अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी और ग्रह वैज्ञानिकों को पृथ्वी के उल्कापिंडों में कुछ ऐसे सबूत मिले हैं, जो मंगल ग्रह की सतह के पास पानी या बर्फ से ढका जलाशय होने के संकेत देते हैं. इस खोज से इस सवाल का हल खोजने में मदद मिल सकती है कि मंगल ग्रह का पानी कहां गया.
जापान के टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अध्ययन के शीर्ष लेखक टोमोहिरा उसुई ने बताया, 'पूर्व में किए गए मंगल ग्रह के उल्कापिंडों के अध्ययन में ग्रह पर तीसरा जलाशय होने के संकेत मिले थे, लेकिन हमारे नए ब्योरे दर्शाते हैं कि ग्रह पर पानी या बर्फ की मौजूदगी है और मंगल ग्रह के नमूनों से पता चलता है कि कुछ बड़े गड्ढे जलाशय में परिवर्तित हो गए.'
अध्ययन के लिए टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, हॉस्टन की लूनर एंड प्लानेटरी इंस्टीट्यूट, वॉशिंगटन के कारनेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंस और नासा के एस्ट्रोमैटेरियल्स रिसर्च एंड एक्सप्लोरेशन सांइंस डिवीजन ने मंगल ग्रह के तीन उल्कापिंडों का अध्ययन किया. नमूने बताते हैं कि मंगल ग्रह के प्रावरण और वर्तमान वातावरण से अलग, उल्कापिंड के नमूने के पानी में हाइड्रोजन अणुओं में समस्थानिक आनुपातिक मात्रा में मौजूद हैं.
शोधकर्ताओं ने बताया कि जलाशय के विशिष्ट हाइड्रोजन समस्थानिक निशान पूरे आकार के हो सकते हैं। नासा के मार्स क्यूरियासिटी रोवर टीम के सह-लेखक जॉन जोनस ने बताया, 'मौजूदा वातावरण की हाइड्रोजन समस्थानिक बनावट, हाइड्रोजन के तेजी से हुए नुकसान में शामिल प्रक्रिया और बड़े पैमाने पर बर्फ की परत के उदात्तीकरण का परिणाम हो सकती है.'
कारनेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंस के कास्मोकेमिस्ट कोनेल अलेक्जेंडर ने बताया, 'मंगल ग्रह से वापसी के नमूनों के अभाव में यह अध्ययन हमारी विश्लेषण तकनीकों में सुधारों के साथ मंगल ग्रह के अन्य उल्कापिंड खोजने और लगातार अध्ययन की महत्ता पर जोर देता है.' ये परिणाम 'अर्थ एंड प्लानेटरी साइंस लेटर' जर्नल में प्रकाशित हुए.
आईएएनएस से इनपुट