scorecardresearch
 

नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन से तबाही, 217 हुई मरने वालों की संख्या, सैकड़ों घायल, कई लापता

बारिश से आई आपदा की वजह से काठमांडू घाटी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां मरने वालों की संख्या 50 से ज्यादा हो गई है. नेपाल सेना, सशस्त्र पुलिस बल और नेपाल पुलिस सहित 20 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को खोज, बचाव और राहत सामग्री बांटने के लिए तैनात किया गया है.

Advertisement
X
नेपाल में बाढ़ से तबाही (तस्वीर: PTI)
नेपाल में बाढ़ से तबाही (तस्वीर: PTI)

नेपाल (Nepal) में बारिश ने खतरनाक तबाही मचाई है. भारी बारिश की वजह से आई बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की तादाद 215 के पार पहुंच गई, जबकि 28 लोग लापता बताए जा रहे हैं. गुरुवार को शुरू हुई यह आपदा रविवार तक कई इलाकों में बड़े विनाश की वजह बनी रही, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए हैं. शुक्रवार से पूर्वी और मध्य नेपाल के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए हैं.

Advertisement

हालांकि, काठमांडू में रविवार से मौसम में सुधार हुआ है, जिससे आपदा प्रभावित लोगों को कुछ राहत मिली है. काठमांडू और नेपाल के तमाम इलाकों में तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से आई बाढ़ और भूस्खलन में मरने वालों की संख्या मंगलवार सुबह तक 217 तक पहुंच गई है. एजेंसी के मुताबिक, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ऋषिराम तिवारी ने बताया कि प्राकृतिक आपदा से जुड़ी घटनाओं की वजह से अब तक 28 लोग लापता हैं और 143 लोग घायल हुए हैं.

काठमांडू में सबसे ज्यादा तबाही

बारिश से आई आपदा की वजह से काठमांडू घाटी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां मरने वालों की संख्या 50 से ज्यादा हो गई है. नेपाल सेना, सशस्त्र पुलिस बल और नेपाल पुलिस सहित 20 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को खोज, बचाव और राहत सामग्री बांटने के लिए तैनात किया गया है.

Advertisement

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ऋषिराम तिवारी ने बताया कि घायलों का कई स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज चल रहा है. इसी तरह बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित लोगों को तत्काल राहत सामग्री मुहैया कराई जा रही है. सरकार ने खोज, बचाव और राहत वितरण को प्राथमिकता दी है. तिवारी ने बताया कि अवरुद्ध सड़कों को फिर से शुरू करने की कोशिश की जा रही है.

यह भी पढ़ें: नेपाल से बिहार तक 2008 से भी बड़ी तबाही!

जलवायु परिवर्तन बड़ी वजह

वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया भर में बारिश की मात्रा और वक्त में बदलाव हो रहा है, लेकिन बाढ़ के बढ़ते असर की एक अहम वजह निर्मित पर्यावरण है, जिसमें अनियोजित निर्माण भी शामिल है, विशेष रूप से बाढ़ के मैदानों में, जिसके कारण जल-धारण और जल निकासी के लिए पर्याप्त क्षेत्र नहीं बचता है. 

बाढ़ और भूस्खलन ने देश के कई हिस्सों में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, कई हाइवे और सड़कें बाधित हो गई हैं, सैकड़ों घर और पुल दब गए हैं या बह गए हैं और सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए हैं. सड़क बाधित होने की वजह से हजारों यात्री कई स्थानों पर फंसे हुए हैं.

यह भी पढ़ें: नेपाल में बारिश-बाढ़-भूस्खलन से तबाही, 200 लोगों की गई जान, बिहार में भी रौद्र हुईं कोसी-गंडक, तस्वीरों में देखें ग्राउंड हालात

Live TV

Advertisement
Advertisement