नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का भारत दौरा गुरूवार से शुरू हो रहा है. पीएम बनने के बाद प्रचंड की यह पहली विदेश यात्रा है. जाहिर है, उनके इरादे भारत से रिश्ते बेहतर करने को हैं. चार दिनों के इस दौरे पर भारत नेपाल को रेलवे लाइन बनाने में मदद की पेशकश कर सकता है. यह रेलवे लाइन पूर्वी नेपाल में मेची से पश्चिमी नेपाल में महाकाली तक बिछाई जाएगी. रेलवे लाइन के अलावा भारत और नेपाल के बीच हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट को लेकर भी बात होगी जो भारत की मदद से बनाया जाएगा.
बीते 4 अगस्त को नेपाल के पीएम पद की शपथ लेने वाले प्रचंड का यह दौरा भारत के लिए कई मायनों में अहम है...
1. भारत और चीन नेपाल में अपना दबदबा बनाने की कोशिश करते रहे हैं. ऐसे में प्रचंड की ओर से बतौर पीएम अपने पहले विदेश दौरे के लिए भारत को चुनना भारत के लिए कूटनीतिक जीत है.
2. नेपाल के पूर्व पीएम केपी ओली के कार्यकाल के दौरान भारत-नेपाल के रिश्ते ठंडे पड़ गए थे. ओली ने ऐसे समझौते भी किए थे, जिससे भारत के ऊपर नेपाल की निर्भरता कम हो सके.
3. भारत के अलावा नेपाल में चीन के सहयोग से भी काफी रोड और हॉस्पिटल्स बनाए जा रहे हैं. ऐसे में भारत की कोशिश होगी कि वह अपने प्रोजेक्ट्स के जरिए नेपाल पर चीन का एकतरफा प्रभाव स्थापित न होने दे.
4. ओली के कार्यकाल में नेपाल ने चीन के साथ तिब्बत से काठमांडू तक रेल नेटवर्क स्थापित किए जाने के लिए एक करार किया था. इसके अलावा पेट्रोलियम आयात के लिए भी एक समझौता हुआ था. इन घटनाओं को लेकर भारत चिंतित है.
5. भारत अब भी नेपाल का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. भारत नेपाल के लिए सबसे बड़ा डोनर, सप्लायर और ईंधन का एकमात्र स्रोत है. नेपाल में पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप में 9000 से ज्यादा लोग मारे गए और बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान हुआ था. इसलिए ऐसे हालात में नेपाल को भारत की बहुत जरूरत है.
6. नेपाल की ओली सरकार की पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना में चीन के साथ ज्यादा करीबी हो गई थी. यह भारत के लिए चिंताजनक स्थिति थी. अब प्रचंड की यात्रा से भारत को चीन पर कूटनीतिक जीत मिली है.
7. नेपाल के नए पीएम कम्युनिस्ट पार्टी के नेता होने के बावजूद चीन से रिश्ते को लेकर उतनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. जबकि इससे पहले 2008 में वो जब पहली बार नेपाल के पीएम बने थे तो पहली विदेश यात्रा के तौर पर चीन को ही चुना था.