कट्टरपंथी कम्युनिस्ट गठबंधन के बहिष्कार के आह्वान को धता बताते हुए नेपाल के मतदाताओं की मंगलवार को संविधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान में बड़े पैमाने पर हिस्सेदारी देखी गई. एक अनुमान के मुताबिक 65 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. नई संविधानसभा देश में लंबे समय से जारी राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए संविधान का निर्माण करेगी.
मंगलवार शाम 5 बजे समाप्त हो गए मतदान के दौरान कुछ हिस्सों में हुई हिंसा की छिटपुट घटनाओं को छोड़ आम तौर पर शांति रही. चुनाव आयोग ने प्रारंभिक रूप से 65 प्रतिशत मतदान होने का अनुमान जाहिर किया है. मीडिया रिपोर्ट के आधार पर चुनाव आयोग ने कहा है कि करीब 65 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया है.
ललितपुर-3 के जवालखेल में तैनात एक चुनाव अधिकारी मोहन लाल ने कहा, 'व्यापक तौर पर चुनाव शांतिपूर्ण रहा.' उन्होंने कहा, 'मैंने पाया कि लोग अपना मत देने के लिए उत्साह से भरे थे. हमारे मतदान केंद्र पर 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया.'
इस बीच पहुंच वाले इलाकों में मतों की गिनती का काम मंगलवार शाम से शुरू हो गया. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, मतदान के दौरान राजधानी में एक मतदान केंद्र के समीप बम विस्फोट हुआ जिससे तीन बच्चे घायल हो गए. बच्चों को बीर अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
एक अन्य घटना में दाइलेख क्षेत्र संख्या-2 के चामुंडा हदाकोट मतदान केंद्र पर चुनाव विरोधी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के कार्यकर्ताओं ने हमला बोल दिया और मतपेटी उठाकर चलते बने. पुलिस ने स्थिति पर काबू पाने के लिए हवा में गोलियां चलाई. बाद में केंद्र पर मतदान फिर से बहाल हो गया.
रौतहट क्षेत्र संख्या-3 के कोचैया गांव में मधेशी जनाधिकार मंच-नेपाल और एकीकृत नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के कार्यकर्ताओं में भिडंत हो गई.
पुलिस के गोली चलाने के बाद स्थिति नियंत्रित हुई.
नेपाली सेना सहित लगभग दो लाख सुरक्षाकर्मी उम्मीदवारों एवं मतदाताओं की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए थे.
निष्पक्ष चुनाव के लिए लोगों को मतदाता पहचान पत्र दिए गए थे. 120 राजनीतिक पार्टियों के 17,000 उम्मीदवार प्रत्यक्ष और आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के जरिए 575 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाग्य आजमा रहे हैं. शेष 26 का चुनाव राष्ट्रीय सहमति से नामांकन के आधार पर होगा.
इसके पहले के चुनाव में 54 पार्टियों ने हिस्सा लिया था और संविधान सभा के 601 सीटों के लिए 25 पार्टियों के उम्मीदवार चुने गए थे. यूसीपीएन-एम इस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी. 2008 में हुए चुनाव के उपरांत बहुप्रतीक्षित संविधान नहीं लिखा जा सका, जिसके कारण नेपाल में संविधानसभा का चुनाव दूसरी बार करना पड़ रहा है.