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'अमेरिका या रूस...', PM मोदी के US दौरे को लेकर रूसी मीडिया में ऐसी चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे को रूसी मीडिया ने भी प्रमुखता से जगह दी है. रूसी न्यूज एजेंसी स्पुतनिक ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि अमेरिका पिछले 50 वर्षों से भारत को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है... और वो हर बार असफल रहा है. भारत आज भी रूस और अमेरिका के बीच अपने संबंधों को कूटनीति की मदद से कायम रखे हुए है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर हैं. (फोटो- ट्विटर)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर हैं. (फोटो- ट्विटर)

रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन-अमेरिका के बीच जारी तनाव के बीच पीएम मोदी की तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में है. जहां पाकिस्तानी मीडिया ने दोनो देशों (भारत और अमेरिका) के बीच बेहतर होते रिश्ते को अपनी सुरक्षा से जोड़कर देखा है. वहीं, रूसी मीडिया ने भी इसे प्रमुखता से जगह दी है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पीएम मोदी को स्टेट विजिट का निमंत्रण दिया था. बाइडेन के निमंत्रण के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका, भारत के साथ बेहतर स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप कायम कर उसे रूस से दूर करना चाहता है. भारत भी अमेरिका से बेहतर रिश्ते स्थापित कर प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते दबदबे को कम करना चाहता है.

ऐसे में पीएम मोदी की इस यात्रा पर रूसी अखबार की टिप्पणी मायने रखती है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस और चीन की नजदीकियां काफी बढ़ी हैं.

रूस या अमेरिका में से किसी एक को चुनने का भारत का कोई इरादा नहीं: Tass

रूसी समाचार एजेंसी Tass ने पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे को लेकर हेडिंग दी है- राजनयिक ने कहा है भारत, अमेरिका के साथ संबंध बेहतर कर रहा है लेकिन रूस की कीमत पर नहीं'

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Tass ने रूस में पूर्व भारतीय राजदूत अजय मल्होत्रा के हवाले से लिखा है, "भारत अपने नागरिकों के बेहतर कल के लिए रूस और अमेरिका दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध चाहता है. आज का मजबूत और समृद्ध भारत रूस और भारत दोनों के हितों को पूरा करता है. रूस या अमेरिका में से किसी एक को चुनने का भारत का कोई इरादा नहीं है. इसलिए दोनों देशों के साथ भारत के बेहतर संबंध को या तो अमेरिका या तो रूस के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए."

वेबसाइट ने आगे लिखा है, "भारत में कुछ लेखों में कहा गया है कि मोदी की अमेरिकी यात्रा के बाद भारत धीरे-धीरे रूस से दूर हो जाएगा. इस पर टिप्पणी करते हुए अजय मल्होत्रा ने कहा है कि अमेरिका के साथ भारत के संबंध साझा हितों के आधार पर हैं.

उनके हवाले से वेबसाइट ने लिखा है, यह सच्चाई है कि भारत अमेरिका के साथ और बेहतर संबंध बनाना चाहता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर हम अमेरिका के साथ संबंध बना रहे हैं तो रूस से हम दूरी बना लेंगे. अमेरिका और रूस के साथ भारत के संबंधों को या तो ये या तो वो (either-or) वाले नजरिए से नहीं देखना चाहिए. अमेरिका के साथ भारत के मजबूत संबंध रूस के साथ हमारी लंबी मित्रता की कीमत पर नहीं हैं. और ना ही यह रूस से दूर होने के कदम को दर्शाता है. 

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अजय मल्होत्रा रूस में भारत के राजदूत रह चुके हैं. वर्तमान में वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की सलाहकार समिति के सदस्य हैं.

अमेरिका पिछले 50 वर्षों से भारत को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा हैः स्पुतनिक 

रूस की न्यूज एजेंसी Sputnik ने पीएम मोदी के दौरे को लेकर हेडिंग दी है- 'मोदी की अमेरिका यात्रा: आर्थिक उन्नति और स्वतंत्र कूटनीति की खोज'

स्पुतनिक ने इस दौरे को लेकर लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के साथ-साथ G-20, क्वाड और आईपीईएफ जैसे बहुपक्षीय मंचों को लेकर भी बातचीत होने की उम्मीद है.

वेबसाइट ने राजनीतिक विश्लेषक और ग्लोबल फ्यूचर्स के डीन प्रोफेसर जो सिराकुसा ( Joe Siracusa) के हवाले से लिखा है कि मोदी की इस यात्रा के दौरान अमेरिका की ओर से भारत पर अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति थोपने की संभावना नहीं है. अमेरिका पिछले 50 वर्षों से भारत को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है... और वो हर बार असफल रहा है.

