आज पाकिस्तान में नवाज शरीफ का परचम लहरा रहा है. करीब चौदह बरस बाद शरीफ के हाथों में पाकिस्तान की सत्ता लौटी है. गद्दी भी छिनी, देश निकाला भी मिला. लेकिन जम्हूरियत की जंग में शरीफ एक बार फिर हीरो हैं. अब तो जश्न भी शुरू हो चुके हैं, नवाज शरीफ आवाम का शुक्रिया भी अदा कर चुके हैं, सत्ता से शरीफ का बस चंद औपचारिकताओं का ही फासला है.
मगर सियासत नवाज शरीफ का मकसद नहीं था. यूं कहें कि बस एक इत्तेफाक था और सब होता चला गया. असल में शरीफ परिवार का स्टील उद्योग था और सरकार ने उसपर कब्जा कर लिया था. नवाज शरीफ अपने उस उद्योग को ही वापस लेने के लिए सियासत में आए थे.
1980 में पाकिस्तान के पंजाब के गवर्वर गुलाम जिलानी खान को नए युवा नेताओं की तलाश थी. नवाज उसी तलाश का नतीजा थे और जल्दी ही नवाज शरीफ पंजाब प्रांत के वित्त मंत्री बना दिए गए. अगले ही साल उन्हें 1981 में जिया उल हक के सलाहकार बोर्ड में शामिल भी कर लिया गया. फिर तो सियासत का ऐसा सफर शुरू हो गया कि 1990 में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए. साल 1990 से 1993 तक और 1997 से 1999 तक शरीफ दो बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे.
सियासत के इस मैदान में नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना के भी बड़े अनोखे रिश्ते रहे हैं. कभी सेना के सहारे ही सत्ता की कुर्सी मिली, तो कभी सेना ने ही सत्ता से बेदखल भी किया. जेल गए, देशनिकाला तक मिला. लेकिन हर लड़ाई के बाद आज फिर से पाकिस्तान की गद्दी उन्हें पुकार रही है. जम्हूरियत की जंग में एक बार फिर से शरीफ हीरो हैं.
वक्त का पहिया घूमता है तो कैसे हालात बदलते हैं, ये शरीफ से बेहतर भला और कौन समझ सकता है. नवाज शरीफ ने ही परवेज मुशर्रफ को पाकिस्तान के सेना-प्रमुख की कमान सौंपी थी. तब उन्हें कहां पता था कि अगले ही बरस ये मुशर्रफ उनकी तख्त ही पलट कर रख देंगे. 1999 में तख्तापलट हुआ.
साल 2000 में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर नवाज शरीफ को देश निकाला दे दिया गया. 7 साल वो सऊदी अरब में रहे. 2007 में पाकिस्तान लौटे और 2008 में चुनाव भी लड़े.
वक्त का चक्कर ऐसा फिरा मुशर्रफ ने जिस शरीफ को देश-निकाला दिलवाया था, उसी मुशर्रफ को गद्दी भी छोड़नी पड़ी और देश भी. 5 साल बाद मुशर्रफ भी लौटे, इस उम्मीद के साथ कि देश में चुनाव जीतकर फिर गद्दी पर बैठेंगे. लेकिन, चुनाव जीतना तो छोड़िए, लड़ भी ना पाए और अब हालात ये हैं कि उन्हें आगे के साल जेल में बिताने होंगे. सियासत के इस खेल में आगे और भी बहुत कुछ हो सकता है.