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सोचिए, कैसा हो अगर आपके पास अपना एक देश हो, अपना खुद का तय किया हुआ बॉर्डर हो, अपनी सेना हो, अपनी करेंसी हो और अपना अलग संविधान हो और आप उस देश के शासक हों. हैरान मत हों, स्वामी नित्यानंद के कैलासा की तरह दुनिया में कई ऐसे देश हैं जिन्हें देश होने की मान्यता तो नहीं है लेकिन इनका अपना बॉर्डर है, अपनी सेना है, अपना बजट है, अपना अलग कानून है और ये किसी और देश की नहीं सुनते. दुनिया भर में ऐसे स्वघोषित माइक्रोनेशन की संख्या दर्जनों में है.
क्या है कैलासा का रहस्य?
भारत से भगोड़े स्वामी नित्यानंद ने अपना अलग देश बनाने का दावा किया था, इस देश का नाम कैलासा है. इसे दक्षिण अमेरिका के इक्वाडोर में बसाया है. यहां उसने जमीन खरीदी और इसे अपना देश घोषित कर दिया. भारत से इस देश की दूरी करीब 17 से 18 हजार किलोमीटर दूर है. नित्यानंद की शिष्या विजयप्रिया हाल ही में कैलासा की प्रतिनिधि के रूप में यूएन की मीटिंग में शामिल हुई थी, उसने दावा किया कि हिंदू धर्म को मानने वाले 200 करोड़ लोग उनके देश के नागरिक हैं और इसमें 1 करोड़ लोग आदि शिव को मानने वाले हैं. इस देश का एकमात्र धर्म हिंदू है और इसमें संस्कृत, तमिल और अंग्रेजी भाषाएं चलती हैं. संयुक्त राष्ट्र में विजयप्रिया ने दावा किया था कि कैलासा में 20 लाख अप्रवासी हिंदू रहते हैं और 150 देशों में कैलासा ने एम्बेसी और एनजीओ खोले हैं.
कैलासा की तरह कई और आजाद स्वयंभू देश भी हैं जो देश होने का दावा तो करते हैं लेकिन उन्हें मान्यता नहीं हैं. ऐसे देश माइक्रोनेशन कहे जाते हैं. देखिए इनकी लिस्ट और पढ़ें अनोखी जिंदगी की कहानी-
Republic of Molossia
माइक्रोनेशंस में सबसे अनोखी कहानी है रिपब्लिक ऑफ मोलोसिया की. इस माइक्रोनेशन की सीमा में कुल 34 जीव रहते हैं. इनमें से 30 इंसान और 4 कुत्ते. इसकी सीमा कुल 2.28 एकड़ जमीन से बनी है. ये अमेरिका में नेवादा के पास स्थित है. यहां का तानाशाह केविन बॉघ है. इस शख्स ने अपना खुद का देश बना लिया. वह आधिकारिक प्रशासन को जो टैक्स देता है उसे विदेशी मदद का नाम देता है. नेवादा की डेयटेन वैली में स्थित इस माइक्रोनेशन की अलग करेंसी भी है जिसका नाम valora है. इस सिस्टम को चलाने के लिए Bank of Molossia, चिप वाले सिक्के और प्रिंटेड नोट भी हैं.
इस स्वयंभू देश में कुत्तों को भी नागरिकता मिलती है. तानाशाह केविन बॉग के परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं. यह शख्स हमेशा मिलिटरी ड्रेस में रहता है और वर्दी पर कई तरह के मेडल लटकते रहते हैं. दर्जनों सैन्य टाइटल इस शख्स ने खुद को दे रखा है. यह शख्स खुद को आजाद देश का शासक मानता है और वहां घूमने आने वाले सैलानियों का स्वागत खुद बॉर्डर पर करता है.
1990 के दशक में रिपब्लिक ऑफ मोलोसिया ने ईस्ट जर्मनी के खिलाफ युद्ध का ऐलान भी कर दिया था. 2006 में रिपब्लिक ऑफ मोलोसिया का युद्ध हो गया था एक और माइक्रेनशन Moustachestan के साथ. जिसमें केविन बॉघ को जीत हासिल हुई और सजा के रूप में Moustachestan के शासक को अगले 6 महीने के लिए हर माह एक valora की पेनाल्टी देनी पड़ी. 2010 में एक और माइक्रोनेशन के साथ इस छोटे से 'देश' की जंग हुई थी. रिपब्लिक ऑफ मोलोसिया दो बार अपना राष्ट्रगान बदल चुका है. इसका झंडा ब्लू, सफेद और हरे रंग के तिरंगे डिजाइन में है.
Sealand
नॉर्थ सी में इंग्लैंड के तट से सटा सीलैंड एक ऐसा ही माइक्रेनेशन है जो दो विशालकाय पिलर्स पर टिका हुआ है. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान यह एक एंटी-एयरक्राफ्ट प्लेटफार्म के रूप में तैयार हुआ था. इंटरनेशनल सी एरिया में होने के कारण ब्रिटिश नेवी ने 1966 में इस जगह को खाली कर दिया तो बाद में एक पूर्व सैनिक और एक पाइरेट द्वारा यहां बसावट कर ली गई और अलग देश ही घोषित ही कर दिया गया. यह इलाका समुद्र तट से 12 किलोमीटर दूर स्थित है और फेरी और नावों के जरिए एक दूसरे से जुड़े कई प्लेटफॉर्म इस स्वयंभू देश का निर्माण करते हैं. आज यहां 27 लोग रहते हैं लेकिन 1970 के आसपास यहां की आबादी एक बार 70 तक पहुंच गई थी. यह रियासत केवल दो टेनिस कोर्ट के बराबर आकार की होगी.
