नेपाल सरकार ने शुक्रवार देर शाम एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए चीनी नागरिकों को फ्री वीजा देने का निर्णय कर लिया है. नेपाल के विदेश मंत्री कमल थापा के चीन भ्रमण में रहने के दौरान ही सरकार ने ना सिर्फ इस पर निर्णय लिया बल्कि इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश भी जारी कर दिया.
अफरा-तफरी में हुआ ऐलान
देर शाम कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिए जाने की जानकारी नेपाल सरकार के प्रवक्ता शेरधन राई ने दी. चीन भ्रमण पर रहे नेपाल के विदेश मंत्री कमल थापा और चीनी विदेश मंत्री के साथ मुलाकात के चंद घंटे बाद ही कैबिनेट ने इस तरह का फैसला कर सबको अचरज में डाल दिया. नेपाल की तरफ से यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब भारत के साथ उसके कूटनीतिक और राजनीतिक रिश्ते दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं.
नेपाली पीएम की पहल पर हुई घोषणा
नेपाल में भारत विरोधी राष्ट्रवाद को बढावा देने और चीन को ही अपना अच्छा व सच्चा पडोसी के रूप में प्रचारित करने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की विशेष पहल पर यह घोषणा की गई है. माना जा रहा है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने जानबुझ कर भारत को चिढ़ाने के लिए यह फैसला लिया है. नेपाल में पिछले चार महीने से चल रहे मधेश आन्दोलन में भारत के अप्रत्यक्ष समर्थन को लेकर दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों में खटास आ गई है.
भारत से नाराज है नेपाल
वैसे भारत ने नए संविधान में देश की आधी से अधिक आबादी को पहले से मिलती आ रही सुविधा व अधिकारों में कटौती का ना सिर्फ विरोध किया था बल्कि संविधान संशोधन कर मधेशियों की अधिकार सुनिश्चित कराने लिए नेपाल सरकार पर दबाव भी डाल रही है. माओवादियों के समर्थन से टिकी ओली सरकार भारत के इस कदम का खुल कर ना सिर्फ विरोध करती आई है बल्कि इसे स्वतंत्र और सार्वभौम राष्ट्र के आन्तरिक मामले में सीधा सीधा हस्तक्षेप करार दे रही है. कूटनीतिक तौर पर देखा जाए तो नेपाल की दिल्ली से बढती दूरी और बीजिंग से बढती नजदीकी भारत के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.