दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला जिस कुल से आते हैं उस कुल के बुजुर्गों के मुताबिक मंडेला के मन को तभी शांति मिल सकती है कि जब उनके परिवार में जारी विवाद खत्म हो जाए. बुजुर्गों का कहना है कि परिवार में जारी विवाद ही उनके दुख का कारण है.
पूर्व राष्ट्रपति के कुल के बुजुर्गों और स्थानीय प्रमुखों का कहना है कि वे यह मानते हैं कि मंडेला की लंबी बीमारी का कारण उनके पोते मांडला द्वारा 2011 में उनके तीन बच्चों - मैकगाथो, थेम्बेकाइल और मकाजिवे (वह बेटी जिसकी मौत नौ महीने में ही हो गयी थी) के अवशेषों को क्यूनू से ले जाकर मवेजो में दफनाना है.
मंडेला के तीनों बच्चों के अवशेष क्यूनू से ले जाकर मवेजो में दफना देने के बाबत कुछ बुजुर्गों ने तो यहां तक कहा है कि पुरखों ने मंडेला परिवार को इस ‘कुकृत्य’ के लिए ‘शाप’ दिया है और इसलिए वह लंबे समय से बीमार हैं.
साप्ताहिक ‘संडे टाइम्स’ में इस मामले से जुड़ी एक खबर छपी है. खबर में मथाटा हाई कोर्ट में दायर की गयी अर्जी में कही गयी बातों का हवाला दिया गया है. अर्जी में मांग की गयी थी कि मंडेला के तीनों बच्चों के अवशेष मवेजो से वापस क्यूनू लाने की इजाजत दी जाए. पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के 17 सदस्यों ने तीनों बच्चों के अवशेष फिर से क्यूनू में दफनाए जाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी. ये अवशेष मंडेला के पोते मांडला क्यूनू से मवेजो लेकर गए थे. बहरहाल, अदालत ने आवेदकों के पक्ष में फैसला सुनाया और मांडला ने फैसले को स्वीकार कर लिया.
एक स्थानीय प्रमुख का नाम लिए बगैर ‘संडे टाइम्स’ ने उसके हवाले से लिखा, ‘मंडेला के मन को तभी शांति मिलेगी जब उनके परिवार के बच्चों के अवशेष क्यूनू में फिर से दफनाए जाएं. पुरखों को भी इसी से संतुष्टि मिलेगी.’ गौरतलब है कि 94 साल के मंडेला प्रीटोरिया के एक अस्पताल में गंभीर लेकिन स्थिर हालत में हैं. यहां उनके इलाज का चौथा हफ्ता चल रहा है.