नेपाल में भूकंप के झटके का गुरुवार को पांचवां दिन है. भूकंप में मारे गए लोगों का आधिकारिक आंकड़ा 5000 के पार पहुंच गया है. बुधवार शाम करीब 5 बजे एक बार फिर भूंकप के झटके ने नेपाल को झकझोर कर रख दिया. इस झटके की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4 मापी गई है.
सरकार के नए आंकड़ों के मुताबिक नेपाल में करीब 18 हजार घरों का नामोनिशान मिट गया है.
नेपाल: राहत सामग्री न मिलने पर लोगों का प्रदर्शन
भूकंप से प्रभावित नेपाल के सैकड़ों नागरिकों ने बुधवार को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. उन्होंने सरकार पर राहत सामग्री उपलब्ध कराने में विफल होने का आरोप लगाया. इसके साथ ही उन्होंने गृहमंत्री बामदेव गौतम के इस्तीफे की मांग की. नेपाल के सैकड़ों नागरिकों ने बुधवार दोपहर के बाद काठमांडू शहर के मध्य में विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने आरोप लगाया कि बीते शनिवार को आए भूकंप में पीड़ितों को सहायता प्रदान करने में सरकार विफल हो रही है.
इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई हो गई. काठमांडू में विभिन्न स्थानों पर हजारों लोग अपने-अपने थैले लिए कतारों में खड़े हैं. उन्हें फिर से भूकंप आने का डर है. वे राहत सामग्री की कमी और महामारी फैसने की संभावना से भी भयभीत हैं.
इस बीच मलबे में दबे लाशों की सड़ांध से महामारी का खतरा बढ़ गया है. करीब 1 लाख लोग काठमांडू छोड़ चुके हैं, जबकि यह संख्या 5 लाख तक पहुंचने के आसार हैं.
प्रधानमंत्री सुशील कोईराला ने आशंका जताई है कि देश में मरने वालों की संख्या 10 हजार के पार भी जा सकती है. घायलों की तादाद भी 10 हजार पार कर चुकी है.
इस बीच काठमांडू में 84 घंटे बाद एक शख्स को मलबे से जिंदा बाहर निकाल लिया गया. पीड़ित गोंगबू इलाके में सात मंजिला इमारत के मलबे में दबा हुआ था. उसे बचाने के लिए 10 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था. ऋषि खनाल नाम के इस युवक को बचाने के लिए नेपाल के सशस्त्र प्रहरी बल और फ्रेंच रेस्क्यू टीम जी जान से जुटी रही.
चार दिनों में काठमांडू और आस-पास ही 4500 के करीब शव मिल चुके हैं. अभी दूरदराज के इलाकों की रिपोर्ट आनी बाकी है.
लेकिन दिल दहलाने वाले किस्से तमाम हैं जिन्हें सुनकर कलेजा कांपने लगता है जिन्हें रेस्क्यू ऑपरेशन में इंडिया आर्मी और एयर फोर्स ने जिंदगी की सौगात दी है.
हालांकि, समूह में शामिल डॉ अबीन सूरी की जान बच गई पर वह घायल हैं. उन्हें पिछले दो दिनों से डायलिसिस पर रखा गया है. सूरी को आगे के इलाज के लिए यथाशीघ्र दिल्ली ले जाने की संभावना है. सूरी की मां अनिता ने कोझीकोड से बताया कि उनका बेटा होटल की छठी मंजिल पर कमरे में था जबकि दो अन्य लोग कॉरीडोर में थे, तभी भूकंप आया था.
अब बढ़ा बीमारियों का खतरा
मौसम विभाग ने नेपाल में आने वाले 10 दिन तक बारिश का अनुमान जताया है. आपदा के बाद की बीमारियां फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है.भूकंप के बाद महामारी फैलने के डर से हजारों लोग काठमांडू छोड़ना चाहते हैं. मलबे में लाशें दबी होने से कई जगहों पर बदबू फैल गई है.
सरकारी आंकड़े के मुताबिक, बीते शनिवार से लेकर अब तक भूकंप के डर और महामारी की आशंका में डेढ़ लाख लोग काठमांडू छोड़ चुके हैं. बुधवार सुबह घंटों मशक्कत करने के बाद भी बस कुछ सौ लोग ही काठमांडू से बाहर जाने में सफल हो पाए. सरकार की ओर से ठीक इंतजाम न होने के कारण लोगों में भी काफी नाराजगी भी है.
नेपाली सेना के मुताबिक, 11 जिलों में 9000 किलोग्राम राहत सामग्री बांटी गई है. भारतीय सेना ने अब तक विमान के जरिये 7 जिलों से 703 घायलों की जान बचाई है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, भूकंप से 39 जिलों में 80 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. इनमें से 20 लाख सबसे ज्यादा प्रभावित 11 जिलों से ताल्लुक रखते हैं और 75 फीसदी लोग काठमांडू के बाहर के हैं. प्रधानमंत्री कोईराला ने तीन दिन का शोक घोषित किया है.
नेपाल आर्मी के साथ भारतीय सेना के जवान नेपाल की जिंदगी को पटरी पर लाने में जुटे हैं. लेकिन चुनौती इस कदर विकट है कि अभी तक काठमांडु के इस शोभा भगवती ब्रिज के पास के पांच मंजिला भवन में मौत बन चुकी जिंदगी ही पहाड़ बनकर खड़ी है तो बाकी दूर-दराज के इलाकों के हालात तो और भी बुरे हैं. बुधवार तड़के दो विमानों में 314 लोगों को नेपाल से दिल्ली लाया गया. तबाही के बीच से 7 शव भी लाए गए.
