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Nepal Plane Crash: नेपाल विमान हादसे में पीड़ित परिवारों को अब मुआवजे का जख्म! एक बिल से फंसा पेच

Nepal plane crash: नेपाल के पोखरा एयरपोर्ट के पास 15 जनवरी को विमान हादसा हो गया था. विमान में 72 लोग सवार थे, जिनमें 71 लोगों की मौत की पुष्टि कर दी गई है जबकि एक यात्री लापता बताया जा रहा है. अपनों को खोने का दर्द झेल रहे परिवारों को अब एक और झटका मिल सकता है. ऐसा कहा जा रहा है कि उन्हें कम मुआवजा मिल सकता है.

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15 जनवरी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था यात्री विमान (फाइल फोटो)
15 जनवरी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था यात्री विमान (फाइल फोटो)

नेपाल विमान हादसे के पीड़ित परिवारों को अब एक और झटका लग सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन परिवारों को बहुत ज्यादा मुआवजा नहीं मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. दरअसल यहां की सरकार ने एयर कैरियर लायबिलिटी एंड इंश्योरेंस बिल को मंजूरी ही नहीं दी है, इसलिए बीमा कंपनी दुर्घटना के शिकार लोगों के लिए पर्याप्त मुआवजा राशि देने के लिए बाध्य नहीं है. बीती 15 जनवरी को यति एयरलाइंस का विमान पोखरा के नवनिर्मित एयरपोर्ट के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 72 लोगों की मौत हो गई थी. पांच भारतीय भी इस हादसे का शिकार हो गए थे.

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काठमांडू पोस्ट ने बताया कि मसौदा बिल यात्रियों की मृत्यु या चोट के मामले में एयरलाइनों को जिम्मेदार बनाता है. पीटीआई ने बताया कि एयर कैरियर की देनदारी और बीमा मसौदा बिल में मृत्यु या चोट के मामले में मुआवजे में पांच गुना वृद्धि का प्रस्ताव है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रस्तावित कानून के अनुसार घरेलू एयरलाइंस को किसी यात्री की चोट या मृत्यु के लिए न्यूनतम एक लाख डॉलर  (लगभग 82 लाख रुपये) का मुआवजा देना होगा. हालांकि हालिया हादसे में विमान कंपनी यात्रियों की मृत्यु के लिए न्यूनतम 20 हजार डॉलर ( 16 लाख रुपये ) मुआवजा दिया जा रहा है. प्रस्तावित कानून के अनुसार, एयरलाइन या उसके एजेंटों के पास घटना के 60 दिन के भीतर मुआवजा दिया जाना चाहिए.

2020 में तैयार किया गया था बिल

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1998 में नेपाल सरकार ने मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 को स्वीकार किया था. इस समझौते के तहत एयरलाइन कंपनी यात्रियों की मौत और घायल होने की स्थिति में जिम्मेदार मानी जाती है. इसके बाद 2020 में घरेलू विमान कंपनियों के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार हुआ था.

नेपाल के पर्यटन मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार मांट्रियल कन्वेंशन के प्रविधानों के आधार पर ही एयरलाइन कंपनियों की जिम्मेदारी से संबंधित विधेयक का प्रस्ताव तैयार किया गया है लेकिन कन्वेंशन के सभी प्रावधान शामिल नहीं किए गए हैं क्योंकि उन्हें व्यावहारिक तौर पर नेपाल में लागू नहीं किया जा सकता है.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय में संयुक्त सचिव बुद्धिसागर लमिछाने के अनुसार इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा. कैबिनेट की स्वीकृति के बाद ही प्रस्ताव विधेयक के रूप में संसद में पेश होगा. 

आखिर क्यों हुआ विमान हादसा

- नेपाल की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विमान के विंग फ्लैप ठीक तरह से खुले ही नहीं थे, जिस वजह से लैंडिंग से पहले ही वह हादसे का शिकार हो गया. विंग फ्लैप की वजह से ही लैंडिंग के दौरान विमान की गति कम होती जाती है. नेपाल प्लेन क्रैश में विंग फ्लैप ठीक तरह से न खुल पाने की वजह से विमान की स्पीड भी ज्यादा रही और लैंडिंग का प्रयास भी पूरी तरह फेल हो गया.

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- सीनियर एटीआर कैप्टिन कुमार पांडे का कहना है कि पायलट के स्तर पर ही गलती हुई जिस वजह से ये हादसा हुआ. उन्होंने कहा है कि वीडियो में दिख रहा है कि विंग फ्लैप ठीक तरह से खुल नहीं पाए थे. अब वे अभी ये एक कारण जरूर मान रहे हैं, लेकिन विस्तृत जांच की बात भी कर रहे हैं.

- नेपाल की एयरपोर्ट अथॉरिटी का कहना है कि विमान हादसा मौसम नहीं बल्कि तकनीकी खराबी की वजह से हुआ. एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से ये भी कहा गया है कि विमान के पायलट ने एटीसी से लैंडिंग के लिए परमिशन ले ली थी. पोखरा एटीसी की ओर से लैंडिंग के लिए ओके भी कह दिया गया था. लैंडिंग से ठीक पहले विमान में आग की लपटें दिखाई दी थीं इसलिए मौसम की खराबी के कारण दुर्घटना हुई, ये बात नहीं कही जा सकती.

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