वेबसाइट ने आगे लिखा है, " अमेरिका लंबे समय से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करता रहा है. वर्तमान में बाइडेन सरकार रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति का जवाब देने के लिए भारत से वार्ता कर रहा है. हालांकि, भारत शुरुआत से ही वैश्विक शक्ति से समन्वय बनाने की कोशिश में रहा है. आज भी भारत रूस और अमेरिका के बीच अपने संबंधों को कूटनीति की मदद से कायम किए हुए है. इससे पहले भी भारत, सोवियत संघ रूस और अमेरिका के बीच समन्वय बनाने में सफल रहा था."

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प्रोफेसर जो सिराकुसा के हवाले से रूसी वेबसाइट ने आगे लिखा है, " संक्षेप में कहा जाए तो भारत दोनों देशों के बीच अपने संबंधों को संतुलित रखना चाहता है और ग्लोबर पावर के रूप में डायनेमिक प्लेयर की भूमिका में रहना चाहता है. भारत अपनी गुट निरपेक्षता बरकरार रखना चाहता है और खुद को अमेरिका से नहीं जोड़ना चाहता है और अपना रास्ता खुद बनाना चाहता है."

स्पुतनिक ने आगे लिखा है कि भारत इस स्तर पर अमेरिका का साथ नहीं देना चाहता है. क्योंकि मुझे लगता है भारतीय स्कॉलर और पीएम मोदी भी इस बात को मानते हैं कि अमेरिका की एकध्रुवीय सोच आती-जाती रहती है. नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में वृद्धि और भारत के एजेंडे को आकार देने की उनकी क्षमता ने अमेरिका के लिए भारत के प्रभाव और आकांक्षाओं को नजरअंदाज करना चुनौतीपूर्ण बना दिया है. 

अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते पीएम मोदी (फोटो- ट्विटर)
              अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते पीएम मोदी (फोटो- ट्विटर)

भारत-अमेरिका संबंध को लेकर हाइप बनाया गया: रशिया टुडे

रूसी अखबार 'रशिया टुडे' (rt.com) ने पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे को लेकर हेडिंग दी है- 'मोदी की पहली अमेरिकी राजकीय यात्रा से क्या उम्मीद करें?'

वेबसाइट ने आगे लिखा है, " भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा को लेकर जोर-शोर से प्रचार किया गया है कि अमेरिका ने यह कदम प्रतिद्वंदी रूस और चीन को फ्रेम (मुकाबले) से दूर करने के लिए उठाया है. नरेंद्र मोदी की पहली अमेरिकी राजकीय यात्रा राजनयिक प्रोटोकॉल के अनुसार यह उच्च रैंक की अमेरिकी यात्रा है."

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rt.com ने आगे लिखा है, "2014 में पहली बार पदभार संभालने के बाद मोदी का यह छठी अमेरिकी यात्रा है. लेकिन पिछली सभी यात्रा इससे अलग थी. जो क्वाड शिखर सम्मेलन या संयुक्त राष्ट्र महासभा जैसे विभिन्न बहुपक्षीय कार्यक्रमों से संबंधित था. ऐसे में इस बार की स्टेट विजिट का अलग महत्व है."

वेबसाइट ने आगे लिखा है, "इस विजिट को लेकर कुछ ऐसे पॉइन्ट्स हैं जिसको लेकर खूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. उन बिन्दुओं में एक मुख्य बिन्दु दोनों देशों के बीच सैन्य और तकनीकी संबंध को मजबूत करना है. पीएम मोदी का अमेरिका दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका लगातार मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान मानवाधिकार के मुद्दे पर सवाल उठाता रहा है.

भारत के प्रधानमंत्री मोदी का यह तीन दिवसीय दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब मानवाधिकार समूहों और विपक्षी दलों की ओर से लगातार पीएम मोदी पर असहमति को दबाने और मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करने वाली विभाजनकारी नीतियों को अपनाने का आरोप लगाया जाता रहा है. मुस्लिम भारत का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है और देश की कुल 140 करोड़ आबादी का लगभग 15 प्रतिशत है. फिलहाल, अमेरिका मोदी के आलोचकों की ओर से उठाए जा रहे सवालों को बहुत तवज्जो नहीं दे रहा क्योंकि वह भारत के साथ लंबे समय की साझेदारी चाहता है."

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Today’s talks with @POTUS @JoeBiden were extensive and productive. India will keep working with USA across sectors to make our planet better. pic.twitter.com/Yi2GEST1YX

 

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