भारत में 75 की मौत, 58 बिहार के
भारत ने नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत अभियान का दायरा बढ़ाते हुए गोरखा सैनिकों को दूरदराज के इलाकों में भेजा ताकि वे पता लगा सकें कि किस तरह की जरूरत की दरकार है. नेपाल में शनिवार को आए भूकंप के बाद भारत में मरने वालों की संख्या 75 हो गई है जिनमें 58 बिहार के लोग हैं. सडक मार्ग से नेपाल से लोगों को बचाकर लाने का अभियान जारी है . इस बीच 4000 और लोग भारत के लिये इस रास्ते रवाना हुए हैं .
20 हजार भारतीय पहुंचे रक्सौल: प्रधान
इधर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पत्रकारों को बताया कि करीब 20 हजार भारतीय भूकंप प्रभावित नेपाल से रक्सौल पहुंचे हैं जिन्हें उनके घरों तक पहुंचाने के लिए ट्रेन की व्यवस्था की जा रही है.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर रक्सौल-हावडा मिथिला एक्सप्रेस ट्रेन में 7 नई बोगियां जोड़ने, रक्सौल से सीतामढ़ी होकर हाजीपुर तक एक ट्रेन कोलकाता के लिए चलाने, सद्भावना एक्सप्रेस में नई बोगी जोड़ने की निर्देश रेलवे को दिया गया है. वहीं जरूरत पड़ने पर रक्सौल से गोरखपुर तक भी विशेष ट्रेन चलाने का निर्देश रेल अधिकारियों को दिया गया है. नेपाल से भारत आने वाले लोगों में ज्यादातर बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोग शामिल हैं.
नेपाल ने कहा, भारत की मदद 'ब्लैंक चेक' जैसी
नेपाल ने शनिवार को आए भूकंप के बाद तेजी से बड़े पैमाने पर राहत अभियान शुरू करने के लिए मंगलवार को भारत को धन्यवाद दिया और कहा कि भारत की प्रतिक्रिया ‘ब्लैंक चेक’ देने जैसी रही.
नेपाल के मनोनीत राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने काठमांडू हवाई अड्डे पर जमा भीड़ को लेकर भी चिंता जताई जिसके कारण पीड़ितों तक सहायता पहुंचने में देरी हो रही है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘भारत ने राहत अभियान की शुरूआत की,
जिसका अन्य देशों ने अनुसरण किया. भीषण भूकंप के बाद ‘ब्लैंक चेक’ देने के लिए हम भारत सरकार के प्रति कृतज्ञ हैं. भारत ने हमारी मदद के लिए बहुत कुछ किया है.’
अमेरिका ने भी की भारत की तारीफ
उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों तक विशेष ट्रेनें चलाने का हमारा अनुरोध भी स्वीकार कर लिया है. ताकि घर लौटने के इच्छुक लोग वापस जा सके. सेवाओं को मांग के आधार पर बढ़ाया जाएगा.’
दूतावास का टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर
नेपाली दूतावास ने भूकंप प्रभावित लोगों के लिए टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर 18002700032 शुरू किया है. इसके लिए एक विशेष फेसबुक पेज ‘नेपाल, दूतावास नयी दिल्ली’ भी शुरू किया है. दूतावास ने अपना राहत कोष भी शुरू किया है. जिसमें नेपाल भूकंप त्रासदी के शिकार लोगों की मदद के इच्छुक लोग धन दान कर सकते हैं.
अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संकट प्रबंधन द्वारा वैश्विक नेतृत्व के लिए भारत की मंगलवार को प्रशंसा की. भारत में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा, 'भारत ने हाल के कुछ सप्ताहों में पहले यमन और फिर नेपाल में अपने वैश्विक नेतृत्व को दर्शाया है. हम इसके लिए आभारी, प्रभावित और प्रेरित हैं.'
उदासी से पटे नेपाल के सुंदर पहाड़
ऊंचे पहाड़ों पर क्षितिज के उस पार सूर्य की सुनहरी रोशनी काठमांडू पर वैसे ही रोज की तरह गिर रही है लेकिन मानो हताश-निराश काठमांडू सोया है उदासी भरी गहरी नींद में. सोच-सोचकर कलप उठता है कि नेपाल का जन-मन कि हे रोशनी के देवता, ये खौफनाक दिन फिर न आए, फिर न हो तबाही का ऐसा अंधेरा.
अभी कल की ही तो बात है जब सदियों पुराने नेपाल ने राजशाही का चोला छोड़कर लोकतंत्र के रास्ते पर कदम बढ़ाए थे, लेकिन मानो नेपाल उठ-उठकर लड़खड़ा जाता है.
कुदरत ने तो इस बार तो जमकर रुलाया है, नेपाल के महान अतीत की विरासत से जुड़े भवन खंडहर में तब्दील हो गए हैं. जिस जमीन पर मल्ल, लिच्छवी और शाह वंश के राजाओं ने स्वतंत्रता का अभिनव इतिहास रचा था, आज उसके अवशेष मटियामेट हो गए हैं. कभी यहां सम्राटों की शान में मजमा था आज मौत का मलबा बिखरा पड़ा है.
लाखों लोगों की आंसुओं से भर चुकी जिंदगी को फिर से हंसाना कोई आसान काम नहीं है लेकिन उम्मीद है कि जल्द नेपाल की जिंदगी सरपट पटरी पर लौटने लगेगी, बीती रात के अंधेरों की तरह उदासी छंटेगी क्योंकि जिदंगी का सूर्योदय तो होकर ही रहता है.