ऐसा ही एक अनोखा माइक्रोनेशन है Liberland. यह क्रोएशिया और सर्बिया के बीच में डैन्यूब नदी के किनारे स्थित है. दो देशों की लड़ाई में एक नो मैंस लैंड बना और यहां एक शख्स ने अपना माइक्रोनेशन ही बसा लिया. यहां के नेता हैं विट जेडलिका, जिन्होंने 13 अप्रैल 2015 को इसे स्वतंत्र देश घोषित कर दिया. यहां की आबादी अब ढाई लाख के आसपास है. यहां के लोगों पर अलग टैक्स, प्रॉपर्टी के कानून और नागरिक अधिकार लागू होते हैं.
Republica Glaciar की कहानी भी कम रोचक नहीं है. चिली और अर्जेंटीना के बीच स्थित एक इलाके को खाली देखकर ग्रीनपीस के एक्टिविस्ट्स ने 2014 में इसे अलग देश ही घोषित कर दिया. इन एक्टिविस्ट्स का कहना है कि दो देशों के बीच में स्थित होने और कानूनी लूपहोल होने के कारण यहां किसी का दावा नहीं बनता इसलिए इसे आजाद देश होने का पूरा हक है. यहां की आबादी एक लाख है. यहां का अपना पासपोर्ट भी है.
ऐसी ही कुछ कहानी है लिथुआनिया की राजधानी विलिनियस के पास स्थित 7000 की आबादी वाले इलाके की जो अब Republic of Užupis के नाम से जाना जाता है. 1997 में April Fools Day के दिन यहां के लोगों ने मजाक-मजाक में अलग देश का ऐलान किया. आज यहां का अपना पॉलिटिकल सिस्टम है, अलग करेंसी है, अलग संविधान है और 12 सैनिकों की अपनी सेना भी है.
Principality of Pontinha की आबादी सिर्फ तीन लोगों की है. पुर्तगाल में समंदर तट के पास स्थित एक खाली पड़े रॉक टॉप पर एक स्कूल टीचर ने इस इलाके को बसाया और अलग देश के रूप में ऐलान कर दिया. इसके मालिक ने खुद को प्रिंस घोषित कर दिया और पुर्तगाल पर उसके देश को धमकी देने का आरोप भी लगाया.
Empire of Atlantium भी एक ऐसा ही इलाका है जिसकी स्थापना 1981 में जॉर्ज ग्रुइकशैंक ने की थी. उसने खुद को इमपीरियल मैजेस्टी जॉर्ज-2 घोषित किया और अपने साम्राज्य का ऐलान कर दिया. यह ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी से 220 मील पश्चिम में स्थित टापू पर है और इसकी आबादी 3000 लोगों की है.
इटली के पास स्थित Principality of Seborga की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. समय के साथ इस इलाके को आसपास का हर देश भूल गया और इसी का फायदा उठाते हुए स्थानीय निवासी Giorgio Carbone ने 1960 के दशक में इसे स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया. इसकी आबादी 320 लोगों की है. यह इलाका मोनैको के ठीक सामने स्थित है.
फ्रीटाउन क्रिस्टिआनिया
1971 में डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में सेना के छोड़े हुए इलाके क्रिस्टिआनिया में कलाकारों, आदर्शवादियों और हिप्पियों ने आकर बसना शुरू कर दिया. यहां रहने वालों ने इसे आजाद घोषित कर दिया. यहां रहने वाले आजाद ख्याल जिंदगी पसंद करते हैं और किसी कानून को नहीं मानते. इन्होंने अपना खुद का कानून घोषित कर रखा है और डेनमार्क के प्रशासन के साथ यह लंबे समय से चला आ रहा विवाद बना हुआ है खासकर ड्रग्स के इस्तेमाल और इनके कानून को लेकर.
फोर्विक राज्य
स्कॉटलैंड के पास ढाई एकड़ इलाके में फैले इस इलाके का अपना ही टशन है. स्टुअर्ट हिल ने शिटलैंड में इस छोटे से द्वीप को आजाद घोषित किया था. इनकी अपनी करेंसी और संसद भी बन चुकी है. इस माइक्रोनेशन ने अपने अलग नियम तय कर रखे हैं. सालाना 23 यूरो देकर आप भी यहां की मेंबरशिप ले सकते हैं. मेंबर को एक पासपोर्ट और फोर्विक के मुनाफे में शेयर मिल सकता है.
ऐसे माइक्रेनेशंस के बनने को आप कानूनी लूपहोल का फायदा उठाना कहें या दो देशों की सीमाओं या समंदर की सीमाओं को लेकर वर्तमान कानून के पेच का लाभ उठाना लेकिन इन कुछ लोगों ने अपना अलग साम्राज्य तो खड़ा कर ही लिया है. इन माइक्रोनेशंस में अच्छे खासे लोग भी रह रहे हैं और इनकी अपनी खासियतें भी हैं. लेकिन प्रकृति की खूबसूरती के बीच बसे ये इलाके टूरिस्ट्स के लिए खासा आकर्षक हो सकते हैं.