इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को संसदीय चुनाव में भारी जीत की उम्मीदों को झटका लगा है, हालांकि उनका गठबंधन सबसे आगे रहा है. नयी सरकार के लिए उन्हें कुछ अन्य दलों की मदद लेनी पड़ सकती है.
बीते चार सालों के अपने कार्यकाल के दौरान फलस्तीन के साथ शांति वार्ता में बाधा आने को लेकर नेतन्याहू आलोचकों के निशाने पर रहे हैं. अब तक 99.6 फीसदी मतों की गिनती हो चुकी है.
120 सदस्यीय नेसेट (संसद) में दक्षिणपंथी समूह और मध्य-वाम धड़ा 60 सीटों तक पहुंच गए हैं. राष्ट्रपति शिमोन पेरेस नेतन्याहू से नयी सरकार बनाने का प्रयास करने के लिए कह सकते हैं.
नेतन्याहू के लिकुद-बेतेनू गठबंधन को अपनी कई सीटें गवानी पड़ी हैं, लेकिन यह 31 सीटों के साथ सबसे बड़े धड़े के रूप में सामने आया है. नेतन्याहू (63) ने नवगठित ‘येश आतिद’ पार्टी के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया था.
इस पार्टी के नेता याइर लैपिद हैं. पार्टी 19 सीटें हासिल करके सभी को चौंका दिया है. पहले पत्रकार रह चुके लैपिद (49) ने पिछले साल ही पार्टी का गठन करके राजनीति में सक्रिय रूप से प्रवेश किया था. अब वह किंगमेकर की भूमिका में हैं.
इस्राइल के संसदीय चुनाव के ये नतीजे चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के अनुमानों से विपरीत हैं. सर्वेक्षणों में नेतन्याहू के नेतृत्व वाले धड़े की भारी जीत की उम्मीद जताई गई थी.
इस सामान्य जीत के बाद नेतन्याहू ने कहा, ‘आपका प्रधानमंत्री होकर मुझे गर्व है. मुझे एक और मौका देने के लिए आपका धन्यवाद. तीसरी बार इस्राइल का नेतृत्व करने का मौका मिला है. यह बड़े सौभाग्य और जिम्मेदारी की बात है.’