
नेपाल में सियासी उथल-पुथल का लंबा दौर चला था. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के बीच चली सियासी खींचतान के बाद ओली ने संसद भंग करने की सिफारिश कर दी थी. केपी शर्मा ओली के संसद भंग करने के फैसले को प्रचंड गुट के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर फैसला सुना दिया है.
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संसद भंग करने के ओली सरकार के फैसले को पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के फैसले को रद्द करने के साथ ही 13 दिन के भीतर संसद का सत्र बुलाने का भी आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने संसद को फिर से बहाल करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केपी शर्मा ओली को तगड़ा झटका लगा है.
सुप्रीम कोर्ट के संसद भंग करने का फैसला पलट बहाल करने के फैसले से प्रचंड गुट के नेताओं में खुशी की लहर दौड़ गई. प्रचंड गुट के नेताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिला अपनी खुशी का इजहार किया. गौरतलब है कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रचंड को सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया था जिसके बाद पार्टी दो फाड़ हो गई थी.
ओली की सरकार ने संसद भंग कर फिर से चुनाव कराने की सिफारिश कर दी थी. इस फैसले के बाद प्रचंड गुट ने इसे कोर्ट में चुनौती दी थी, वहीं देशभर में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे थे. देशभर में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच केपी शर्मा ओली ने पिछले दिनों काठमांडू में रैली कर संसद भंग करने और चुनाव कराने की सिफारिश करने के अपने फैसले का बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया.