प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल दौरे के दूसरे दिन पहले मुक्तिनाथ धाम में पूजा अर्चना की, फिर विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर गए. यहां प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान पशुपतिनाथ का रुद्राभिषेक किया.
पीएम मोदी की यात्रा को देखते हुए पशुपतिनाथ मंदिर की विशेष साज सज्जा की गई थी. जब मोदी ने मंदिर में प्रवेश किया तो उस समय पृष्ठभूमि में पारंपरिक भारतीय संगीत बज रहा था.
मंदिर के चारों ओर अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम देखने को मिले. पशुपतिनाथ मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख डॉ. प्रदीप ढकाल ने इंडिया टुडे को नेपाल के इस प्राचीनतम मंदिर के महत्व के बारे में बताया कि किस तरह सदियों से दोनों देशों के रिश्तों से इसका जुड़ाव रहा है.
डॉ ढकाल ने कहा, ‘ये मंदिर दोनों देशों के लोगों को सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से जोड़े रखता है. ये हमारे लिए सम्मान की बात है कि भारतीय प्रधानमंत्री इस मंदिर में आए. इससे पता चलता है कि भारत ऐतिहासिक संबंधों को कितना महत्व देता है.’
पीएम मोदी ने मंदिर की विजिटर्स बुक में अपना संदेश भी लिखा. मोदी ने संदेश में लिखा कि उन्हें एक बार फिर पशुपतिनाथ मंदिर आने पर खुशी है. इससे पहले वर्ष 2014 में भी मोदी नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचे थे. पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा के बाद मोदी को मंदिर की एक छोटी-सी प्रतिकृति भी भेंट की गई.
पशुपतिनाथ मंदिर के गर्भगृह में पीएम मोदी ने विशेष पूजा अर्चना की. इस मौके पर ब्राह्मणों की ओर से लगातार मंत्रोच्चार किया जाता रहा. यहां पूजा संपन्न होने के बाद पीएम मोदी परिसर में स्थित अन्य मंदिरों में भी गए.
भारत की ओर से नेपाल के लोगों का दिल जीतने के लिए ‘आस्था कूटनीति’ का सहारा लिया जा रहा है. वहीं ये भी एक सच है कि नेपाल के लोगों के जेहन से अभी तक 2015 के ब्लॉकेड की यादें मिटी नहीं हैं. मंदिर में नेपाली युवा नागरिक विजय थापा ने कहा, ‘हम ब्लॉकेड की वजह से लोगों को हुई परेशानियों को भूले नहीं हैं. पीएम मोदी को कम से कम उस ब्लॉकेड का जिक्र करना चाहिए और आश्वस्त करना चाहिए कि ऐसी स्थिति फिर कभी नहीं बनने दी जाएगी.'
ब्लॉकेड से उत्पन्न स्थिति के अलावा रामायण सर्किट और धार्मिक पर्यटन को भारत की ओर से बढ़ावा दिए जाने से दोनों देशों के बीच रिश्तों पर पड़ने वाले असर पर क्या कहेंगे? इस सवाल के जवाब में डॉ ढकाल ने कहा, ‘हम मंदिर का प्रतिनिधित्व करते हैं. कुछ समस्याएं रही हैं. मैं नहीं समझता कि स्थिति इतनी खराब हुई हैं. हम मंदिर से शांति, प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं, साथ ही चाहेंगे कि दोनों देश एकता के संदेश का प्रसार करें.’
नेपाल के साथ रिश्ते बेहतर करने के लिए भारत आध्यात्मिक कूटनीति और सॉफ्ट पावर पॉलिसी का सहारा ले रहा है. मंदिर और धार्मिक स्थलों की यात्रा से इतर देखा जाए तो जमीनी स्तर पर दोनों देशों के बीच भरोसे का माहौल तैयार करने के लिए बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है.