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Nepal Plane Crash: 10 मिनट में क्रैश साइट पर पहुंच गई थीं रेस्क्यू टीमें, लोग चीख रहे थे लेकिन नहीं थे इक्विपमेंट

Nepal Plane Crash : नेपाल में 1955 में पहला विमान क्रैश हुआ था. इसके बाद से अब तक 104 विमान हादसे हो चुके हैं. इन हादसों में 914 लोगों की मौत हुई है. पोखरा में हुआ विमान हादसा नेपाल का तीसरा बड़ा विमान हादसा है. इससे पहले मई 2022 में टारा एयरक्राफ्ट मुस्तांग में क्रैश हो गया था.

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नेपाल विमान क्रैश में अब तक 70 की मौत, 2 लापता
नेपाल विमान क्रैश में अब तक 70 की मौत, 2 लापता

नेपाल में रविवार को येति एयरलाइंस का प्लेन क्रैश हो गया था. इस हादसे में 70 लोगों की मौत हो गई. जबकि 2 लोग अभी भी लापता हैं. इसे नेपाल की सबसे बुरी हवाई दुर्घटनाओं में एक माना जा रहा है. लेकिन इस घटना ने नेपाल में रेस्क्यू संसाधनों की भारी कमी के साथ साथ देश में आपातकालीन स्थिति से निपटने की तैयारियों में कमी को भी सबके सामने रख दिया है. विमान क्रैश के बाद नेपाली सुरक्षाबल 10 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच गए थे, लेकिन इस दौरान उन्हें इक्विपमेंट की कमी का सामना करना पड़ा. 

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येति एयरलाइंस का विमान काठमांडू से पोखरा जा रहा था. इसमें चार क्रू मेंबर्स समेत 72 लोग सवार थे. विमान सेती नदी की खाई में गिर गया था. अभी तक 70 लोगों के शव बरामद हो गए हैं. नेपाल की माडिया 'द काठमांडू पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, विमान क्रैश के 10 मिनट बाद नेपाल पुलिस और आर्म्ड पुलिस फोर्स और सेना की टुकड़ी क्रैश की साइट पर पहुंच गई थी. लेकिन रेस्क्यू टीमों के पास फायर ब्रिगेड, वाटर सोर्स और अन्य आवश्यक इक्विपमेंट नहीं थे, जो इमरजेंसी रेस्क्यू अभियान के लिए जरूरी होते हैं. 

 

घटना स्थल पर थी भारी भीड़

रिपोर्ट के मुताबिक, जब सुरक्षा बल वहां पहुंचे तो स्थानीय लोगों की भारी भीड़ पहले से ही घटनास्थल पर जमा हो चुकी थी. नेशनल सोसाइटी फॉर अर्थक्वेक टेक्नोलॉजी के डिप्टी एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर गणेश कुमार जिम्मे ने बताया कि आपात स्थिति में बचाव दल दुर्घटनास्थल पर जितनी जल्दी पहुंचता है, जान बचाने की संभावना उतनी ही अधिक होती है. 

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उधर, घटनास्थल पर सैकड़ों लोग जमा हो गए थे, इनमें से कुछ वीडियो बना रहे थे, जबकि कुछ सेल्फी लेने में जुटे थे. सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की आलोचना भी हो रही है. हालांकि, इस दौरान कुछ स्थानीय लोगों ने रेस्क्यू अभियान में भी हिस्सा लिया. इन लोगों की तारीफ भी हो रही है. 

प्लेन क्रैश होने के तुरंत बाद वहां बिकास बासयाल पहुंच गए थे, उन्होंने 7 शव बरामद किए. उनकी काफी तारीफ भी हो रही है. जिम्मे ने कहा कि दुर्घटना स्थल पर बड़ी संख्या में दर्शकों की भीड़ थी, इससे काफी असुविधा भी हुई, लेकिन अगर इन लोगों के पास बुनियादी बचाव प्रशिक्षण होता तो ये लोग काफी मदद कर सकते थे. उन्होंने कहा, यह बताता है कि आपातकालीन बचाव में सामुदायिक स्तर का प्रशिक्षण कितना अहम होता है.

