वोट बैंक से भी जुड़ गया.

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आखिर क्यों 70 साल लगे किसी पीएम को इजरायल जाने में...?
आखिर क्यों 70 साल लगे किसी पीएम को इजरायल जाने में...?

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इजरायल बनने के 69 साल बाद पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री इजरायल गया है. पिछले 69 सालों में देश ने एक के बाद 15 पीएम देखे लेकिन कोई प्रधानमंत्री इजरायल जाने की हिम्मत नहीं दिखा पाया और इसके पीछे बड़ी वजह देश की राजनीति और अरब देशों के साथ हमारे संबंध रहे हैं.

दरअसल मोदी से पहले भी भारतीय प्रधानमंत्रियों ने अगर कभी इजरायल को गले लगाने की सोची होगी तो दो ख्यालों ने उसे रोक दिया होगा एक तो मुस्लिमों के मन में इजरायल को लेकर कड़वाहट है तो इजरायल के साथ खड़े कैसे हुआ जाए और दूसरी तरफ 80 लाख भारतीय श्रमिक अरब देशों में काम कर रहे है तो कहीं 70 के दशक की तर्ज पर अरब वर्ल्ड इजरायल का साथ देने वालों के खिलाफ ना हो जाए.

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एक अहम वजह ये भी थी कि कांग्रेस इजरायल के गठन के विचार के ही खिलाफ थी. देश में ज्यादातर वक्त कांग्रेस सत्ता में रही और कांग्रेस को हमेशा लगा कि इजरायल से संबंध बढ़ाने का मतलब अरब देशों को खफा करना होगा, और इजरायल से संबंध भारत में रह रहे मुसलमानों को भी पार्टी से दूर करेगा यानी राजनयिक संबंधों की डोर का एक सिरा घरेलू राजनीति के वोट बैंक से भी जुड़ गया.

बीजेपी को नहीं पड़ेगा कोई फर्क!

दूसरी तरफ बीजेपी के लिये मुस्लिम वोट बैंक कोई मायने नहीं रखता है. 2014 के चुनाव नतीजे इसका सबूत हैं. 2014 के चुनाव में कांग्रेस को 37.60 फीसदी मुस्लिम वोट मिले लेकिन उसे महज 44 लोकसभा सीट मिलीं दूसरी ओर बीजेपी को 282 सीटों पर जीत मिली जबकि उसे महज 8.4 फीसदी मुस्लिम वोट मिला.

मुस्लिम वोट बैंक का खतरा!

वैसे, इजरायल से संबंध बढ़ाने पर मुस्लिम वोट बैंक छिटक सकता है ये डर तो राजनयिक संबंध बनते वक्त भी उठा था, जब 23 जनवरी 1992 को केंद्रीय कैबिनेट ने इजरायल से राजनयिक संबंध बनाने का अनुमोदन किया था. उस वक्त तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने चेताया था कि कैबिनेट देख ले कि इससे कहीं मुस्लिम वोट बैंक न छिटके. इस बात का जिक्र तत्कालीन विदेश सचिव जे एन दीक्षित ने अपने संस्मरण में किया है.

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ओवैसी ने उठाया सवाल

अब विदेश नीति बदल रही है तो मुस्लिम नेता सवाल भी उठा रहे हैं. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि दुनिया में धर्म के आधार पर दो ही देश बने हैं एक पाकिस्तान और दूसरा इजरायल. ओवैसी ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई भारतीय प्रतिनिधि दल इजरायल जा रहा है और बिना फिलीस्तान गए लौट आएगा. ओवैसी ने कहा कि भारत की नीति कभी इस तरह से नहीं रही है. पीएम मोदी की इस हरकत से इजरायल फिलिस्तीन को और ज्यादा दबाएगा.

ओवैसी के सवाल अपनी जगह है लेकिन सच्चाई ये है कि संबंधो की नई लकीर पुरानी लकीर को मिटा रही है. विदेश नीति में नई परंपराएं स्थापित हो रही हैं. उम्मीद यही रखनी चाहिए कि इसमें भारत के हित सर्वोपरि रहेंगे.

 

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