मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी ने देश में बढ़ रहे विद्रोह से निपटने के लिए नए और कठोर आतंकवाद रोधी कानून को मंजूरी दी है. मीडिया रिपोर्ट से सोमवार को यह जानकारी मिली.
आतंकवादियों के खिलाफ तुरंत सुनवाई
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कानून में विशेष अदालतों की स्थापना का प्रावधान किया गया है और यह बल प्रयोग करने वाले पुलिस अधिकारियों और सेना को कानूनी परिणामों से अतिरिक्त संरक्षण प्रदान करता है. नए कानून के तहत विशेष अदालतों में संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ तुरंत सुनवाई की जाएगी.
है कठोर सजाओं का प्रावधान
आतंकवादी समूह में शामिल होने का दोषी पाए जाने पर 10 साल जेल की सजा , आतंकवादी समूह की आर्थिक मदद करने वालों को आजीवन कारावास (25 वर्ष), हिंसा भड़काने या आतंकवादियों के संदेश को फैलाने के लिए वेबसाइट का निर्माण करने वालों को पांच से सात साल जेल की सजा और आतंकवादी हमलों पर सरकारी पक्ष का विरोध करने वाले पत्रकारों पर दो लाख से लेकर पांच लाख मिस्र पाउंड का जुर्माना लगाया जाएगा.
राष्ट्रीय एकता के लिए नया कानून
इस नए कानून के मसौदे का जब जून में संशोधन किया गया, तब देश में और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारी शोर-शराबा हुआ था. फरवरी में सीसी ने आतंकवाद रोधी एक अन्य कानून पर हस्ताक्षर किए, जो अधिकारियों को राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने से लेकर सार्वजनिक शांति भंग करने के आरोप वाले समूहों को प्रतिबंधित करने की शक्ति देता है.
कई अनुच्छेद असंवैधानिक
कुछ कानूनी विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि कानून के कई अनुच्छेदों को आसानी से असंवैधानिक करार दिया जा सकता है. तमाम आलोचनाओं के बीच संसदीय कार्य तथा संक्रमणकालीन न्याय मंत्री इब्राहिम अल हेनेदी ने 'मिस्र का आतंकवाद के खिलाफ युद्ध' कहकर बनाए जाने वाले ऐसे कानून के लिए सरकार का बचाव किया है.
इनपुट- IANS