पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा पठानकोट स्थित भारतीय वायुसेना के अड्डे पर किए गए हमले के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजित डोभाल की चीन यात्रा को टाल दिया गया है. चीन के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत के लिए डोभाल की यह यात्रा मंगलवार से शुरू होनी थी.
चीनी और भारतीय अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि यह यात्रा पठानकोट की घटना के कारण स्थगित कर दी गई है. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि डोभाल की यात्रा का कार्यक्रम दोबारा बनाया जाएगा. डोभाल भारत-चीन सीमा वार्ताओं के विशेष प्रतिनिधि भी हैं. उन्हें मंगलवार को चीन की दो दिवसीय यात्रा पर जाना था और इस दौरान उन्हें अपने चीनी समकक्ष यांग जीची के साथ सीमाई विवाद समेत प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत करनी थी. उन्हें चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग से भी बुधवार को मुलाकात करनी थी.
डोभाल की यात्रा टाले जाने से जुड़े सवाल के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनेयिंग ने संवाददाताओं को बताया, ‘चीन और भारत सीमा से जुड़े अपने सवाल को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. जैसा कि आप जानते हैं कि हमारी एक प्रक्रिया है और सीमा के मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि हर साल बैठक करते हैं.’ हुआ ने कहा, ‘इस साल विशेष प्रतिनिधियों के बीच बैठक कब होगी, इस संदर्भ में सूचना हम कुछ समय में जारी करेंगे.’ डोभाल और यांग सीमाई मुद्दे पर वार्ताओं के विशेष प्रतिनिधि हैं. अब तक दोनों देश सीमा वार्ताओं के 18 दौर आयोजित कर चुके हैं.
इंस्टीट्यूट ऑफ सदर्न एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज के निदेशक वांग देहुआ ने डोभाल की यात्रा के संदर्भ में सरकारी ग्लोबल टाइम्स को बताया, ‘दोनों देशों के बीच जल्दी-जल्दी बातचीत से सीमा विवाद को सुलझाने में गति मिलेगी. इस सीमा में पश्चिमी क्षेत्र के साथ उत्तर-पश्चिमी चीन का शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र के साथ दक्षिणपश्चिमी चीन का तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र शामिल हैं.’ डोभाल की चीन यात्रा से पहले वर्ष 2015 में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच जल्दी-जल्दी वार्ताएं हो चुकी हैं.
चाइना इंस्टीट्यूट्स ऑफ कंटेंपरेरी इंटरनेशनल रिलेशन्स में दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ फू शिआओकियांग ने कहा कि चीन और भारत ने वार्ता के जरिए सीमा विवाद सुलझाने के साथ-साथ सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग मजबूत किया है. फू ने कहा कि दोनों देश आपसी समझ और समझौतों के अनुरूप सीमा विवाद को सुलझाने के लिए पहले ही सहमत हो चुके हैं लेकिन इसके क्रियान्वयन में कई कठिनाइयां हैं. इन कठिनाइयों में भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा चिन्हित करना शामिल है.