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नेपाल भूकंप: राहत कैंपेन की धीमी चाल पर लोगों में अाक्रोश, सेना जुटी, अब तक 6204 की मौत

नेपाल में आए 'महाभूकंप' को सात दिन हो गए हैं और राहत-बचाव का काम जोर-शोर से जारी है. वहीं हताहत लोगों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. गुरुवार रात 11 बजे तक नेपाल पुलिस मुख्यालय को मिली जानकारी के मुताबिक, भूकंप से कुल 6,198 मौतें हो चुकी थीं और 13,402 लोग गंभीर रूप से घायल थे.

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Nepal Earthquake
Nepal Earthquake

नेपाल में आए 'महाभूकंप' को सात दिन हो गए हैं और राहत-बचाव का काम जोर-शोर से जारी है. वहीं हताहत लोगों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. नेपाल के गृह मंत्रालय के मुताबिक, भूकंप से अब तक कुल 6,204 मौतें हो चुकी हैं और 13,932 लोग गंभीर रूप से घायल हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर काठमांडू पहुंचे हैं. यहां वे प्रधानमंत्री सुशील कोइराला से मुलाकात करेंगे और राहत-बचाव कार्य का जायजा लेंगे.

बचाव कार्य में 1,19,384 सुरक्षाकर्मी दिन रात जुटे हुए हैं, लेकिन पहले ही इतना नुकसान हो चुका है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ने की आशंका है. नेपाल के सेना प्रमुख ने इस आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या 15,000 तक पहुंचने की आशंका जताई है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक नेपाल आर्मी चीफ गौरव राणा ने कहा, 'हमारे अनुमान गलत होते लग रहे हैं. लगता है कि मौत का आंकड़ा 10 हजार से 15 हजार के बीच होगा.'

राहत टीमों पर हमले की खबर
बेघर और भूखे भूकंप पीड़ित राहत कार्य की कथित 'सुस्त चाल' से खफा बताए जा रहे हैं. बेबसी का आलम यह है कि गुरुवार को राहत टीमों पर हमलों की खबर भी आई. भूकंप पीड़ितों की शिकायत है कि एयरपोर्ट पर राहत सामान का भंडार लगा है लेकिन वह समय से पीड़ितों तक नहीं पहुंच रहा.

अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक, गुस्साए लोगों और बच्चों ने संगाचौक पर टेंट के तीन कंटेनर पर कब्जा कर लिया. क्योंकि उन्हें डर था कि राहत का सामान 'रसूख' वाले लोगों तक पहले पहुंचाया जा रहा है.

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विदेशी राहत दलों को लौटाया जाएगा?
उधर राहत-बचाव काम में अब श्रेय लेने की राजनीति शुरू हो गई है. भारत और दूसरे देशों की मीडिया जिस तरह से अपने-अपने देश के राहत काम पर फोकस कर रही है उससे नेपाली सेना नाराज बताई जा रही है. खबर है कि सरकार से नेपाली आर्मी ने मांग की है कि अब विदेशी बचाव दलों को वापस भेजा जाए और सेना बचाव का पूरा काम खुद देखे.

दरअसल नेपाल में भूकंप के बाद कई देशों ने मदद के लिए टीमें भेजी हैं. इस वक्त भारत, चीन, पाकिस्तान, इजरायल, फ्रांस, बांग्लादेश, कोरिया, पौलैंड, जापान और श्रीलंका सहित 15 से ज्यादा देशों की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हैं.

किशोरी का चमत्कारिक रेस्क्यू
नेपाल
में गुरुवार को बारिश वाले दिन मलबे से एक किशोर और एक महिला को जिंदा निकाले जाने के वक्त थोड़ी खुशी का लम्हा आया जबकि तीन हल्के झटकों से लोग सहमे रहे.

एक लंबी खामोशी के बीच उस वक्त खुशी की लहर दौड़ गई जब 15 साल के पेम्बा लामा को सात मंजिला भवन के मलबे से जिंदा निकाला गया जिससे और लोगों के जीवित निकालने जाने की आशा बढ़ गई. वहीं, बारिश और रिक्टर पैमाने पर 3.9 और 4. 7 की तीव्रता से आए झटकों के चलते राहत कार्य प्रभावित हुआ. नुवाकोट निवासी धूल से सने लामा को पांच घंटे के बचाव अभियान के बाद सुरक्षित निकाला जा सका और उसे एक अस्पताल ले जाया गया. भक्तपुर शहर में मलबे से चार महीने के एक बच्चे को जिंदा निकाले जाने के बाद यह किशोर करिश्मे के तहत बचने वाले एक और व्यक्ति है.

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बारिश और भूस्खलन से राहत काम में बाधा
खबरों के मुताबिक कुछ घंटों बाद करीब 30 साल की महिला कृष्णा देवी खडका को कुछ दूरी पर मलबे से निकाला गया. वह काठमांडू के मुख्य बस टर्मिनल के पास वाले इलाके में फंसी हुई थी जहां काफी सारे होटल हैं. बचावकर्मी अब भी सुदूर पहाड़ी इलाकों में पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जहां भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बचाव कार्य बाधित हो रहा है.

गुरुवार सुबह भारी बारिश होने के कारण हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर सके. देश में हताशा और गुस्सा बढ़ गया जहां लोगों के पुलिस के साथ संघर्ष करने और पानी व खाने-पीने के सामान के लिए छीना-झपटी के दृश्य देखे गए. अधिकारियों ने कहा है कि देश में सहायता हासिल करने और उसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में उन्हें कठिनाई आ रही हैं.

नेपाल में अब बीमारी का खतरा
राहत और बचाव अभियान अब तक काठमांडू घाटी तक सीमित है इसलिए दूसरे प्रभावित जिलों में बचाव अभियान के लिए प्रशिक्षित लोगों की सख्त जरूरत है. इस बीच, नेपाल सेना प्रमुख जनरल गौरव राणा ने बताया, ‘हमारा अनुमान अच्छा नहीं नजर आ रहा. हमें लग रहा है कि 10 से 15 हजार लोग मारे गए होंगे.’ वह देश भर में चल रही बचाव कोशिश का नेतृत्व कर रहे हैं. राणा ने स्वीकार किया कि जबरदस्त भूकंप के बाद की परिस्थिति से अधिकारी संघर्ष कर रहे हैं जिनमें बीमारी का खतरा और बचाव कोशिश की गति को लेकर जनाक्रोश शामिल है.

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उन्होंने कहा, ‘रोष है और हम इसे देख रहे हैं. हां, महामारी का खतरा है और हम इसे देख रहे हैं.’ राणा ने कहा कि वह समझ सकते हैं कि कितने लोग सरकार की प्रतिक्रिया से गुस्से में होंगे. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सेना पुलिस के साथ मिलकर स्थानीय हॉट स्पॉट की पहचान कर रही है और चीजों को राजनीतिक रूप से नियंत्रित कर रही है.

- इनपुट भाषा

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