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जलते हुए रोम को देखकर क्या नीरो वाकई बांसुरी बजा रहा था? रहस्यों से भरी है सनकी राजा की कहानी

रोम के राजा नीरो का नाम हिंदुस्तान में खूब लेते हैं. सुस्ती से पड़े लोगों को देखते ही फटाक से कहते हैं- जब रोम जल रहा था, नीरो बांसुरी बजा रहा था. धू-धू करके जलते देश में महल की मुंडेर पर बैठ गाता-बजाता राजा! कहा जाता है कि खुद नीरो ने ही आग लगवाई थी. लेकिन क्या रोम वाकई जला था. और राजा तब क्या कर रहा था?

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रोमन शासक नीरो को उसके संगीत-प्रेम के साथ सनक के लिए भी जाना जाता है. (Getty Images)
रोमन शासक नीरो को उसके संगीत-प्रेम के साथ सनक के लिए भी जाना जाता है. (Getty Images)

ईसापूर्व 8वीं सदी की शुरुआत के साथ शुरू हुआ रोम साम्राज्य जल्दी ही बढ़ने लगा. इसके बॉर्डर स्पेन से लेकर पूर्व में सीरिया और उत्तर में ब्रिटेन तक फैल गए. तब उसे दुनिया का सबसे ताकतवर और अमीर साम्राज्य कहा जाने लगा. कहा ये भी जाता था कि रोम को इंसानों ने नहीं, युद्ध के देवताओं ने बसाया था. युद्ध कला से लेकर सुंदर इमारतों और नृत्य-संगीत में भी इसका नाम लिया जाने लगा. लेकिन इसी रोम का एक शासक नीरो अपनी सनक के लिए जाना जाता है. 

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नीरो सोलह साल का था, जब उसे राजगद्दी मिली
54 ईसवीं की बात है. किशोर नीरो की मां एग्रिपपिना ने तमाम साजिशें रचकर उसे सिंहासन दिलवाया. राजा बनने के बाद भी एग्रिपपिना ही अपने बेटे की प्रमुख सलाहकार बनी रही. यहां तक तो ठीक था, लेकिन मुश्किल ये थी कि राजमहल में साजिशों के बीच बीते बचपन ने नीरो को सैडिस्ट बना दिया था. वो लोगों को दुख देने में आनंद पाता. इसी क्रूरता में नीरो ने अपनी मां की ही हत्या करवा दी. 

खुद अपनी मां की हत्या के आरोप
प्राचीन इतिहासकारों ने खूब खुलकर इस बारे में बात की है. टासिटस और कैसिअस डिओ ने नीरो-काल की बात करते हुए बताया कि अपनी मां की हिदायतों और फैसलों से तंग आए नीरो ने गद्दी पर बैठने के पांचवे साल ही मां को मारने की कोशिश शुरू कर दी. कई कोशिशें फेल हुईं, लेकिन आखिरकार मां जल्लादों के हाथ लगीं और तलवार भोंककर खत्म कर दी गईं. इतिहासकार ये भी कहते हैं कि इतने बड़े साम्राज्य पर राज करने की सनक में खुद नीरो की मां इतनी क्रूर हो चुकी थीं कि अपने ही किशोर बेटे से संबंध बनाए थे. इसी गुस्से में उसने मां को मरवाने की साजिश रची. वैसे इस बात को कई इतिहासकारों ने झुठलाया भी है. 

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सेना और प्रजा के मनोरंजन पर देता था ध्यान
बाद में नीरो ने एक के बाद एक अपनी दो पत्नियों को भी मार दिया. लेकिन दूसरी पत्नी पोपिया की हत्या के बाद राजा परेशान रहने लगा. पहले वो महल के भीतर चाहे जो करता, लेकिन रोम पर पूरा ध्यान देता था. युद्ध से थके लोगों के लिए उसने मनोरंजन की बात सोची. ये उस वक्त में अपनी तरह की अलग सोच थी. सर्कस की शुरुआत का श्रेय रोम को जाता है. गीत-संगीत पर ध्यान बढ़ा. नीरो खुद संगीत से बहुत प्रेम करता. वो एक खास तरह का वाद्ययंत्र बजाते हुए नाटक भी किया करता था.

nero fiddled while rome burns history behind the proverb and other cruel roman emperors
प्राचीन रोम की सभा. (Getty Images)

