प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 मई को अपनी पहली चीन यात्रा पर रवाना हो रहे हैं. इस यात्रा को दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है. यात्रा से आशाएं और अपेक्षाएं दोनों ओर हैं. चीन में भारत के राजदूत अशोक कांता ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री की यात्रा से आर्थिक संबंधों में बेहतरी के संकेत हैं.
मंगलवार को बीजिंग में 'इंडिया टुडे ग्लोबल राउंड टेबल ' के मंच पर भारतीय राजदूत ने कहा, 'यह यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों और संधियों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. आने वाले दो दिनों में भारत और चीन के बीच अरबों डॉलर के व्यवसायिक करार हो सकते हैं.' अशोक कांता ने आगे कहा, 'हमें विश्वास है कि बातचीत से दोनों नेता कुछ नए एजेंडे पर आगे बढ़ेंगे.'
गौरतलब है कि आईटी, फार्मा और कृषि के क्षेत्र में भारत और चीन एक बेहतर और समृद्ध बाजार के तौर पर एक साथ आगे बढ़ सकते हैं.
सीमा विवाद है बड़ा मुद्दा
दूसरी ओर, भारत-चीन सीमा विवाद पर भी प्रधानमंत्री की यात्रा नए रुझान दे सकती है. भारतीय राजदूत ने कहा, 'दोनों देश इस ओर जल्दी किसी निर्णय पर पहुंचना चाहते हैं. लेकिन इसके साथ ही इस ओर यह भी प्रयास किए जा रहे हैं कि शांति और सौहार्द कायम रहे. खास तब जब दोनों देश आर्थिक तौर पर करीब आ रहे हों.'
मोदी और जिनपिंग लेकर आए हैं नई उर्जा
राउंड टेबल कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों देशों के बीच नई उर्जा लेकर आए हैं. इसका उदाहरण बीते साल सितंबर में चीन के राष्ट्रपति की भारत यात्रा है.
जिनपिंग अपने गृह प्रदेश शियान में मोदी के स्वागत को लेकर उत्सुक हैं. यह पहली बार है जब चीन के राष्ट्रपति राजधानी बीजिंग से इतर कहीं किसी देश के नेता का स्वागत करेंगे.
मोदी और 'इंडिया-चाइना 2.0'
चीन के स्ट्रैटेजिक एक्सपर्ट माओ सिवी ने कहा कि चीन के लोग यह मान कर चल रहे हैं कि नरेंद्र मोदी दोनों देशों के रिश्तों में एक नया मॉडल 'इंडिया-चाइना 2.0' लेकर आएंगे. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच एक नए और बेहतर रिश्ते की शुरुआत होगी, जिसमें सीमा विवाद राह का रोड़ा नहीं बनेगा. माओ ने कहा, 'मैं व्यक्तिगत तौर पर यह मानता हूं कि मोदी का फोकस चीन के निवेश और मेक इन इंडिया पर होगा.'