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'अहिंसक विरोध से फिलिस्तीनियों को कुछ हासिल नहीं हुआ,' इजरायल-हमास युद्ध के बीच बोले फरीद जकारिया

इजरायल और फिलिस्तीन समर्थित हमास के बीच 24 दिन से युद्ध चल रहा है. इजरायल ने अब हमास को खत्म करने के लिए गाजा में ग्राउंड ऑपरेशन शुरू कर दिया है. इस युद्ध को लेकर जिओ पॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद जकारिया ने कहा कि गाजा पट्टी में ग्राउंड अटैक से इजरायल हमास को बड़ा नुकसान पहुंचाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल गाजा में सशस्त्र विरोध के विचार को नहीं बदल पाएगा.

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भारतीय-अमेरिकी पत्रकार और जिओ पॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद जकारिया.
भारतीय-अमेरिकी पत्रकार और जिओ पॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद जकारिया.

इजरायल और हमास 24 दिन से युद्ध के मैदान में हैं. इजरायल ने हमास के खिलाफ गाजा में ग्राउंड ऑपरेशन शुरू कर दिया है. इस बीच, भारतीय-अमेरिकी पत्रकार और जिओ पॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद जकारिया ने इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध पर बात की है. उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी अथॉरिटी के अहिंसक विरोध की वजह से उन्हें (फिलिस्तीनियों) कुछ हासिल नहीं हुआ है. इतना ही नहीं, इस भावना की वजह से फिलिस्तीनियों के बीच सशस्त्र प्रतिरोध के विचार को बढ़ावा मिला है.

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इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में जकारिया ने कहा, गाजा पट्टी में चल रहे ग्राउंड अटैक से इजरायल हमास को जबरदस्त नुकसान पहुंचाने में सक्षम होगा. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल गाजा में सशस्त्र प्रतिरोध के विचार को नहीं बदल पाएगा. जकारिया का कहना था कि इजरायल हमास को जबरदस्त नुकसान पहुंचाने में सक्षम है, लेकिन सशस्त्र प्रतिरोध के विचार को नहीं बदल पाएगा. यह वो पार्ट है जिसके बारे में इजरायली नहीं सोच रहे हैं. सशस्त्र प्रतिरोध के विचार को बढ़ावा दिया जा रहा है. 

'अहिंसक विरोध से फिलिस्तीनियों को कुछ नहीं मिला'

चूंकि फिलिस्तीनियों को यह महसूस हो रहा है कि अहिंसक प्रतिरोध से उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है. जकारिया ने आगे कहा, सशस्त्र प्रतिरोध का मुकाबला करने के लिए इजरायल को यह साबित करना होगा कि अहिंसक प्रतिरोध काम करता है. उन्होंने कहा, फिलिस्तीनी अथॉरिटी ने जो अहिंसक प्रतिरोध अपनाया है, उससे उन्हें कुछ नहीं मिला है. अहिंसक प्रतिरोध में बातचीत, रिकॉग्निशन और आतंक का त्याग शामिल है. उन्होंने लोगों से वेस्ट बैंक में एक राज्य का वादा किया था, लेकिन सिर्फ ज्यादा चौकियां, सैन्य कानून और उनके खिलाफ हिंसा ही देखने को मिली.

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'सैन्य कार्रवाई से पैदा हो रहे हैं आतंकवादी'

जकारिया ने गाजा निवासियों के सामने आने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया. उन्होंने कहा, अगर आप कहते हैं कि अहिंसक विरोध से कोई फायदा नहीं होता तो आप समझ सकते हैं कि लोग क्यों कहते हैं कि हिंसा ही एकमात्र जवाब है. जकारिया ने कहा, हर दिन हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या हम इस एक्शन से पैदा होने वाले आतंकवादियों से ज्यादा टेररिस्ट को मार पा रहे हैं? यह गाजा में पूछने के लिए एक बहुत ही दिलचस्प सवाल है.

'नेतन्याहू अवसरवादी नेता'

भारतीय-अमेरिकी पत्रकार ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर भी निशाना साधा और कहा, वो अब तक के सबसे चतुर राजनेताओं में से एक हैं. वो बहुत चालाक, बहुत अवसरवादी हैं. वो सत्ता में बने रहने के लिए किसी के साथ भी गठबंधन कर सकते हैं. हालांकि, यह उनके लिए कठिन लग रहा है. जब कोई राजनेता कुछ ऐसा करता है जिससे उसकी अपनी छवि खराब होती है, तो यह सबसे खराब है.

हालांकि, जकारिया ने कहा कि अगर नेतन्याहू की सरकार गिर भी जाए तो भी इजरायल में लेफ्ट के पास कोई मौका नहीं है. अगर आप नेतन्याहू को बदनाम करते हैं तो यह आपको और भी ज्यादा राइट विंग सरकार की ओर ले जा सकता है.

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'युद्ध को लेकर अमेरिकी की भूमिका पर सवाल'

फरीद जकारिया ने 7 अक्टूबर को हमास के अचानक हमले के बाद इजरायल की कार्रवाई को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की तरफ इशारा किया. उन्होंने कहा, बाइडेन को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने इसे कैसे संभाला. जब हमास ने हमला किया तो बाइडेन दृढ़ता से इजरायल के पीछे खड़े थे. उन्हें इजरायली सरकार और इजरायली लोगों की ओर से भारी विश्वसनीयता हासिल हुई.

'दशकों से इजरायल-फिलिस्तीन में संघर्ष'

बता दें कि इजरायलियों और फिलिस्तीनियों के बीच सात दशकों से संघर्ष चला रहा है. बीते 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास ने अचानक हमला बोल दिया और जबरदस्त कहर बरपाया था. लोगों के साथ बर्बरता की. खुलेआम हत्याएं की और बड़ी संख्या में लोगों को बंधक बनाकर गाजा ले गए थे. बाद में इजरायल ने युद्ध की घोषणा की और गाजा पट्टी पर बमबाजी, मिसाइल और रॉकेट छोड़े. इजरायल ने हमास के लड़ाकों को खत्म करने की कसम खाई. इस युद्ध ने मध्य पूर्व को अस्थिर कर दिया है.

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