रोम जल तो रहा था, लेकिन...
64 ईसवीं में रोम में भयंकर आग लगी, जिसपर 6 दिनों बाद काबू पाया जा सका. रोमन इतिहासकार टासिटस के अनुसार तब आधे रोमवासी बेघर हो गए थे. बहुत से लोगों की जान भी चली गई. यहां तक कि नीरो के महल का भी बड़ा हिस्सा जलकर खाक हो गया. नीरो तब तक कापी मनमानियां कर चुका था. विरोधियों ने चुपके से प्रजा में अफवाह उड़ा दी कि राजा ने खुद ही आग लगवाई ताकि वो अपने मनमुताबिक नया राज्य बना सके. पुराने घरों को तोड़ने का उसके पास कोई और तरीका नहीं था. बाद में ये कहा जाने लगा कि जलते हुए शहर को देखकर नीरो बांसुरी बजा रहा था. 

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दूसरी-तीसरी सदी के रोमन हिस्टोरियन्स इसे गलत मानते हैं
इसकी दो वजहें हैं. पहला- उस समय में बांसुरी जैसा कोई वाद्ययंत्र कम से कम रोम में तो नहीं था. हां, चितारा नाम का एक इंस्ट्रुमेंट जरूर था. वीणा की तरह दिखने वाला ये वाद्ययंत्र नीरो को बहुत प्रिय था और वो अक्सर इसे बजाया करता. लेकिन बांसुरी नहीं. 

आग लगने के समय नीरो रोम नहीं, बल्कि एंटिअम नाम की एक जगह पर चिकित्सा ले रहा था. घटना की खबर आते ही वो तुरंत निकला और जलते हुए रोम को बचाने के लिए सारे जतन किए. यहां तक कि बेघर लोगों के लिए उसने राजसी बगीचे और अपने महल का एक हिस्सा भी खोल दिया था. 

कर ली आत्महत्या
सच जो भी हो, लेकिन शुरुआती दौर को छोड़कर नीरो को उसकी जनता क्रूर और सनकी राजा की तरह जानती रही. अग्निकांड के लगभग 4 सालों बाद मंत्रियों ने अपने ही राजा के खिलाफ जंग छेड़ दी. नीरो को 'जहां दिखे, वहां मारने' के आदेश जारी हुए. आखिरकार गीत-संगीत के प्रेमी लेकिन झक्की राजा ने अपने ही गले में कटार मार ली. 

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रोम का शासक कालिगुला (Getty Images)

कालिगुला था नीरो से भी आगे
वैभव के साथ-साथ रोम को विलासिता के लिए भी याद किया जाता है. नीरो के अलावा कई दूसरे रोमन शासक भारी अय्याश और सनकी रहे. इन्हीं में एक था कालिगुला. इसकी तानाशाही इतनी भयंकर थी कि इसे द मैड एंपेरर भी बुलाया जाता है. कालिगुला का असल नाम नाम था जूलियस सीजर जर्मेनिकस. कालिगुला उसके बचपन का नाम था, जिसका मतलब है छोटे-छोटे जूते. ये नाम सीजर के सेनापति ने लाड़ में भरकर अपने मालिक के बेटे को दिया था. 

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12 से 41 ईसवीं के बीच रोम के राजा रह चुके कालिगुला के बारे में कहा जाता है कि वो शाही घराने की किसी भी स्त्री का संबंध दूसरे राजसी खानदान से नहीं करता था. उसे डर था कि इससे जन्मी संतानें गद्दी के लिए कत्लेआम मचा देंगी. 

इस राजा को बात-बात पर गुस्सा आ जाता और वो अपने सामने खड़े किसी भी शख्स को मरवा देता था. माना जाता है कि उसने अपने सभी मित्रों को मरवा दिया था कि उनका राजदार होना कहीं उसके शासक होने पर भारी न पड़ जाए. कालिगुला की सनक के कारण उसकी सेना भी कम परेशान नहीं हुई. एक बार उसने अपनी सेना को पश्चिमी यूरोप के हिस्से गौल तक जाने को कहा ताकि वो समुद्र से सीपियां इकट्ठा कर सकें. 

यही घटना उसकी सनक पर आखिरी कील बनी. चार ही महीनों के भीतर कालिगुला समेत उसकी पत्नी-बेटी की भी हत्या कर दी गई. 

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