यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए रूस और अमेरिका के बीच वार्ता शुरू हो गई है. यह वार्ता अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रही है. इस वार्ता में यूक्रेन की तरफ से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है.
बैठक में रूस की तरफ से विदेश मंत्री लावरोव के अलावा पुतिन के वरिष्ठ सहयोगी यूरी उशाकोव भी शामिल हो रहे हैं. वहीं, अमेरिका की तरफ से विदेश मंत्री रुबियो के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और मध्य पूर्व के दूत स्टीव विटकॉफ हैं.
दोनों पक्षों के बीच वार्ता रियाद स्थित दिरियाह पैलेस में हो रही है. रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस बातचीत में रूस-अमेरिका के संबंधों को फिर से बहाल करने पर बात होगी. उन्होंने कहा कि वार्ता में यूक्रेन मुद्दे को हल करने और दोनों देशों के राष्ट्रपतियों के बीच बैठक आयोजित करने पर भी चर्चा होगी.
रूसी राजनयिकों के एक करीबी सूत्र ने बताया कि रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाना भी वार्ता का हिस्सा होगा.
इधर रूस-अमेरिका की वार्ता उधर, यूरोप पहुंचे यूक्रेन के लिए US राजनयिक
रियाद में रूस-अमेरिका की बैठक चल रही है और ठीक इसी बीच यूक्रेन के लिए अमेरिकी दूत कीथ केलॉग यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ वार्ता के लिए ब्रुसेल्स के बर्लेमोंट पहुंचे हैं.
इसके बाद वो यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा से मिलेंगे. मुलाकात के बाद, केलॉग पोलिश राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा से मुलाकात करने के लिए पोलैंड जाएंगे.
सऊदी में ही क्यों मिल रहे रूस और अमेरिका के प्रतिनिधि?
इस संबंध में रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा है कि सऊदी अरब अमेरिका और रूस, दोनों देशों की वार्ता के लिए एक अनुकूल जगह है. पेस्कोव की यह टिप्पणी सऊदी अरब के वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) की जीत मानी जा रही है.
क्राउन प्रिंस सलमान तेल पर आधारित सऊदी की अर्थव्यवस्था और इसके कट्टरपंथी इस्लामिक अतीत को ऐसे राष्ट्र में बदलने के मिशन पर हैं जो दुनिया भर में सॉफ्ट पावर बनकर उभरे. और वो इस मिशन में कामयाब होते दिख रहे हैं.
शांति वार्ता में एक शक्तिशाली मध्यस्थ के रूप में प्रिंस बिन सलमान का उदय, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनके मजबूत संबंधों के कारण हुआ है. ट्रंप क्राउन प्रिंस का हमेशा से समर्थन करते आए हैं. 2018 में जब सऊदी एजेंट्स ने पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या कर दी थी और एमबीएस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरस्कार झेलना पड़ा था, तब भी ट्रंप ने उनका समर्थन किया था.
2017 में जब ट्रंप पहली बार राष्ट्रपति चुने गए तब अपने पहले विदेश दौरे पर सऊदी अरब पहुंचे थे. साल 2020 में जब वो चुनाव हार गए तब भी सऊदी अरब ने ट्रंप के साथ बिजनेस करना जारी रखा. सऊदी अरब ने ट्रंप के दामाद जेयर कुशनेर के फर्म में दो अरब डॉलर निवेश किया और किंगडम में ट्रंप टावर बनाने की भी घोषणा की थी. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी डोनाल्ड ट्रंप के रिश्ते काफी मजबूत हैं.