भगोड़े नीरव मोदी ते भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है. ब्रिटेन की हाई कोर्ट ने नीरव मोदी की प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है. जोर देकर कहा गया है कि सुसाइड की प्रवृत्तियां दिखना प्रत्यर्पण से बचने का आधार नहीं बन सकता है. इसी वजह से हाई कोर्ट ने नीरव की याचिका को खारिज किया है. अब कहने को नीरव के भारत आने का रास्ता साफ जरूर हुआ है, सेकिन ये राह अभी भी लंबी है. कई औपचारिकताएं हैं जिनका पूरा होना बाकी है. इसके अलावा अभी कुछ कानूनी विकल्प भी मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल नीरव मोदी कर सकता है.
नीरव के पास क्या विकल्प मौजूद?
नीरव मोदी के पास सबसे पहला विकल्प तो सुप्रीम कोर्ट जाने का है. जैसे भारत में भी हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती है, उसी तरह ब्रिटेन में भी ये सिस्टम चलता है. ऐसे में अब जब हाई कोर्ट से नीरव मोदी को झटका लगा है, उसकी लीगल टीम सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है. नियम ये कहता है कि हाई कोर्ट के आदेश के 14 दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी जा सकती है. अब कहने को नीरव के पास ये विकल्प मौजूद जरूर है, लेकिन वहां पर उसकी सुनवाई होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं.
असल में ब्रिटेन में सुप्रीम कोर्ट हर मुद्दे पर सुनवाई नहीं करता है, सिर्फ उन मामलों को तवज्जो दी जाती है जो जनहित में होते हैं. ऐसे में सबसे पहले तो नीरव मोदी की लीगल टीम को ये साबित करना पड़ेगा कि उनकी याचिका जनहित में है या फिर उसका जनहित से कुछ वास्ता है. उस स्थिति में ही सुप्रीम कोर्ट प्रत्यर्पण के खिलाफ उसकी याचिका पर सुनवाई करेगा. यहां ये समझना भी जरूरी है कि अगर कोर्ट के आदेश को चुनौती देनी है तो सबसे पहले कोर्ट ऑफ अपील से इसकी इजाजत मांगी जाती है. अगर वहां से इजाजत नहीं मिलती, तब सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी जा सकती है.
अब अगर सुप्रीम कोर्ट से भी नीरव मोदी को कोई राहत नहीं मिलती है, उस स्थिति में भी वो कुछ दूसरे कानूनी रास्तों का रुख कर सकता है. उसकी तरफ से European Court Of Human Rights जाया जा सकता है. ऐसे में नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ जरूर हुआ है, लेकिन कई और अड़चने मौजूद हैं जिनसे पार पाना जरूरी है.
किस मामले में फंसा है नीरव?
जानकारी के लिए बता दें कि ये पूरा घोटाला नीरव मोदी की तीन कंपनियों, उसके अधिकारियों, पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया. यह 13,000 करोड़ से अधिक की बैंक धोखाधड़ी का केस है. नीरव मोदी ने पीएनबी की बार्टी हाउस शाखा के अधिकारियों के साथ मिलकर 11,000 करोड़ रुपये से अधिक फर्जी ऋणपत्रों के माध्यम से इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया.