जब भी आप कोई स्वादिष्ट पकवान या अपने मनपसंद चॉकलेट, पेस्ट्री या धुआं उठते हुए गर्मागरम पिज्जा का विज्ञापन देखते हैं, तो क्या होता है? जी हां, आप उन लुभावने पकवानों की सुगंध महसूस करने लगते हैं और मुंह में पानी भर आता है.
असल में तो सुगंध के साथ-साथ मुंह में पकवान का स्वाद तक आने लगता है. भारतीय मूल की प्रोफेसर आराधना कृष्णा ने उपभोक्ताओं से विज्ञापन में दिखने वाले पकवान की खुशबू की कल्पना करने को कहा और पाया कि पकवानों की तस्वीरें आंखों के सामने आने से दिमागी प्रतिक्रिया सक्रिय हो उठती है.
कृष्णा का शोध इस महत्वपूर्ण प्रभाव का प्रमाण है कि बढ़ते खाद्य विज्ञापन उद्योग के लिए यह फायदेमंद बात है और इससे उनके पकवान की खपत ज्यादा होगी. अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में संवेदी विपणन (सेंसेसरी मार्केटिंग) विशेषज्ञ कृष्णा ने कहा, ‘अभी तक खुशबुओं का उपयोग निजी स्वच्छता वाली सामग्रियों जैसे परफ्यूम और डियोड्रंट में होता आया है, लेकिन खाद्य बाजार खुशबुओं की उपयोगिता को अभी समझ नहीं पाया है और इसके फायदे से वंचित है.’
खाद्य बाजार कृत्रिम खुशबुओं का प्रयोग अपने विज्ञापनों में कर सकता है. पत्रिका ‘कंज्यूमर रिसर्च’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि पकवानों की खपत और खरीद को बढ़ाने की दृष्टि से विज्ञापनों में स्वादिष्ट पकवान की तस्वीर शामिल करना अनिवार्य कारक है.