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Russia-Ukraine War: रूस की चौतरफा घेराबंदी! बाल्टिक समुद्र से ब्लैक सागर तक NATO के 8 जंगी बेड़े तैनात

नाटो ने एक अनुमान के आधार पर बताया कि यूक्रेन से चार सप्ताह के युद्ध में 7,000 से 15,000 रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज गुरुवार को यूक्रेन में रूसी हमले पर चर्चा करने के लिए ब्रसेल्स में आपातकालीन नाटो शिखर सम्मेलन में भाग लिया.

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America President Joe Biden and NATO Secretary General
America President Joe Biden and NATO Secretary General
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच NATO की बैठक
  • एंटी टैंक, एयर डिफेंस सिस्टम, और ड्रोन सप्लाई होगी

NATO leaders met today in Brussels: यूक्रेन पर रूस के हमले की शुरुआत के एक महीने बाद आज गुरुवार को नाटो नेताओं ने ब्रसेल्स में मुलाकात की है. यहां उन्होंने कहा कि हम यूक्रेन का रूसी हमले से लड़ने और आत्मरक्षा के अधिकार को बनाए रखने के लिए सुरक्षा सहायता के साथ समर्थन करना जारी रखेंगे. इसी बीच नाटो का कहना है कि बाल्टिक समुद्र से ब्लैक सागर तक नाटो के कुल आठ जंगी बेड़े तैनात किये जाने की भी तैयारी है.

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नाटो की इस इमरजेंसी मीटिंग पर पूरी दुनिया की नजरें थी, क्योंकि यूक्रेन में रूस के खिलाफ नाटो के काउंटर प्लान पर इमरजेंसी मीटिंग में मुहर लगनी थी.  

मीटिंग में अमेरिकी राष्ट्रपति समेत दुनिया के 30 मुल्कों ने मंथन किया है. मीटिंग से जो बड़ी बात सामने आई, उससे साफ हैं कि पुतिन अपने ही परमाणु जाल में बुरे फंस चुके हैं. हालांकि जानकारों का कहना है कि इस मीटिंग में यूक्रेन के किसी भी फायदे की बात नहीं हुई है. मीटिंग में सीधे तौर पर नाटो ने अपने बचाव के लिए सभी योजनाओं पर बात की है. 

पुतिन पर NATO के 30 देश, जी-7 के सात देश और यूरोपीय यूनियन के 27 देश मिलकर दबाव बनाना चाहते हैं. नाटो का मकसद है रूस की सैन्य घेराबंदी करना ताकि इन देशों पर हमले की स्थिति में नाटो हमला कर सके. जी-7 देशों का मकसद है रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों को और बढ़ाते हुए दबाव बनाना और यूरोपीय यूनियन इस मामले में रूस पर कूटनीतिक हमले करना चाहता है.

पुतिन पर NATO के 30 देश, जी-7 के सात देश और यूरोपीय यूनियन के 27 देश मिलकर दबाव बनाना चाहते हैं. नाटो का मकसद है रूस की सैन्य घेराबंदी करना ताकि इन देशों पर हमले की स्थिति में नाटो हमला कर सके. जी-7 देशों का मकसद है रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों को और बढ़ाते हुए दबाव बनाना और यूरोपीय यूनियन इस मामले में रूस पर कूटनीतिक हमले करना चाहता है.

क्या बोले नाटो के जनरल सेक्रेटरी

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नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोलेनबर्ग ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि विश्व में इस बात पर सहमति बनेगी कि नाटो को पूर्वी सीमा पर थल, जल और वायु में अपनी सेनाओं की संख्या बढ़ाकर मजबूती दिखानी होगी. पहले चरण में नाटो के चार बैटल ग्रुप बुल्गारिया, रोमानिया, हंगरी, स्लोवाकिया में भेजे जाएंगे.

वहीं यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका, नाटो और यूरोपियन यूनियन की इन बैठकों से रूस चिढ़ गया है. रूस ने पहले ही ये धमकी दे दी थी कि अगर कोई देश इस युद्ध में यूक्रेन की ओर से आया तो रूस का दुश्मन होगा. और अगर ऐसा हुआ तो विश्व युद्ध छिड़ सकता है. 

ऐसे में विश्व युद्ध की स्थित में रूस के साथ क्यूबा, चीन, अर्मेनिया, बेलारूस, अज़रबैजान, ईरान, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान होंगे तो यूक्रेन के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, इटली, जापान और ऑस्ट्रेलिया होंगे.

क्या बोले रूस के उपराजदूत

यूएन में रूस के उप राजदूत दिमित्री पोल्यांस्की ने कहा कि अगर नेटो देशों ने उकसाया तो रूस के पास परमाणु हमला करने का अधिकार है. 

वहीं अमेरिका, रूस पर और रूस, अमेरिका पर केमिकल और बायोलॉजिकल हथियार रखने के आरोप लगाता रहा है. हाल ही में रूस ने अमेरिका पर यूक्रेन समेत कई यूरोपीय देशों में जैविक हथियारों की लैब बनाने का आरोप लगाया था. इस आरोप पर बाइडेन ने जवाब दिया है. 

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बाइडेन ने आरोप लगाया है कि 'अमेरिका ने यूरोप में रासायनिक हथियारों की लैब बनाई है', ये सच नहीं है. बाइडेन ने कहा कि मैं गारंटी देता हूं, वो ये भी कह रहे हैं कि यूक्रेन में रासायानिक और जैविक हथियार हैं, ये आरोप लगाना दिखाता है कि वो इनका इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं. वो पहले भी ऐसा कर चुके हैं. हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए.

नाटो इमरजेंसी मीटिंग की दस बड़ी बातें - 

1- एंटी टैंक, एयर डिफेंस सिस्टम, और ड्रोन सप्लाई करेगा
2- जल, थल और वायु में जवाबी कार्रवाई की तैयारी शुरू
3- बुलगेरिया, हंगरी, रोमानिया, स्लोवाकिया में 4 नए बैटल ग्रुप की तैनाती
4- बाल्टिक समंदर से ब्लैक सागर तक नाटो के कुल आठ जंगी बेड़े तैनात 
5- समंदर में युद्धक बेड़ों की तैनाती होगी, अटैक पनडुब्बी की तैनाती होगी
6- रूस बॉर्डर पर जमीन पर सेना बढ़ेगी, आसमान में जेट की संख्या बढ़ेगी
7- यूरोप में 1 लाख अमेरिकी और 40 हजार नाटो देशों के सैनिक तैनात 
8- रूस को यूक्रेन पर हमले की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी
9- चीन को रूस की मदद नहीं करने की चेतावनी दी गई है
10- पुतिन की मदद कर रहे बेलारूस को भविष्य में परिणाम भुगतने होंगे

युद्धकाल मे अमेरिकी राष्ट्रपति का नाटो हेडक्वाटर में आना, एक दिन में तीन आपातकाल मीटिंग में बैक-टू बैंक हिस्सा लेना. ये रूस के लिए बहुत बुरे संकेत हैं. आने वाले कुछ घंटों में बहुत तेजी से घटनाक्रम बदल रहे हैं. रूस बॉर्डर के करीब नाटो सेना का युद्धभ्यास चल रहा हैं, यहां आपातकाल मींटिंग का दौर चल रहा हैं तो वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी मुल्कों की सेनाओं की तैनाती रूस के आसपास बढ़ाई जा रही है. ऐसे में यही माना जा रहा है कि कुछ बड़ा होने वाला
है.

(कीव से राजेश पवार के इनपुट के साथ)
 

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