 

कठिन था रेस्क्यू 

बताया जा रहा है कि विमान के आसपास भीषण आग लग गई थी. ऐसे में रेस्क्यू टीम को भी वहां पहुंचने में काफी दिक्कत हुई. घटनास्थल के आस पास धुएं से दृश्यता भी काफी कम हो गई थी. नेपाल सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल कृष्ण प्रसाद भंडारी ने कहा कि दुर्घटनास्थल ऊबड़-खाबड़ इलाके में था, इसलिए बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण हो गया था. इतना ही नहीं रेस्क्यू टीम को गहरी खाई में उतरना था, ऐसे में यह चुनौती पूर्ण और जोखिम भरा भी था. विशेषज्ञों का कहना है कि दुर्घटनास्थल का दृश्य खराब प्रतिक्रिया तंत्र का मजबूत सबूत था. 

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गणेश कुमार जिम्मे ने कहा, ऊबड़-खाबड़ घटनास्थल के बावजूद अगर बचावकर्मी समय पर पहुंच गए होते, तो बचाव कार्य अधिक प्रभावी हो सकता था. उन्होंने जोर देकर कहा कि नेपाल में बचाव उपकरणों की कमी है. लेकिन नेपाल की सेना, सशस्त्र पुलिस बल, नेपाल पुलिस बचाव कार्यों में अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं. 

नेपाल में 1955 से 104वां प्लेन क्रैश

नेपाल सिविल एविएशन के मुताबिक, नेपाल में 1955 में पहला विमान क्रैश हुआ था. इसके बाद से अब तक 104 विमान हादसे हो चुके हैं. इन हादसों में 914 लोगों की मौत हुई है. पोखरा में हुआ विमान हादसा नेपाल का तीसरा बड़ा विमान हादसा है. इससे पहले मई 2022 में टारा एयरक्राफ्ट मुस्तांग में क्रैश हो गया था. 20 घंटे बाद विमान का मलबा बरामद हुआ था. इस दौरान शवों की खोज के लिए सेवन समिट ट्रेक्स टीम तैनात की गई थी. इसके  प्रबंध निदेशक मिंगमा शेरपा ने कहा था कि उन्हें बचाव कार्य के दौरान उचित उपकरणों की कमी का सामना करना पड़ा था. 

 

हालांकि, पोखरा में हुआ विमान हादसा एक अलग उदाहरण है. यहां मुस्तांग जैसी विकट स्थिति नहीं थी. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्सपर्ट थुले राई ने बताया कि पोखरा नेपाल का बड़ा शहर है. यहां विमान हादसा दो एयरपोर्ट के बीच हुआ. ऐसे में यहां रेस्क्यू टीमों को स्टैंडबाई में रखा जाना चाहिए. मिंगमा शेरपा ने कहा कि भले ही विमान गहरी खाई में गिरा था. लेकिन सुरक्षाबल समय से पहुंच गए थे, ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन और बेहतर हो सकता था. 

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चाहकर भी मदद नहीं कर सके लोग

स्थानीय निवासी विष्णु तिवारी ने बताया कि वे लोगों की मदद के लिए दुर्घटनास्थल पर पहुंचे. लेकिन कोहरे और विमान के टुकड़ों में लगी आग के चलते रेस्क्यू अभियान ठीक से नहीं चल सका. तिवारी ने बताया कि आग की लपटें इतनी तेज थीं कि कोई भी मलबे के पास नहीं जा सका. उन्होंने कहा, मैंने एक व्यक्ति को मदद के लिए चिल्लाते देखा, लेकिन आग इतनी तेज थी, कि हम लोग उसकी मदद नहीं कर सके.
 


 

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