मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को एक बार फिर झटका लगा है. लंदन हाईकोर्ट ने उनके लग्जरी फ्लैट को बेचने की मंजूरी दी है. फिलहाल ये फ्लैट नीरव के फैमिली ट्रस्ट की कस्टडी में है. फ्लैट की बिक्री से 52.5 लाख पाउंड यानी लगभग 55 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है.
यह फ्लैट सेंट्रल लंदन के मैरीलबोन इलाके में है. फ्लैट पर फिलहाल ट्राइडेंट ट्रस्ट कंपनी (सिंगापुर) की दावेदारी भी है. यह कंपनी फ्लैट की बिक्री में मुख्य दावेदार है. इसके बाद ईडी ने अदालत में याचिका दायर कर नीरव मोदी के फ्लैट को बेचने का अनुरोध किया था.
फ्लैट की बिक्री को लेकर क्या बोली ईडी?
इस मामले में ईडी की ओर से पेश बैरिस्टर हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि वह लाभार्थी (भारत सरकार) के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फ्लैट की बिक्री के लिए सहमत हुए हैं. ईडी का कहना है कि इस फ्लैट की बिक्री से मिलने वाली राशि से पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के कर्ज को अदा किया जाएगा.
जज ब्राइटवेल ने कहा कि ये कोई सामान्य मामला नहीं है. मुझे लगता है कि इस प्रॉपर्टी को 52.5 लाख पाउंड तक में बेचने की मंजूरी देने का फैसला सही है. दिसंबर 2017 में नीरव मोदी ने ये फ्लैट एक ट्रस्ट के नाम कर दिया था. ये ट्रस्ट नीरव मोदी की बहन पूर्वी मोदी और उनके परिवार का है.
4079 वर्गमीटर में फैला ये अपार्टमेंट बेकर स्ट्रीट स्टेशन के पास ही है. कानूनी तौर पर इस फ्लैट पर मालिकाना हक नीरव मोदी की बहन पूर्वी मोदी का है. लेकिन ईडी ने कोर्ट को बताया कि इसके बावजूद इसका असल लाभार्थी नीरव मोदी ही है. बता दें कि इस दौरान अदालती सुनवाई में नीरव मोदी थेमसाइड जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए थे.
कंगाल हो चुका है नीरव
पंजाब नेशनल बैंक को चूना लगाने वाला भगोड़ा नीरव मोदी कंगाल हो गया है. लंदन में उसके पास अपने लीगल खर्चे उठाने तक के पैसे नहीं है और वो उधार के सहारे काम चला है.
वह बैंक धोखाधड़ी मामले में वॉन्टेड है और उसे भगोड़ा करार दिया गया है. उसे फिलहाल साउथ-ईस्ट लंदन की थेमसाइड जेल में रखा गया है. बता दें कि थेमसाइड लंदन की एकमात्र निजी जेल है, जिसमें लगभग 1,232 दोषी और ऑन-रिमांड वाले पुरुष कैदियों को रखा जा सकता है. नीरव को प्रत्यर्पित कर भारत लाने और बैंकों के फंसे पैसे वसूलने के लिए सालों से प्रयास चल रहा है. उसके प्रत्यर्पण को लंदन सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन अभी तक इस मामले में कई कानूनी अड़चनें बची हुई हैं.