पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का दो दिवसीय अवकाश के बाद सोमवार को फिर महत्वपूर्ण सत्र शुरू हो गया है. देश में अस्पष्ट राजनीतिक हालात के बीच विपक्ष ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है. सदन के नेता प्रतिपक्ष शाहबाज शरीफ ने यह प्रस्ताव सदन के सामने रखने की घोषणा की. अब सदन में 7 दिन के भीतर वोटिंग करानी होगी जिसमें इमरान खान को बहुमत सिद्ध करना होगा.
दरअसल, 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के 155 सदस्य हैं और सरकार में बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है.
पाकिस्तान में सत्ता का नंबर गेम का हाल देखें तो इमरान को पहले 176 सांसदों का समर्थन हासिल था, लेकिन 24 सांसदों के बागी होने के बाद अब इमरान सरकार के साथ 152 सांसद ही खड़े हैं. यानी 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में इमरान खान बहुमत के 172 के आंकड़े से काफी पीछे हैं.
172 सांसद गिरा देंगे सरकार
उधर, विपक्षी पार्टियों को भरोसा है कि उन्हें सरकार को गिराने के लिए 342 के सदन में 172 सदस्यों का समर्थन मिल सकता है, जबकि सरकार का दावा है कि उसे इस प्रयास को विफल करने के लिए सदन में जरूरी समर्थन प्राप्त है.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा, विपक्ष ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है. नेशनल असेंबली के स्पीकर को 7 दिन के अंदर वोटिंग करानी होगी है. अब प्रधानमंत्री इमरान खान के पास इस प्रक्रिया से बचने का कोई रास्ता नहीं है.
इमरान खिलाफ विपक्ष का मोर्चा
विपक्ष पहले से ही इमरान को गद्दी से हटाने की मुहिम चलाता रहा है, लेकिन पहली बार उसे कामयाबी मिलती दिख रही है, क्योंकि इमरान खेमे के करीब दो दर्जन सांसद भी उनसे मुंह मोड़ चुके हैं.
प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ चल रहे माहौल के बीच 8 मार्च को विपक्षी पार्टियों ने नेशनल असेंबली के सचिवालय में नोटिस देकर 14 दिन के भीतर अनिवार्य सत्र बुलाने की मांग की थी, जिसके बाद से ही देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल गहरा गया है.
हालांकि, विपक्ष की तरफ से दी गई समय सीमा के तीन दिन बाद 25 मार्च को सत्र बुलाया गया था, लेकिन स्पीकर ने प्रस्ताव को पेश करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. विपक्षी दलों का आरोप है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार देश में आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है इसलिए उन्हें कुर्सी पर रहने का कोई हक नहीं है.