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मोदी के फ्रांस दौरे से पहले 'राफेल' बेचने का ऐलान नहीं: फ्रांसीसी राष्ट्रपति

फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पेरिस यात्रा के दौरान 'राफेल' लड़ाकू विमान सौदे पर चर्चा की जाएगी, लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि मोदी के दौरे से पहले इसको लेकर कोई ऐलान नहीं होगा.

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नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पेरिस यात्रा के दौरान 'राफेल' लड़ाकू विमान सौदे पर चर्चा की जाएगी, लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि मोदी के दौरे से पहले इसको लेकर कोई ऐलान नहीं होगा.

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ओलांद ने ऐलेसी पैलेस में अपने ट्यूनिशियाई समकक्ष बेजी कैद ऐसाबी के साथ संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा, 'आपने जिसका जिक्र किया है, हम उस विषय पर चर्चा करेंगे, लेकिन यात्रा से पूर्व कोई घोषणा नहीं होगी.' लड़ाकू जेट राफेल की बिक्री पर फिर जोर

उन्होंने कहा, 'मैं यह भी नहीं चाहता कि भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा को एक सौदे से जोड़कर देखा जाए, भले ही हम इस पर काम करें. 'चीन में होगा मोदी का 'मैडिसन स्क्वायर पार्ट-2'

मोदी फ्रांस की तीन दिवसीय यात्रा पर गुरुवार को रवाना होंगे और यह कनाडा तथा जर्मनी समेत उनकी तीन देशों की यात्रा का पहला पड़ाव होगा. ओलांद ने कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों तथा आदान-प्रदान को और मजबूत करने के उपायों पर मोदी से चर्चा करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'मेरा यह मतलब नहीं है कि हम इसे महज राफेल के सवाल पर समेट सकते हैं.' फ्रांस, जर्मनी और कनाडा के दौरे पर जाएंगे PM मोदी

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फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्टों में यह बात कही गई है. अरबों डालर का राफेल सौदा लागत संबंधी मतभेदों को लेकर अटका पड़ा है, जिसके तहत भारत को 126 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति की जानी है.

उधर, नई दिल्ली में फ्रांसीसी राजदूत फ्रांस्वा रिचर मोदी की यात्रा पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अरबों डॉलर के इस सौदे से संबंधित सवालों का जवाब देने से बचते दिखाई दिए, जो काफी समय से लंबित है. हालांकि सूत्रों ने बताया कि सौदे पर बातचीत जारी है, जिसके तहत फ्रांसीसी कंपनी देसाल्ट एविएशन 126 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करेगी.

रिचर ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों समेत फ्रांसीसी कंपनियां 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम में भाग लेने की इच्छुक हैं और इसमें राफेल सौदे का भविष्य एक अहम फैक्टर होगा. भारत ने 2012 में पांच निविदाकर्ताओं में से राफेल को सबसे कम बोली के चलते चुना था. भारतीय सरकारी अधिकारियों का कहना है कि शुरुआत में यह सौदा करीब 42 हजार करोड़ रुपये का था, लेकिन फ्रांस अब अधिक कीमत मांग रहा है. उनका कहना है कि इससे कीमत दोगुने से कुछ अधिक हो गई है.

- इनपुट भाषा

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